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गहलोत की तारीफ कर पीएम मोदी ने दिया बड़ा संकेत..कहा -…

DESK:  पीएम मोदी द्वारा सीएम गहलोत की तारिफ करने पर विपक्ष में सियासी हलचल पैदा हो गई है। दरअसल, कांग्रेस शासित राजस्थान में सितंबर में पैदा हुए राजनीतिक संकट पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पार्टी नेता सचिन पायलट ने बुधवार को संकेत दिए कि पार्टी जल्द ही उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगी, जिन्हें

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 जयपुर में पायलट ने कहा कि राजस्थान में अगले विधानसभा चुनाव में केवल 13 महीने बचे हैं और पार्टी विधायक दल (सीएलपी) की बैठक सहित जो भी निर्णय लेने हैं, एआईसीसी उन्हें बहुत जल्द लेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी के नियम और अनुशासन सभी पर लागू होता है। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे जल्द ही इस मामले में फैसला लेंगे।

संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचेतक एवं पीएचईडी मंत्री महेश जोशी और आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर को उस समय नोटिस जारी किए गए थे, जब सचिन पायलट को नया मुख्यमंत्री बनाने की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे के विधायक 25 सितंबर को सीएलपी की बैठक में शामिल नहीं हुए थे और पार्टी के किसी भी कदम के खिलाफ धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक की थी।

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पायलट ने कहा कि अब समय आ गया है कि कांग्रेस राजस्थान में राजनीतिक अनिर्णय की स्थिति को समाप्त करे। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बड़ाई किए जाने पर कटाक्ष करते हुए इसे ‘रोचक घटनाक्रम’ बताया और कहा कि इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।\

पायलट पर भरोसा नहीं…गहलोत ने भी तोड़ी उम्मीदें…RAJ पर कांग्रेस का फोकस

DESK:  आज कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव की लड़ाई में मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के भाग्य का फैसला होगा। इसके बाद पार्टी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके प्रतिद्वंद्वी सचिन पायलट के बीच लंबे समय से चल रही लड़ाई पर ध्यान केंद्रित करेगी। पिछले महीने के अंत में जयपुर में पार्टी के द्वारा बुलाई गई बैठक में 82 कांग्रेसी विधायकों के शामिल नहीं होने के बाद विवाद गहरा गया था। ये विधायक पार्टी द्वारा बुलाई गई बैठक में तो नहीं पहुंचे, लेकिन ये सभी गहलोत के वफादार शांति धारीवाल के आवास पर बुलाई गई एक समानांतर बैठक में भाग लिए।

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अशोक गहलोत लंबे समय से नेहरू-गांधी परिवार के वफादार जाने जाते रहे हैं, लेकिन कहा जाता है कि बीते महीने की सियासी ड्रामेबाजी से गांधी परिवार का भरोसा कमजोर हुआ है। आपको बता दें कि सचिन पायलट ने भी 2020 में गहलोत के खिलाफ बगावत की थी।

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कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि गहलोत के मुख्यमंत्री के रूप में बने रहने के लिए गांधी परिवार बहुत उत्सुक नहीं है, लेकिन वे सचिन पायलट को लेकर भी पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हैं। एक संभावना यह भी है कि पार्टी गहलोत और पायलट से इतर किसी नाम पर सहमति बना सकती है। कांग्रेस ने पंजाब में भी ऐसा ही फॉर्मूला लागू किया था, जो कि पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हुआ था। विधानसभा चुनाव में करारी हार झेलनी पड़ी थी।

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अशोक गहलोत के पास गुजरात चुनाव के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी भी है। वह गुजरात का दौरा करने वाले हैं। उनके राधनपुर में एक रोड शो और एक जनसभा में भाग लेने की संभावना है। उनके 18 अक्टूबर को थरद में एक रोड शो और युवा रैली में भी भाग लेने की उम्मीद है।

सोनिया गांधी के संदेश से गरमाई राजस्थान की सियासत…जानिए संदेश

DESK:  समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का आज दोपहर तीन बजे अंतिम संस्कार किया जाएगा. वहीं इस अंतिम संस्कार में बतशामिल होने के लिए कांग्रेस ने अपने प्रतिनिधि के तौर पर छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ को नियुक्त किया है. सोनिया गांधी ने दोनों को कांग्रेस प्रतिनिधि के तौर पर सैफई जाने के निर्देश दिए हैं.  कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इसके लिए लिखित आदेश निकाला है. वहीं इसके बाद अब राजस्थान की सियासत गरमा गई है.

