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PMMODI ने कहा, तब मेरी उम्र 20-22 साल थी जब मैं बांग्लादेश की आजादी के लिए सत्याग्रह शामिल हुआ था

ढाका में बांग्लादेश के राष्ट्रीय दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी ने मुख्य अतिथि के तौर पर लिया हिस्सा

नई दिल्ली।  बांग्लादेश की आजादी की 50वीं वर्षगांठ का जश्न मनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी बांग्लादेश पहुंचे हैं।  बांग्लादेश पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री अपने शेड्यूल के मुताबिक सबसे पहले ढाका में सावर में शहीद स्मारक पहुंचे। वहां उन्होंने एक पौधारोपण किया। वहीं, शहीद स्मारक में पीएम मोदी ने विजिटर्स बुक में संदेश लिखकर अपने हस्ताक्षर किए। जिलके बाद पीएम मोदी ने ढाका में बांग्लादेश के राष्ट्रीय दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्सा लिया।

इस दौरान अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति अब्दुल हामिद, प्रधानमंत्री शेख हसीना और बांग्लादेश के नागरिकों का मैं आभार प्रकट करता हूं।  आपने अपने इन गौरवशाली क्षणों में  इस उत्सव में भागीदार बनने के लिए भारत को सप्रेम निमंत्रण दिया है।

पीएम मोदी ने कहा कि मैं सभी भारतीयों की तरफ से आप सभी को, बांग्लादेश के सभी नागरिकों को हार्दिक बधाई देता हूं।  उन्होंने कहा कि मैं बॉन्गोबौन्धु शेख मुजिबूर रॉहमान जी को श्रद्धांजलि देता हूं, जिन्होंने बांग्लादेश और यहां के लोगों के लिए अपना जीवन न्योछावर किया है।

उन्होंने कहा कि मैं आज भारतीय सेना के उन वीर जवानों को भी नमन करता हूं जो मुक्तिजुद्धो में बांग्लादेश के भाइयों-बहनों के साथ खड़े हुये थे। जिन्होंने मुक्तिजुद्धो में अपना लहू दिया, अपना बलिदान दिया  और आज़ाद बांग्लादेश के सपने को साकार करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।

पीएम मोदी ने कहा कि मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था। बांग्लादेश के मेरे भाइयों और बहनों को  यहां की नौजवान पीढ़ी को मैं एक और बात बहुत गर्व से याद दिलाना चाहता हूं कि  बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना  मेरे जीवन के पहले आंदोलनों में से एक था।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यहां के लोगों और हम भारतीयों के लिए आशा की किरण थे- बॉन्गोबौन्धु शेख मुजिबूर रॉहमान।  बॉन्गोबौन्धु के हौसले ने उनके नेतृत्व ने ये तय कर दिया था कि कोई भी ताकत बांग्लादेश को ग़ुलाम नहीं रख सकती। ये एक सुखद संयोग है कि बांग्लादेश के आजादी के 50 वर्ष और भारत की आजादी के 75 वर्ष का पड़ाव, एक साथ ही आया है।  हम दोनों ही देशों के लिए, 21वीं सदी में अगले 25 वर्षों की यात्रा बहुत ही महत्वपूर्ण है।  हमारी विरासत भी साझी है, हमारा विकास भी साझा है।

आज भारत और बांग्लादेश दोनों ही देशों की सरकारें इस संवेदनशीलता को समझकर  इस दिशा में सार्थक प्रयास कर रही हैं।  हमने दिखा दिया है कि आपसी विश्वास और सहयोग से हर एक समाधान हो सकता है। हमारा Land Boundary Agreement भी इसी का गवाह है।

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