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महिलाओं को लेकर बाबा रामदेव के बयान पर बवाल… सैनिक दल की महिलाओं ने किया प्रदर्शन

DESK:  भारत सरकार लगातार महिलाओं के सम्मान एवं सुरक्षा के उद्देश्य से बहुत से कानून पास कर चुकी है। लेकिन इसके बावजूद भी कुछ तुच्छ मानसिकता वाले लोग महिलाओं के आदर एवं सम्मान को ठेस पहुंचाने से बाज नहीं आते , देश में महिलाओं के सम्मान में माननीयों के द्वारा टिप्पणी लगातार देखी जाती हैं। भारत सरकार को भी महिलाओं के सम्मान में टिप्पणी करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

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दरअसल मामला अलीगढ़ का है जहां समता सैनिक दल की महिलाओं ने बाबा रामदेव के द्वारा महिलाओं के सम्मान में दी गई अभद्र टिप्पणी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। महिलाओं ने बाबा रामदेव का पुतला भी फूंका महिलाओं के द्वारा पुतला फूंकने के दौरान प्रशासन से भी तर्क वितर्क हुआ। समता सैनिक दल के प्रदेश अध्यक्ष सुमन गौतम का कहना था कि महिलाओं के सम्मान में बाबा रामदेव के द्वारा अभद्र टिप्पणी जो की गई है । उसके खिलाफ लगातार हमारा विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।

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सुमन गौतम ने राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपने की भी बात कही, समता सैनिक दल की प्रदेश अध्यक्ष सुमन गौतम ने बताया कि जिस तरीके से हम यहां अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं । प्रशासन ने हमें जेल में बंद करने की भी बात कही यदि हम शांतिपूर्ण ढंग से महिलाएं बाबा रामदेव की अभद्र टिप्पणी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। तो हमें जेल भिजवाने की बात प्रशासन कर रहा है । लेकिन बाबा रामदेव के द्वारा की गई अभद्र टिप्पणी के खिलाफ अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई तो हम और उग्र आंदोलन करेंगे।

…तो आयुर्वेद और भाजपा से नफरत है रामदेव की आलोचना ? पढ़िए पूरी खबर  

डॉ.जॉनरोज ऑस्टिन जयलाल की अध्यक्षता में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने योग गुरु स्वामी रामदेव पर एक और तीखा हमला किया। जिसमें एलोपैथी को खारिज करने वाले उनके बयानों पर 1000 करोड़ रुपए का मानहानि का मामला दर्ज किया गया है।

बता दें कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन,स्वास्थ्य कर्मियों की देश की सबसे बड़ी प्रोफेशनल काउंसिल है। स्वामी रामदेव द्वारा आईएमए पर 25 सवाल दागे जाने के बाद यह कदम उठाया गया है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि यह पहली बार नहीं है जब स्वामी रामदेव आईएमए,विशेष रूप से उनके प्रमुख डॉ. जयलाल के निशाने पर आए हैं। डॉ. जयलाल न केवल रामदेव की आलोचना कर रहे हैं, बल्कि आदतन आयुर्वेद और भाजपा से नफरत करने वाले भी हैं।

जयलाल लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर निशाना साधते हुए अपनी विचारधारा और मंशा को उजागर करने वाली खबरें (कुछ तो फेक भी), कार्टून और हैशटैग साझा करते रहते हैं।

जैसा कि देखा जा सकता है कि डॉ. जयलाल पीएम पर कटाक्ष करने के लिए अक्सर मोदी विरोधी पोस्ट और कार्टून साझा करते हैं। IMA के प्रमुख के रूप में, उन्होंने अपने राजनीतिक झुकाव को साफ तौर पर स्पष्ट किया है। अब यहाँ सवाल उठता है कि क्या उनका बयान उनके विचारधारा को नहीं दर्शाता है?

