नई दिल्ली। बिहार में एनडीए ने भले ही सरकार बना ली हो, लेकिन एनडीए के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य में अभी तक कैबिनेट का विस्तार नहीं हुआ है। चुनाव में सबसे अधिक सीट जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी ने भले ही वादे के मुताबिक नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बना दिया हो, लेकिन उनकी मौजूदगी पूरी तरह हजम भी होती नजर नहीं आ रही है। इस बीच अरुणाचल में जेडीयू विधायकों का बीजेपी में जाना, बिहार की सियासत को और सुलगा गया है। एनडीए की इस खलबली पर विपक्ष पैनी नजर बनाए हुए है और जीत की दहलीज तक पहुंचने वाली राजद को संभावनाएं नजर आने लगी हैं।
दरअसल, राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी ने सीएम नीतीश कुमार को बड़ा ऑफर देते हुए कहा है कि ‘अगर नीतीश कुमार तेजस्वी को मुख्यमंत्री बना दें तो उनको 2024 में प्रधानमंत्री के लिए विपक्षी पार्टियां समर्थन कर सकती हैं।’
उदय नारायण के इस ऑफर को देखते हुए माना जा रहा है कि आरजेडी चुनाव में मिली हार के बाद भी सरकार में आने की उम्मीद नहीं छोड़ पाई है और ऐसे प्रलोभन देकर एक बार फिर से नीतीश कुमार के साथ जाने के लिए तैयार खड़ी है। अपने इसी मंसूबे के चलते नीतीश कुमार को आरजेडी ने दिल्ली तक भेजने का ऑफर दे डाला है। हलांकि, इसकी कहीं न कहीं इसकी वजह बीजेपी और जेडीयू के बीच बढ़ रही खींचतान भी बताई जा रही है।
बीजेपी को मिलीं ज्यादा सीटें
दरअसल, 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में एनडीए को 125 सीटों पर जीत मिली थी। इनमें 74 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी जबकि जेडीयू 43 पर सिमट गई थी। यानी बीजेपी को जेडीयू से काफी ज्यादा सीटें मिली थीं। बावजूद इसके बीजेपी ने नीतीश कुमार का नेतृत्व ही स्वीकार किया क्योंकि उनके चेहरे पर ही पूरा चुनाव लड़ा गया था। लेकिन नीतीश कैबिनेट में बीजेपी अपनी सीटों के हिसाब से ज्यादा भागीदारी चाहती है। इस बात पर विवाद भी गहरा रहा है। जवाब में जेडीयू ने बीजेपी को 2010 के चुनाव की याद दिलाई है।
रविवार (27 दिसंबर) को पटना में हुई जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश की जगह आरसीपी सिंह को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया। इस मौके पर आरसीपी सिंह ने ताजा विवाद पर बीजेपी को आड़े हाथों लिया। आरसीपी सिंह ने कहा कि आज जो लोग स्ट्राइक रेट की बात कर रहे हैं उन्हें 2010 का चुनाव याद करना चाहिए जब जेडीयू का स्ट्राइट रेट 90 फीसदी था। आरसीपी सिंह ने कहा कि जेडीयू का स्ट्राइक रेट अच्छा होने के बावजूद नीतीश कुमार ने उस वक्त कहा था कि विधानसभा चुनाव से पहले दोनों दलों के बीच जो तय हुआ था उसी के आधार पर मंत्री पद का बंटवारा होगा।
इसके अलावा जेडीयू के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने इस बैठक में ये भी कहा कि हमारी पार्टी किसी की पीठ में छुरा नहीं मारती है, साथ ही हम किसी को मौका भी नहीं देते हैं कि कोई हमारे पीठ में छुरा मार सके। आरसीपी के इस बयान को अरुणाचल प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम से जोड़कर देखा जा रहा है जहां जेडीयू के 6 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए हैं। दूसरी तरफ बीजेपी के पसंदीदा मुद्दे लव जिहाद के खिलाफ कानून पर जेडीयू ने खुद को अलग कर लिया है।
एनडीए गठबंधन अटूट
कुल मिलाकर दोनों दलों के बीच स्थिति फिलहाल काफी नाजुक नजर आ रही है। हालांकि, पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी का कहना है कि एनडीए का गठबंधन अटूट है और नीतीश कुमार सीएम पद के लिए एनडीए के नैचुरल च्वाइस थे। सुशील मोदी ने ये भी कहा है कि अरुणाचल एपिसोड का असर बिहार में एनडीए गठबंधन पर नहीं पड़ेगा। दूसरी तरफ जेडीयू महासचिव केसी त्यागी ने भी कहा है कि अरुणाचल में बीजेपी ने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया है, उसकी जरूरत नहीं थी। साथ ही हमने ये भी स्पष्ट कर दिया है कि बिहार में लव जिहाद पर किसी कानून का सवाल ही नहीं है। लेकिन बिहार में बीजेपी से हमारा गठबंधन मजबूत है।
बहरहाल, तमाम खींचतान के बावजूद एनडीए नेता भले ही गठबंधन मजबूत होने के दावे कर रहे हों लेकिन आरजेडी ने इस कलह के बीच नीतीश के सामने एक बड़ा ऑफर रख संभावनाओं के दरवाजे जरूर खोल दिए हैं।