गोरखपुरः केंद्रीय कानून राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल ने अखिलेश-शिवपाल की मुलाकात पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि अखिलेश-शिवपाल की मुलाकात को उन्होंने दुरभि संधि बताया. उन्होंने कहा कि चाणक्य ने कहा था कि जब कोई राजा बहुत लोकप्रिय हो जाता है, तो दुश्मन का दुश्मन दोस्त के सिद्धांत पर दुरभि संधियां हो जाती हैं. उन्होंने कहा कि अब क्या है कि ‘मुझे कोई और नहीं, मुझे कोई ठौर नहीं.’ इस बात पर है. अब ‘विरासत नहीं करेंगी, सियासत के फैसले, अब उड़ाने तय करेंगी, आसमान किसका होगा.
केन्द्रीय कानून राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल गुरुवार को अघोषित कार्यक्रम के तहत गोरखपुर के सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से मुलाकात करने पहुंचे. उन्होंने उनकी समस्याओं को सुना और समाधान का वायदा भी किया. उन्होंने सिविल कोर्ट में पौधरोपड़ भी किया. इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 2017 से अगर किसी देश के राजनीतिज्ञ ने कुछ खोया है, तो वो शिवपाल सिंह यादव हैं. उन्होंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाई. अखिलेश से 80 सीटें मांगी. फिर 70, 60, 50, 40, 30, 20, 10, 09, 08, 07, 06…01 होते हुए एक भी सीट नहीं मिली.
एसपी सिंह बघेल ने कहा कि आप कहेंगे, तो उन्हें यशवंतनगर की सीट मिली, तो यशवंत नगर की सीट उन्हें साइकिल देकर सपा के टिकट पर चुनाव लड़ाकर अखिलेश यादव ने अपनी सीट को निकलवा लिया है. उनके अध्यक्ष, पत्नी और बेटे को नहीं दिया. ये कह रहे होंगे कि मैनपुरी गढ़ है. तो 2019 का चुनाव भाजपा के लिए सबसे कठिन चुनाव था. क्योंकि सपा और बसपा के गठबंधन की सरकार रही है. दोनों का चुनाव था. उन्होंने कहा कि वे कभी-कभी दुश्मनों की भी तारीफ करते हैं. उन दोनों नेताओं में वोट ट्रांसफर करने की क्षमता रही है.
मुलायम सिंह यादव मैनपुरी लोकसभा महज 94 हजार वोटों से चुनाव जीते थे. बसपा गोरखपुर, चिल्लूपार, पडरौना या बस्ती हो, एक लोकसभा चुनाव में लाख वोट डाल देती है. 2019 में बसपा से गठबंधन नहीं होता, तो वे चुनाव हार गए होते. अबकी बार तो बसपा भी साथ नहीं है. दो और दो राजनीति में चार नहीं होते हैं. जब गठबंधन होता है, तो कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ता है. अब मुलायम सिंह का भी निधन हो गया है, वे नहीं हैं. बसपा नहीं है. न तो उनका मार्गदर्शन मिल रहा है. न वे खुद प्रत्याशी हैं. इसलिए भाजपा ये उप चुनाव वहां पर जीतेगी