जब तमाम देश विरोधी लोग कोवैक्सीन पर सवाल उठा रहे थे तो IMA ने षड्यंत्र के तहत एक आपराधिक चुप्पी साध रखी थी। ईसाई डॉक्टर सक्रिय और आक्रामक रूप से स्वामी रामदेव और उनकी कंपनी को महामारी की शुरुआत के बाद से परेशान कर रहे हैं। उनको ‘झोलाछाप डॉक्टर’ कहने से लेकर आयुर्वेद को पूरी तरह बदनाम करने तक डॉ. जयलाल काफी समय से इस काम पर लगे हुए हैं।

उन्होंने आयुष मंत्रालय पर भी लगातार हमले किए हैं और उन्होंने आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी करने की अनुमति देने वाले केंद्र के खिलाफ विरोध अभियान शुरू किया था। इसे ‘SayNoToMixopathy’ अभियान कहते हुए, उन्होंने महामारी के बीच नए नियम की आड़ में आयुर्वेद की निंदा करने वाले साक्षात्कार,व्याख्यान और सेमिनार देने में महीनों बिताए।

आईएमए के डॉक्टरों ने नई अधिसूचना के विरोध में भूख हड़ताल की और ‘मीम एवं पोस्टर’ प्रतियोगिता भी आयोजित की, जिसमें विरोध को हवा देने के लिए विजेताओं को ‘उपहार’ बाँटे गए। डॉ. जयलाल द्वारा साझा किए गए एक स्क्रीनशॉट से पता चलता है कि कैसे इसे कृषि विधेयक बनाने की योजना बनाई जा रही थी क्योंकि ‘इस भूख हड़ताल से कुछ नहीं हो सकता था।’ जयलाल ने सरकार की आलोचना के लिए किसानों के विरोध को भी समर्थन दिया।

डॉ. जयलाल के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक नजर

लोगों को लगता होगा कि चिकित्सा संगठन का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर का सोशल मीडिया प्रोफाइल उपचार, इलाज और चिकित्सा प्रगति को लेकर भरा होगा, लेकिन डॉ. जयलाल की ट्विटर प्रोफाइल देखकर कोई भी आश्चर्यचकित हो जाएगा।

जिन्हें मेडिकल टेस्ट और दवाइयों पर 30% कमीशन चाहिए वो लोग तो आयुर्वेद जैसी सस्ती चिकित्सा पद्धति पर चिड़ेंगे ही। ये तो तब भी और अब भी चिढ़ रहे हैं सरकार से या उससे जो इनकी कमाई में बाधक बन रहे। जैसे प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खुले तब पीएम से और बाबा रामदेव से इसलिए कि योग से रोग खत्म कर रहे हैं और इनकी कमाई कम कर रहे।

IMA प्रमुख का लक्ष्य अधिक से अधिक लोगों को ईसाई धर्म स्वीकार करने के लिए तैयार करना है।  डॉ. जयलाल ने खुलासा किया था, “इस लॉकडाउन के बाद, भगवान की कृपा, अधिक से अधिक लोगों को चर्च में उनके लिए आशीर्वाद के स्थान के रूप में देखने के लिए प्रेरित करें। भारतीय ईसाई सर्वशक्तिमान ईश्वर की भलाई के संदेश और अपने जीवन में मोक्ष की आशा में भरोसा कर सकते हैं।”

बता दें कि एक इंटरव्यू में, जब पूछा गया कि ईसाई समुदाय का हिंदू राष्ट्रवादियों के साथ क्या संबंध है, तो डॉ. जयलाल ने सुझाव दिया कि हिंदुओं को यीशु और मुहम्मद को अपने भगवान के रूप में स्वीकार करना चाहिए क्योंकि उनका धर्म बहुदेववाद पर आधारित है। चूँकि हिंदू कई भगवानों में विश्वास करते हैं, इसलिए डॉ. जयलाल का मानना ​​है कि उनके लिए सहिष्णुता प्रदर्शित करना और ईसाई एवं इस्लामी प्रथाओं को आत्मसात करना मुश्किल नहीं है।

डॉ. जयलाल ने कहा, “हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि हिंदू धर्म या हिंदुत्व, बहुदेववाद के कारण अन्य धर्मों से अलग है। वे विभिन्न देवताओं को स्वीकार करते हैं। उन्हें यह स्वीकार करने या घोषित करने में कोई कठिनाई नहीं है कि यीशु देवताओं में से एक हैं या मुहम्मद देवताओं में से एक हैं। इसलिए अन्य देशों की प्रणालियों के साथ तुलना करने पर धार्मिक प्रतिबंध कम होते हैं। मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि भारत में यह उतना मुश्किल नहीं है।”

