लोकसभा चुनाव खत्म हो चुके है नतीजे आप के सामने है लेकिन जिस तरहा यूपी में बीजेपी को सीटें मिले है शायद ही इसकी उम्मीद किसी नहीं होगी लोकसबा के नीतजे आने के बाद यूपी में बीजेपी अर्श से पर्श पर दिख रही है और यही कारण की अब यूपी में 2027 विधान सभा चुनाव के लिए पार्टी ने कमर कस ली है क्योंकि अखिलेश अब कम बैक कर चुके है 2027 उनके निशाने पर है वो हर हाल में यूपी से बीजेपी के सफाय का प्लान बना रहे हैंBJP) की सीटें घटने और उम्मीद के मुताबिक नतीजे न आने के बाद आरएसएस एक्टिव हो गया है. आरएसएस का मानना है कि इस नुकसान का कारण बेरोजगारी और पेपर लीक को लेकर युवाओं में बढ़ता आक्रोश है. ऐसे में अब संघ ने रोजगार जैसे मुद्दे पर काम करने का फैसला किया है. इसके लिए लखनऊ में शुक्रवार (28 जून 2024) से तीन दिवसीय एक बैठक बुलाई गई है.
सूत्रों के मुताबिक, संघ पहली बार रोजगार बढ़ाने की योजना पर काम करने जा रहा है. इसमें संघ से सम्बंधित व्यवसायियों और उद्योगपतियों के बीच रोजगार सृजन को लेकर चर्चा की जाएगी. इसमें कुटीर उद्योग पर जोर होगा. बताया जा रहा है कि इस कड़ी में आरएसएस स्वदेशी को बढ़ावा देने का काम भी करेगा. इस काम के लिए लखनऊ में संघ की राष्ट्रीय परिषद की बैठक भी बुलाई गई है.
तीन दिन तक चलने वाली इस बैठक में वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट और स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने पर चर्चा होगी. दलितों पिछड़ों के साथ अब ज्यादा से ज्यादा युवाओं को जोड़ने का काम किया जाएगा. सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने संघ के जिला प्रचारकों के साथ बैठक में तय किया है कि अब संघ भी कॉलेज और यूनिवर्सिटी में अपना काम बढ़ाएगा. इसके लिए सभी जिलों में विधार्थी शाखा लगाई जाएगी. इसके अलावा संपर्क अभियान में भी तेजी लाई जाएगी. बताया गया है कि स्टूडेंट्स को जोड़ने के लिए अभियान भी चलाया जाएगा. इसके लिए संघ नए प्रचारकों को ट्रेनिंग देगा.
बैठक के लिए तय हुआ है कि आरएसएस युवा बिजनेसमैन को भी अपने साथ जोड़ेगा. इसके लिए भी अलग से शाखा की शुरुआत की जाएगी. युवा और प्रौढ़ बिजनेसमैन के लिए अलग-अलग शाखाएं शुरू करने को लेकर जल्द ही बड़ा कदम उठाया जाएगा.
दरहस चुनाव के बाद पहले खबर ये भी आई थी और लोग कयास लगा रहें थे की मिली जानकारी के मुताबिक, संघ से जुड़े कुछ वर्तमान, पूर्व पदाधिकारियों और प्रचारकों के अनुसार इसकी मुख्य वजह यह है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने संघ से बिना परामर्श लिए महत्वपूर्ण निर्णय अकेले ही ले लिए थे। भाजपा ने संघ परिवार की सलाह की अनदेखी करते हुए एक के बाद एक कई ऐसे फैसले कर डाले, जिनसे संगठन की साख और सरोकारों पर विपरीत प्रभाव पड़ना लाजिमी था। इसलिए संघ ने भी चुनाव से किनारा कर लिया। वहीं, अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर भी कुछ मतभेद उभरे। संघ से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद भाजपा ने अपने सियासी फैसलों में संघ परिवार को दरकिनार करना शुरू कर दिया था लेकिन अब जिस तरहा से संघ की राष्ट्रीय परिषद की बैठक भी बुलाई गई है. उस्से अंदाजा लगाया जा सकता है की बजेपी के संग कितना जरूरी है और कितना साथ है क्योंकि संघ ने 2027 की तैयारी अभी से शुरू कर दी है