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सियासी गलियारों में मची हलचल
दरअसल सोनिया गांधी के इस फैसले के बाद सियासी गलियारों में ये हलचल मच गई है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इसमें दरकिनार किया गया है. कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि क्या गहलोत के कांग्रेस आलाकमान से रिश्ते बिगड़ गए हैं.

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अशोक गहलोत होंगे शामिल
माना ये भी जा रहा है कि पिछले महीने राजस्थान में हुए सियासी घटनाक्रम के चलते सीएम गहलोत को मुलायम सिंह यादव के अंतिम संस्कार में कांग्रेस का प्रतिनिधि बनाकर नहीं भेजा है. हालांकि अशोक गहलोत मुलायम सिंह के अंतिम संस्कार में शामिल होंगे, लेकिन कांग्रेस आलाकमान की तरफ से उन्हें नहीं भेजा जा रहा है.

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गहलोत ने मांगी थी माफी
बता दें कि 25 सितंबर को अशोक गहलोत खेमे के विधायकों ने नए सीएम के चयन का अधिकार हाईकमान को देने के लिए बुलाई गई विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर बगावत कर दी थी. इसके बाद अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से प्रस्ताव पारित नहीं करवा पाने पर माफी मांगी और इसकी सार्वजनिक घोषणा की थी. माना जारहा है कि इस घटना के बाद अशोक गहलोत के प्रति गांधी परिवार का विश्वास नहीं रह गया और सोनिया गांधी अब भी नाराज हैं.

राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार इस माह के अंत में होने की उम्मीद

राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार इस माह के अंत में होने की उम्मीद है। अशोक गहलोत सरकार में नए बनने वाले मंत्रियों के नाम और संख्या तय करने को लेकर रविवार को फैसला हो सकता है। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी अजय माकन रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ इस संबंध में बात करेंगे। दोनों नेता कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का संदेश लेकर रविवार को गहलोत के साथ बैठक करेंगे। वेणुगोपाल और माकन इससे पहले पायलट के साथ दिल्ली में बैठक कर चुके हैं। सूत्रों के अनुसार, मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही राजनीतिक नियुक्तियों के लिए नाम भी रविवार को तय होने की उम्मीद है।

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दरअसल, पिछले साल पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे की बागवत को थामने के लिए कांग्रेस के तत्कालीन कोषाध्यक्ष स्वर्गीय अहमद पटेल और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पहल की थी। उस समय पायलट समर्थकों को सत्ता और संगठन में महत्व देने का वादा किया गया था। पायलट आलाकमान पर लगातार दबाव बना रहे थे कि उनसे किया गया वादा पूरा किया जाए, लेकिन मुख्यमंत्री मानने को तैयार नहीं थे। अब सोनिया गांधी के हस्तक्षेप के बाद गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में पायलट समर्थकों को स्थान देने को तैयार हो गए। हालांकि मंत्रियों की संख्या को लेकर अभी खींचतान है। इसी विषय पर सहमति बनाने के लिए वेणुगोपाल व माकन गहलोत के साथ रविवार को बात करेंगे। पहले गहलोत के दिल्ली जाने का कार्यक्रम था। अब वेणुगोपाल और माकन जयपुर में ही सीएम के साथ चर्चा करेंगे।

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राज्य में बन सकते हैं अधिकतम 30 मंत्री

200 सदस्यीय विधानसभा के 15 फीसद के हिसाब से सरकार में 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं। वर्तमान में सीएम के अतिरिक्त 20 मंत्री हैं। इस लिहाज से नौ नए मंत्री बनाए जा सकते हैं। गहलोत चाहते हैं कि पायलट की बगावत के समय उनके साथ रहने वाले बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए छह में से दो और 13 निर्दलीय विधायकों में से दो को मंत्री बनाया जाए। सीएम कांग्रेस के दो से दो अपने समर्थक विधायकों को भी मंत्री बनाना चाहते हैं। वह पायलट खेमे को दो या तीन से ज्यादा मंत्री पर देने के मूड में नहीं है। वहीं, पायलट चार से पांच की मांग कर रहा है। वेणुगोपाल और माकन इसी मद्दे पर सहमति बनाने का प्रयास करेंगे। इस मुलाकात के दौरान आधा दर्जन संसदीय सचिव बनाए जाने को लेकर भी विधायकों के नाम तय होंगे। सूत्रों के अनुसार जिन वरिष्ठ विधायकों को मंत्रिमंडल के स्थान नहीं मिल सकेगा, उन्हें राजनीतिक नियुक्तियों के माध्यम से उपकृत किया जाएगा। संगठन में जिला कांग्रेस कमेटियों के अध्यक्षों की नियुक्तियां भी अलग चार-पांच दिन में होनी है। इस संबंध में माकन ने प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से बात की है।

