नई दिल्ली। म्यांमार में तख्तापलट हो चुका है। वहां की जनता लगातार इस तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है। इस दौरान पुलिस की ओर से कई गई फायरिंग में अबतक 18 लोगों की मौत हो चुकी है। म्यांमार के सबसे बड़े शहर में प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हुए हैं।
वहीं दूसरी ओर म्यांमार की एक अदालत ने अपदस्थ नेता आंग सान सू के खिलाफ सोमवार को एक और आरोप लगाया है। सू की पर अशांति फैलाने के लिए दंड संहिता की धारा 505 (बी) के तहत आरोप लगा है।
दरअसल, 1 फरवरी को हुए सैन्य तख्तापलट के बाद नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) की नेता आंग सान सू को सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है। पुलिस ने सू और उनकी पार्टी के कई नेताओं को हिरासत में लिया हुआ है। पुलिस ने उन पर पहले उन पर छह वॉकी-टॉकी रेडियो के अवैध रूप से आयात करने का आरोप लगाया गया था। इसके बाद उनपर कोरोना वायरस प्रोटोकॉल को भंग कर प्राकृतिक आपदा कानून का उल्लंघन करने का आरोप जोड़ा गया।
बता दें कि तख्तापलट और देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की को गिरफ्तार किए जाने के बाद से म्यांमार में प्रदर्शनों का दौर जारी है। नवंबर में हुए चुनाव में सू की पार्टी ने जोरदार जीत दर्ज की थी, लेकिन सेना ने धांधली की बात कहते हुए परिणामों को स्वीकार करने से इन्कार कर दिया था।
सैन्य तख्तापलट के बाद सुरक्षा बलों ने बड़ी संख्या में प्रदर्शन कर रहे लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए स्टन ग्रेनेड, आसूं गैस के गोले और यहां तक की गोलियां भी चला रही है। प्रदर्शनकारी देश की नेता आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार को सत्ता सौंपने की मांग कर रहे हैं।
वहीं संयुक्त राष्ट्र में सेना के खिलाफ आवाज उठाने वाली म्यांमार की राजदूत क्याव मो तुन को बर्खास्त कर दिया गया है। उन्होंने विश्व समुदाय से सैन्य शासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था को तत्काल बहाल करने की गुहार लगाई थी।