नई दिल्ली। कृषि सुधार कानूनों के विरोध में शनिवार को दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक के राष्ट्रव्यापी चक्का-जाम की अपील का आंशिक असर रहा। पंजाब व हरियाणा में इसकी वजह से लोगों को परेशानी पेश आई।
राजस्थान में कांग्रेस के विधायकों और नेताओं ने खुद सड़क पर उतर कर चक्का जाम कराया। देश के अन्य हिस्सों में इसे जन समर्थन नहीं मिला। राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को चक्का जाम से बाहर रखा गया था, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में एहतियातन कड़े इंतजाम किए गए थे।
इस बीच भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि हम सरकार के बातचीत करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि सरकार समझ जाए, हम बातचीत को तैयार हैं। मगर, बातचीत किसी दबाव में नहीं होगी। तीनों कृषि कानून वापस हों और न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाया जाए, तभी घर वापसी होगी। अन्यथा दो अक्टूबर तक विरोध जारी रहेगा।
गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड में हुए उपद्रव और हिंसा से सबक लेते हुए दिल्ली पुलिस बेहद सतर्क थी। लाल किले पर अभेद्य पर सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। कड़े इंतजाम के कारण राजधानी में यातायात पर असर पड़ा और लोगों को बेहद परेशानी हुई। मेट्रो सेवाएं बाधित रहीं। हालांकि दोपहर 3:54 बजे सभी स्टेशन खोल दिए गए और मेट्रो का परिचालन पूरी तरह सामान्य हो गया।