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वैक्सीन की बर्बादी को लेकर कर्नल राज्यवर्धन ने राजस्थान सरकार से श्वेत-पत्र जारी करने की मांग की

राजस्थान। देश में कोरोना संक्रमण और उससे बचाव को लेकर जारी वैक्सीनेशन अभियान में हो रही वैक्सीन की बर्बादी को लेकर कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने आज वर्चुअल माध्यम से प्रेस वार्ता कर राजस्थान सरकार से श्वेत-पत्र जारी करने की मांग की। उन्होंने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने राजस्थान की मर्यादा को कांग्रेस आलाकमान की चौखट पर रख दिया है।

उन्होंने पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने राजस्थान की मर्यादा को कांग्रेस आलाकमान की चौखट पर रख दिया है। राज्य सरकार सिर्फ अपने आलाकमान की सुनती है और यह भूल गई कि प्रदेश में उनकी सरकार है जबकि आलाकमान विपक्ष में है लगता है इस कारण प्रदेश सरकार भी विपक्ष का ही काम करने में लग गई।

सरकार द्वारा कैबिनेट की मीटिंग में कोरोना आपदा प्रबंधन और जनता की जान किस प्रकार बचानी है इस पर चर्चा नहीं होती। कैबिनेट में ना सांसो का प्रमाण है ना वैक्सीन का इंतजाम, सिर्फ आलाकमान- आलाकमान। सरकार जनता को पूरी तरह से भूलकर सिर्फ आलाकमान की सेवा करने में व्यस्त है।

कर्नल राज्यवर्धन ने कहा कल जोधपुर में 125 करोड़ रूपये के ऑडिटोरियम का शिलान्यास हुआ वह निश्चित रूप से बनना चाहिए था, किन्तु काम की प्राथमिकता भी तय होनी चाहिए। 125 करोड़ रूपये से प्रदेश के लाखों युवाओं का वैक्सीनेशन संभव है किन्तु सरकार की प्राथमिकता में वैक्सीनेशन नहीं है। प्रदेश सरकार बार-बार ब्लैक फंगस का इंजेक्शन फ्री में लगाने की बात कर रही है, लेकिन राज्य सरकार स्वयं अस्पतालों को 10-10 लाख डिपोजिट कर इंजेक्शन खरीदने की बात कर रही है।

राजस्थान सरकार स्वयं ब्लैक फंगस का इंजेक्शन बेच रही है और जनता को कहती है कि हम इंजेक्शन फ्री में दे रहें है। अस्पताल इंजेक्शन खरीद नहीं रहे और मरीज के परिजनों को ही खरीदने के लिए कह रहे है। सरकार स्वयं अव्यवस्था फैलाकर चक्रव्यूह में डालने की कोशिश कर रही है। राजस्थान में ऐसा माहौल बना हुआ है जैसे वैक्सीन ही नही, प्रदेश सरकार भी कचरे के डब्बे में ही पड़ी हुई है। उन्होंने कहा राजस्थान में कोरोना वारियर्स के साथ जितनी नाइंसाफी हो रही है वह कहीं नहीं देखी।

प्रदेश में अनेक ऐसी मौतें हुई है जिसे सरकार कोरोना से नही बताकर अन्य बीमारी से बता रही है, जाहिर है यह सरकार अपनी छवी सुधारने के लिए कर रही है। यह साधारण बात नहीं है क्योकि ऐसा होने से कई परिवारों के बच्चों को पीएम केयर फाॅर चिल्ड्रन फंड का मुआवजा नहीं मिल पाएगा साथ ही राज्य सरकार आगे चलकर कोई मुआवजा तय करती है तो वह भी उन परिवारों को नही मिल पाऐगा।

प्रदेश में वैक्सीन की बर्बादी को लेकर कर्नल राज्यवर्धन ने राज्य सरकार से श्वेत पत्र जारी करने की मांग करते हुए कहा कि राजस्थान की जनता को वैक्सीन की बर्बादी क्यों हुई यह जानने का पूरा अधिकार है, इसलिए वैक्सीन की वाईल्स पर केन्द्र और राज्य सरकार की टीम के द्वारा संयुक्त रूप से जांच होनी चाहिए।

