अब और एकलव्य नहीं काटेंगे अपना अगूंठा- चंद्रशेखर

भीम आर्मी के मुखिया और आजाद समाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण जब भी संसद में दाखिल होते हैं तो उनका जलवा जलाल कुछ अलग ही अंदाज का होता है. जो उनकी शैली होती है लोकसभा में बोलने की. वो जनता को प्रभावित करती है. देश के लोग उनको सुनना चाहते हैं. क्योंकि चंद्रशेखर द्ववारा कही गई हर बात संवेदनशील होती है जिसमें जनता का हित होता है. वो हमेंशा सदन के पटल पर जनता के उन मुद्दों को सरकार के सामने रखते हैं, जिनसे देश की एक बड़ी जनसंख्या का सरोकार जुड़ा होता है. देश की संसद में इस समय मानसून सत्र चल रहा है. वित्त मंत्री निर्मला ने देश के सामने बजट भी पेश कर दिया है. तमाम पक्ष और विपक्ष के सांसद संदन सभापति के सामने अपनी अपनी बात रख रहे हैं ,

ऐसे में जब सत्र के पहले दिन नगीना से सांसद चंद्रशेखर को बोलने का मौका मिला तो उन्होने एक ऐसे मुद्दे को सदन में रखा जिसके बारे में शायद ही कभी संसद के किसी भी हाउस में चर्चा हुई होगी, और वो मुद्दा था, m दलित , पिछड़े और कमजोर वर्ग के युवाओं की खेलों में हिस्सेदारी का, कि किस तरह उनको वर्गों के लोगों को जाति के नाम पर, पंथ के नाम पर,  मजहब के नाम पर, कैसी कैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, रावण ने संदन में बोला, कि सरकार को अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़े वर्ग के खिलाड़ियों के प्रतिनिधित्व पर ध्यान देना चाहिए आज ना तो खेलो के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में स्टेडियम हैं ना स्पोर्ट कॉलेज है ना यूनिवर्सिट है और प्रतिभा का कोई मौल ही नहीं है, हम खुद अच्छे खिलाड़ी थे मगर अवसर ही नहीं मिला और संसद आने में भी बहुत समय लगा सड़को पर संघर्ष करना पड़ा, चंद्रशेकर ने अपने स्पीच के आखिर में एक ऐसी भी बात बोली जिसे सुनकर सब हैरान भी हो गए.

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