उन्होंने आगे कहा, “एक ईसाई के रूप में, एक अवसर जिसे मैं चिकित्सा संघ में शामिल करने में सक्षम था, वह है पारिवारिक चिकित्सा की अवधारणा। मुझे लगता है कि सर्विस के सिद्धांतों के तहत ईसाई धर्म के उदाहरण के साथ देश का नेतृत्व करने का यह एक अच्छा अवसर है। हालाँकि इस देश में ईसाइयों की आबादी 2.5 से 3 प्रतिशत से भी कम है। एक ईसाई डॉक्टर के रूप में, मुझे इस संगठन का नेतृत्व करने का सौभाग्य मिला है। मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि मुझे इस देश को चिकित्सा पेशे में नेतृत्व करने के लिए ज्ञान और साहस प्रदान करें।”

हिंदुओं को ईसाई बनाने के लिए अस्पतालों का इस्तेमाल करें :

जयलाल ने दावा किया था कि ईसाई डॉक्टरों को ‘समग्र उपचार’ प्रदान करने की एक विशेष क्षमता प्राप्त है जिसमें आध्यात्मिक, मानसिक और सामाजिक उपचार शामिल हैं। उन्होंने कहा था, “आम तौर पर चिकित्सा पेशे में हम शारीरिक इलाज के बारे में बात करते हैं। लेकिन एक ईसाई के रूप में, मेरा मानना ​​​​है कि हम यहाँ केवल शारीरिक रूप से ठीक होने के लिए नहीं हैं, बल्कि सर्वशक्तिमान ईश्वर ने हमें समग्र उपचार देने के लिए बुलाया है, जिसमें आध्यात्मिक उपचार, मानसिक उपचार और सामाजिक उपचार शामिल हैं।”

डॉ. जयलाल यहाँ जो कह रहे हैं, वह यह है कि ईसाई डॉक्टरों को उनके विश्वास के आधार पर न केवल शारीरिक इलाज बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक उपचार करने की असाधारण क्षमता का उपहार दिया जाता है। इसके बाद उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्ष संस्थानों, मिशनरी संस्थानों और मेडिकल कॉलेजों में अधिक ईसाई डॉक्टरों को काम करने की आवश्यकता है, जो रोगियों को ‘ईसाई उपचार’ प्रदान कर सकते हैं।

यदि डॉ. जेए जयलाल के कथनों पर विश्वास किया जाए, तो वे ‘धर्मनिरपेक्ष संगठनों’ में कमजोर और लाचार लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए मिशनरी उत्साह को बरकरार रखते हैं और हिंदू राष्ट्रवाद और भारत सरकार की अवमानना ​​करते हैं। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने ‘उन लोगों को ईसाई सिद्धांतों की घोषणा की तत्काल आवश्यकता प्रदान की है जो वायरस से पीड़ित हैं, हमें धर्मनिरपेक्ष संस्थानों में भी इन ईसाई सिद्धांतों को साझा करने की अनुमति दी है।’

ईसाई मजहबी गतिविधियों को आगे बढ़ाने वाले JA जयलाल की अध्यक्षता वाले ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA)’ हाथ धो कर स्वामी रामदेव के पीछे पड़ा है। मरीजों के इलाज के लिए और लोगों को स्वस्थ रखने के लिए कौन सी पद्धति बेहतर है,ये तो बड़ी चर्चा का विषय है और इस पर सभी की राय अलग-अलग हो सकती है। लेकिन, प्राचीन काल से ही आयुर्वेद करोड़ों लोगों के लिए वरदान बन कर कार्य कर रहा है, इस पर शायद ही किसी को शक हो।

एलोपैथी शब्द का ही इस्तेमाल 19वीं शताब्दी (सन् 1852) में शुरू हुआ, जबकि आयुर्वेद भारत में पिछले कई हजार वर्षों से सफलतापूर्वक लोगों का इलाज कर रहा है। IMA को चाहिए कि वह आयुर्वेद व एलोपैथी साथ कैसे कार्य कर सकते हैं, इस पर आगे बढ़े। उसे उन सवालों के जवाब भी देने चाहिए जो ईसाई धर्मांतरण को लेकर उसके अध्यक्ष पर लगे हैं। साथ ही यह भी जगजाहिर है कि लोगों के बीच यह धारणा गहरे तक है कि डॉक्टर फार्मा कंपनियों के हाथों की कठपुतली बने हुए हैं।