वैक्सीनेशन का काम अन्य कम्पनियों को ठेके पर दिए जाने के सवाल का जवाब देते हुए कर्नल राज्यवर्धन ने कहा कि साधारण व्यक्ति अगर देखे तो उसे यही लगेगा कि अगर किसी को फाॅर्मुला दे दिया जाए तो आसानी से वैक्सीन बनाई जा सकती है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है।

एक आर्टिकल के अनुसार फाईजर वैक्सीन में लगभग 180 प्रकार के अलग-अलग पदार्थ डाले जाते है जो दुनिया के अलग-अलग देशों से आते है और उनकी सीमा भी तय होती है, साथ ही वैक्सीन निर्माण के लिए जिस प्रकार के एक्पर्टस चाहिए वे साधारण तोर पर मिलना मुश्किल है। इसके अलावा मशीने लगाने, इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार होने व कच्चा माल एकत्र करने में भी काफी समय लगता है।

 

 

कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने गहलोत सरकार पर साधा निशाना, वैक्सीन को लेकर राजनीति करने का लगाया आरोप

नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन ने राजस्तान की गहलोत सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में राज्य सरकार ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सेवाओं के आधारभूत ढांचे के विकास के बजाय विज्ञापनों पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। कोरोना काल में केंद्र सरकार ने ही काम किया है।  राज्य सरकार ने तो स्वास्थ्य बजट के करोड़ो रुपये सिर्फ बड़े-बड़े विज्ञापन और होर्डिंग्स पर ही खर्च किए हैं। अगर ये करोड़ों रुपये ग्रामीण क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर चिकित्सा सुविधाओं के लिए खर्च किए होते तो कई लोगों की जान बच जाती, राजस्थान सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

उन्होंने टीकाकरण पर भी राज्य सरकार द्वारा राजनीति करने का आरोप लगाया। कर्नल राज्यवर्धन ने बृहस्पतिवार को झोटवाड़ा और फुलेरा विधानसभा क्षेत्र में जोबनेर, फुलेरा, सांभर और नरेना स्थित कोविड केयर सेन्टर्स का निरीक्षण किया और चिकित्सा उपकरण दिए। उन्होंने चिकित्साकर्मियों का उत्साहवर्धन करते हुए कोरोनाकाल में उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की। फुलेरा विधायक निर्मल कुमावत भी उनके साथ रहे।

पत्रकारों से बातचीत में कर्नल राज्यवर्धन ने कहा कि केंद्र सरकार वैक्सीनेशन पर तेज गति से कार्य कर रही है और भारत में अभी तक 20 करोड़ से अधिक लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है, इतनी तो कई देशों की जनसंख्या भी नही है। यह समय राजनीति करने का नहीं है लेकिन राज्य सरकार वैक्सीनेशन पर सिर्फ राजनीति कर अराजकता की स्थिति बनाने का प्रयास कर रही है। राज्यों के पास लगभग डेढ़ करोड़ से अधिक वैक्सीन पड़ी हुई है और राजस्थान में तो वैक्सीन की 11 लाख से अधिक डोज बरबाद हो चुकी है।

कर्नल राज्यवर्धन ने कहा कि राजस्थान सरकार ने ग्रामीण राजस्थान को बिल्कुल ही नज़रअंदाज कर दिया है। पूरे राजस्थान में लगभग 650 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं, जो ग्रामीण जनता की सेवा कर रहे हैं। लेकिन राज्य सरकार ने कोरोना की लहर आने के बाद से उसमें एक भी पैसा खर्च नहीं किया। आंकड़ों को छुपाने का भी यही कारण है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास 1 करोड़ 58 लाख रुपये खर्च करने के लिए थे लेकिन सरकार ने ग्रामीण राजस्थान में चिकित्सा व्यवस्था के लिए कुछ भी खर्च नहीं किया। अब राज्य सरकार ने वाहवाही लूटने के लिए कोरोना टेस्ट कम कर दिए, जिससे आंकड़ों में कमी दिखा सकें। राज्य सरकार 45 दिनों में होने वाली लैब टेक्नीशियन व सहायक रेडियोग्राफर भर्ती 11 महीने बाद भी पूरी नहीं कर सकी और सरकार आयुर्वेद चिकित्सकों की भर्ती भी भूल गई। चिरंजीवी योजना भी जनता के साथ छलावा है। इस योजना के अंतर्गत निजी अस्पताल लोगों का इलाज ही नहीं कर रहे हैं। राज्य सरकार ने प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना को भी बंद कर दिया।

