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ताजमहल के बंद 22 कमरों में क्‍या है छिपा, इस पर नहीं हो सकी सुनवाई, जयपुर की राजकुमारी का दावा ,ताजमहल उनके पुरखाें की निशानी…

DESK : क्या ताजमहल को भी भगवान शिव के मंदिर को तोड़कर बनाया है।ये सवाल इसलिए क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें अदालत से ताजमहल के उन 22 कमरों को खोलने की मांग की गई है दायर याचिका में कहा गया है कि ताजमहल में मौजूद 22 कमरों को खोलने की मांग की गई है। इससे पता चल सके कि इनके अंदर किसी देवी देवता की मूर्ती या शिलालेख है या नहीं।

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वही जयपुर राजघराने की राजकुमारी व राजसमंद से सांसद दीया कुमारी ने ताजमहल को मुगलों की नहीं उनके पुरखों की विरासत होने का दावा किया है। उन्हाेंने दावा किया है कि ताजमहल की जमीन उनकी पुरखों की थी। मुगलों का उस समय शासन था और उन्होंने इसे ले लिया था। इसके दस्तावेज उनके पाेथीखाने में हैं। उन्होंने बंद तहखाने खुलवाने की मांग की है।

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राजकुमारी दीया कुमारी के दावे की पुष्टि शाहजहां द्वारा राजा जयसिंह को जारी किया गया फरमान भी करता है। शाहजहां ने जिस जगह को ताजमहल के निर्माण के लिए चुना था, वह राजा मानसिंह की थी। इसकी पुष्टि 16 दिसंबर, 1633 (हिजरी 1049 के माह जुमादा 11 की 26/28 तारीख) को जारी फरमान से होती है। शाहजहां द्वारा यह फरमान राजा जयसिंह को हवेली देने के लिए जारी किया गया था। फरमान में जिक्र है कि शाहजहां ने मुमताज को दफन करने के लिए राजा मानसिंह की हवेली मांगी थी। इसके बदले में राजा जयसिंह को चार हवेलियां दी गई थीं। इस फरमान की सत्यापित नकल जयपुर स्थित सिटी पैलेस संग्रहालय में संरक्षित है।

ताजमहल के 22 कमरों को खोलने की याचिका पर नहीं हुई सुनवाई, इलाहबाद हाई कोर्ट ने इस वहज से टाला…

desk : वाराणसी के ज्ञानव्यापी मस्जिद विवाद के बीच अब आगरा के ताजमहल को मंदिर बताने का नया विवाद शुरू हो गया है. यहां तक कि ताजमहल के 22 बंद कमरों को खोलने की मांग को लेकर इलाहबाद हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की गई है. मंगलवार को इस मामले पर कोर्ट में सुनवाई होनी थी लेकिन सुनवाई नहीं हुई. दरअसल, वकीलों की हड़ताल की वजह से मंगलवार को सुनवाई नहीं हो सकी. अब अगली सुनवाई गुरुवार को होने की संभावना है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच में एक याचिका दायर की गई कि ताजमहल में बंद 22 कमरों को खुलवाया जाए, जिसके बाद आज इस मामले की सुनवाई होनी थी. बंद कमरों को खुलवाने की याचिका दायर करने वालों का कहना है कि ताजमहल वास्तव में भोलेनाथ का मंदिर है. इसे तेजोमहालय के नाम से ही जाना जाता था. मुगल आक्रांता ने कब्जा कर इसे मकबरा बनवा दिया. मुगलों ने भारत में सांस्कृतिक आक्रमण किया और अनेकों मंदिरों को तोड़ा. याचिकाकर्ताओं ने इतिहासकार पीएन ओक की पुस्तक का भी जिक्र किया. इसमें कहा गया कि उसमें जो तथ्य दिए गए हैं सिर्फ उन्हीं की जांच मात्र से स्पष्ट हो जाएगा कि ताजमहल वास्तव में शंकर जी का मंदिर था या नहीं.

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दरअसल, ताजमहल को तेजोमहालय मानने वालों का कहना है कि इसके बंद कमरों में हिंदू देवी देवताओं की प्रतिमा है. हालांकि अब तक इसकी कोई तस्वीर सामने नहीं आई है. इसका बड़ा कारण ताजमहल के उन 22 कमरों का बंद रहना कहा जाता है.

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