PATNA : बिहार में आज से जातिगत जनगणना शुरू हो रही है। जिसका आज पहले चरण में मकान की गिनती होगी। दूसरे चरण में जाति और आर्थिक गणना होगी। इसके लिए सरकार ने कर्मचारियों की ट्रेनिंग कराई गई है। पहले में जिला का नाम और उसका कोड दिया गया है। फिर प्रखंड, नगर निकाय का नाम और उसका कोड दिया गया है। पंचायत का नाम और उसका कोड है।
भवन संख्या, मकान संख्या, जिस उद्देश्य के लिए मकान का उपयोग किया जा रहा है, परिवार की संख्या, परिवार के मुखिया का नाम, परिवार में कुल सदस्यों की संख्या, परिवार का क्रम संख्या, यदि वह सदस्य नहीं है तो वह कब से यहां नहीं है, परिवार के मुखिया का हस्ताक्षर भरा जाएगा। वहीं, बेघर मकान का विवरण भी भरा जाएगा। भाग 4 में मकान सूची का कार्य पूरा होने के बाद फीडबैक रिपोर्ट भरा जाएगा।
दूसरे चरण में बिहार सरकार जाति और आर्थिक दोनों सवाल करेगी। इसमें शिक्षा का स्तर, नौकरी (प्राइवेट, सरकारी, गजटेड, नन-गजटेड आदि) गाड़ी (कैटगरी), मोबाइल, किसी काम में दक्षता, आय के अन्य साधन, परिवार में कितने कमाने वाले सदस्य, एक व्यक्ति पर कितने आश्रित, मूल जाति, उप जाति, उप की उपजाति, गांव में जातियों की संख्या, जाति प्रमाण पत्र आदि की जानकारी हासिल की जाएगी।
दस कालम बनाए गए हैं, परिवार के मुखिया का हस्ताक्षर जरूरी
जाति आधारित गणना के तहत घर पर पहुंचे प्रगणक को दस तरह की जानकारी भरनी है। दसवें कालम में उस घर के मुखिया का हस्ताक्षर भी अनिवार्य रूप से लेना है, जहां वे गणना को पहुंचेंगे। अगर एक घर में दो या तीन परिवार रहते हैं तो सभी की गणना अलग-अलग प्रपत्र में होगी। यह भी जानकारी देनी है कि प्रगणक किस तारीख को किसके घर में गिनती को गया। शहरी क्षेत्र में बहुमंजिली इमारत के लिए दो प्रगणक रहेंगे।
आर्थिक स्थिति का भी आकलन
जाति की गणना होगी। उस क्रम में संबंधित परिवार की आर्थिक स्थिति की भी जानकारी ली जाएगी। इस क्रम में यह देखा जाएगा कि संबंधित परिवार की रोजी -रोटी का जरिया क्या है? इसके साथ ही मोबाइल, गाड़ी, सरकारी या फिर प्राइवेट नौकरी,स्कल आदि की जानकारी जुटाएंगे। यह फरवरी में आरंभ होगा।
अब तक सिर्फ दो राज्यों ने कराया है जातिगत जनगणना
बिहार से पहले देश में सिर्फ दो राज्यों ने जातिगत जनगणना कराया है। जिसमें सबसे पहले राजस्थान में 2011 में कराया गया था। यूपीए सरकार ने यहां सामाजिक, आर्थिक सर्वे के साथ जातिगत जलगणना करवाई थी। लेकिन, सर्वे के बाद जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी करने पर रोक लगा दी गई थी।