गौरतलब है कि कर्नल राज्यवर्धन ने जयपुर ग्रामीण में तैयार किए गए 13 कोविड सेन्टरों को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी ली है और इसी के तहत उन्होंने प्रशासन को 100 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, पीपीई किट, एन 95 मास्क, सेनिटाइजर और ग्लब्स सहित विभिन्न चिकित्सा उपकरण उपलब्ध करवाए हैं, जिनमें से गुरुवार को जोबनेर, फुलेरा, सांभर और नरैना स्थित कोविड केयर सेन्टर्स पर 12 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 100 पीपीई किट, सर्जिकल मास्क, एन-95 मास्क, सैनिटाइजर सहित आवश्यक चिकित्सा उपकरण पहुंचाए गए। कर्नल राज्यवर्धन लगातार प्रशासन और चिकित्सकों से संपर्क में रहते हुए आवश्यकता अनुसार सुविधाएं उपलब्ध करवा रहे हैं।

 

राजस्थान में गरमाई सियासत, 8 महीने बाद सीएम गहलोत ने कबूला फोन टैप करने की बात

नई दिल्ली। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार ने अखिरकार आठ महीनों बाद कबूल किया कि पिछले साल जुलाई में सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस विधायकों के फोन टेप किए गए थे। सरकार ने विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि सक्षम स्तर से मंजूरी लेकर फोन टेप किए जाते हैं।

पिछले साल जुलाई में कांग्रेसी नेता सचिन पायलट बनाम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच चल रही सियासी तनातनी के दौरान फोन टैपिंग का मुद्दा उठा था। मुख्यमंत्री गहलोत ने आरोप लगाया था कि भारतीय जनता पार्टी विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रही है। वहीं इस मुद्दे के उठने के बाद अगस्त, 2020 में विधानसभा सत्र में पूर्व शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ ने यह सवाल पूछा था, क्या यह सच है कि पिछले दिनों फोन टैपिंग के मामले सामने आए हैं, अगर हां तो किस कानून के तहत और किसके आदेश पर ये कार्रवाई की गई थी? पूरी जानकारी सदन के पटल पर रखी जाए?

गहलोत ने कबूली फोन टैप करने की बात

विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने पुष्टि की कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के नेताओं के फोन टेप किए गए थे। गहलोत सरकार ने कहा कि सक्षम स्तर से मंजूरी लेकर फोन टेप किए जाते हैं। फोन इंटरसेप्टेड भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की धारा 5 (2), भारतीय टेलीग्राफ (संशोधन) नियम, 2007 की धारा 419 (ए), साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69 के प्रावधानों के तहत ये कदम उठाए गए थे।

यूं उठा फोन टैप करने का मुद्दा

बता दें कि एक केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेताओं के बीच फोन पर हुई बातचीत का ऑडियो पिछले साल जुलाई में वायरल हुआ था। इसके बाद राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया था। भाजपा और बसपा ने भी गहलोत सरकार पर अवैध फोन टैपिंग का आरोप लगाया था। वहीं सियासी संकट के दौरान फोन टैपिंग से जुड़े तीन ऑडियो वायरल को लेकर गहलोत गुट का कहना था कि इसमें भंवरलाल शर्मा, गजेंद्र सिंह शेखावत और विश्वेंद्र सिंह की आवाज है, जिसके बाद आरोप- प्रत्यारोप की राजनीति लगातार तेज होती गई।

राजस्थान : अजमेर में गहलोत सरकार के खिलाफ BJP कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन

अजमेर। राजस्थान के अजमेर जिले में शनिवार को भाजपा कार्यकर्ताओं ने गहलोत सरकर के खिलाफ प्रदर्शन कर जमकर नारेबाजी की। भाजपाइयों ने जिला कलेक्टर को राज्यपाल के नाम का ज्ञापन सौंपकर राज्य की गहलोत सरकार पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया।

प्रदर्शन कर रहे भाजपाइयों ने कहा कि गहलोत सरकार दो साल में ही जनता का विश्वास खो चुकी है। सत्ताधारी दल के विधायकों में गुटबाजी और असंतोष, अविश्वास के कारण गहलोत सरकार दो हिस्सों में बंटी है। जिससे प्रदेश का विकास छोड़कर एक दूसरे को नीचा दिखाने में जुटे हैं।