शाही ईदगाह विवाद पर मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाई कोर्ट से झटका, जानिये पूरा मामला

धर्म नगरी मथुरा स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुना दिया है हाई कोर्ट ने बुधवार को मुस्लिम पक्ष की आपत्तियों से जुड़ी या‍चिका खारिज कर दी,वहीं न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन के फैसले से हिंदू पक्ष को बड़ी राहत मिली है। ये मुकदमे शाही ईदगाह मस्जिद का ढांचा हटाकर जमीन का कब्जा देने और मंदिर का पुनर्निर्माण कराने की मांग को लेकर दायर किए गए थे। पूरा विवाद मुगल सम्राट औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा हुआ है। इसका निर्माण भगवान कृष्ण की जन्मस्थली पर बने मंदिर को कथित तौर पर ध्वस्त करने के बाद किया गया।
हिंदू पक्ष की याचिकाओं में शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन को हिंदुओं का बताया है और वहां पूजा का अधिकार दिए जाने की मांग की है। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने वक्‍फ एक्‍ट आदि का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष की याचिकाओं को खारिज किए जाने की दलील पेश की है। अपने फैसले में हाई कोर्ट ने कहा कि मालिकाना हक को लेकर हिंदू पक्ष की याचिकाएं सुनवाई योग्‍य हैं। इन पर सुनवाई जारी रहेगी। अदालत ने मुस्लिम पक्ष की आपत्तियों को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब इस विवाद से जुड़े मामलों में ट्रायल शुरू होगा।

मुस्‍लिम पक्षकारों की दलील

मुस्लिम पक्षकारों का यह कहना है कि इस जमीन पर दोनों पक्षों के बीच 1968 में समझौता हुआ है। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं है। लिहाजा मुकदमा चलने योग्‍य नहीं है।
उपासना स्‍थल कानून यानिी प्‍लेसेज ऑफ वर्शिप एक्‍ट 1991 के तहत भी मुकदमा सुनवाई योग्‍य नहीं है।
15 अगस्‍त, 1947 के दिन जिस धार्मिक स्‍थल की पहचान और प्रकृति जैसी है वैसी ही बनी रहेगी। यानी उसकी प्रकृति नहीं बदली जा सकती है।

ये है हिंदू पक्षकारों की दलील

ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ एरिया श्रीकृष्‍ण विराजमान का गर्भगृह है।
शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के पास भूमि का कोई ऐसा रेकॉर्ड नहीं है।
श्रीकृष्‍ण मंदिर तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया है।
बिना स्‍वामित्‍व अधिकार के वक्‍फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के इस भूमि को वक्‍फ संपत्ति घोषित कर दिया है।

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