नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अंतरधार्मिक विवाह के नाम पर धर्मांतरण रोकने के लिए बनाये गए विवादास्पद कानूनों पर रोक लगाने से साफ-साफ इनकार कर दिया है। हालांकि, याचिकाकर्ता के अनुरोध करने पर विचार करने के लिए राजी हो गया। सुप्रीम कोर्ट अब इन कानूनों की संवैधानिकता की जांच करेगा, जिसके लिए कोर्ट ने राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर इस संबंध में जवाब मांगा है।
बता दें कि विशाल ठाकरे एवं अन्य तथा सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के गैर-सरकारी संगठन सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इन कानूनों को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की थी।
याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यन की बेंच ने कहा कि अगर आरोपी दमनकारी या गलत है तो क्या कानून पर रोक लगाई जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो इन मुद्दों पर चर्चा कर के दलीलें सुनने के पक्ष में है, बजाए कि इसे अभी रोकने के।