आयुर्वेद को खारिज करने की जगह आईएमए को इन धारणाओं को तोड़ने के लिए कारगर कदम उठाने चाहिए। IMA ये भी बताए कि उसके अध्यक्ष के बयान मानें या मेडिकल दिशा-निर्देशों को? वे कोरोना के प्रकोप के कम होने के लिए भी जीसस को ही क्रेडिट देते हैं। उन्होंने कहा था कि जीसस की कृपा से ही लोग सुरक्षित हैं और इस महामारी में उन्होंने ही सभी की रक्षा की है। क्या IMA भी दवाओं, इंजेक्शन, सर्जरी, ऑक्सीजन सिलिंडर्स इत्यादि को त्याग यही इच्छा रखता है?

जब एलोपैथी का जन्म भी नहीं हुआ था और एलोपैथी दवा बनाने वालों के पूर्वज भी जंगलों में रहते थे, तब चरक और सुश्रुत जैसे विद्वानों ने संक्रामक रोगों के बारे में न सिर्फ बताया था, बल्कि इससे बचाव के उपायों पर भी चर्चा की थी। आज जब ये चर्चा हो रही है कि कोरोना वायरस को चीन के वुहान स्थित लैब में बनाया गया था, ये मानव निर्मित है, ऐसे में हमें आयुर्वेद के जनकों की बातें जाननी चाहिए।कई हजार वर्ष पूर्व संक्रामक महामारी को लेकर आयुर्वेद ने किया था आगाह BHU और उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के विद्वानों ने अप्रैल 2020 में एक रिसर्च पेपर तैयार किया था, जिसमें प्राचीन काल के आयुर्वेदिक साहित्य में संक्रामक रोगों का जिक्र होने की बात कही गई थी। संक्रामक रोग, अर्थात सूक्ष्म जीवों द्वारा फैलाए जाने वाले रोग। वे रोग, जो एक जीव से दूसरे जीव में जा सकता है। ये वातावरण के जरिए जानवरों या पेड़-पौधों के माध्यम से इंसान के शरीर में प्रवेश कर सकता है।

स्वच्छ जल का न उपलब्ध होना, शौचालय न होना या मल-मूत्र जैसे अवशिष्ट पदार्थों को ठिकाने लगाने की उचित व्यवस्था न होना, भोजन-पानी में हाइजीन न होना और आसपास का वातावरण प्रदूषित होने से संक्रामक रोग जन्म ले सकते हैं। बाढ़ और सूखे जैसी स्थिति में ये रोग आ सकते हैं या फिर युद्ध या औद्योगिक दुर्घटनाओं की स्थिति में ये मानव निर्मित भी हो सकता है। इसी को आयुर्वेद में जनपदोध्वंस कहा गया है।

इसमें एक पूरे इलाके के लोग किसी रोग से ग्रसित हो जाते हैं, जो संभवतः संक्रामक स्वभाव का होता है। कोरोना वायरस ठीक उसी तरह है। जनपदोध्वंस में रोग वायु, जल और मिट्टी से फ़ैल सकता है। काल, अर्थात मौसम के हिसाब से इसके खतरे बढ़-घट सकते हैं। इतिहासकार कहते हैं कि चरक संहिता 200 BCE की पुस्तक है, लेकिन हिन्दुओं का मानना है कि ये इससे भी कहीं अधिक प्राचीन है।

संक्रामक रोगों के विषय में ये क्या कहता है, आइए जानते हैं। इसमें इसका कारण ‘अधर्म’ को बताया गया है, अर्थात ईमानदारी के साथ प्रकृति और राष्ट्र के नियमों का पालन न करना। आज के जमाने के हिसाब से समझिए तो प्रदूषण से लेकर ग्लोबल वॉर्मिंग तक जैसी चीजें मानव निर्मित कारणों से ही हैं। इसी तरह 800 BCE के माने जाने वाले सर्जरी के जनक सुश्रुत ने इन्हें ‘औपसर्गिक रोग’ नाम दिया है।

आज डॉक्टर से लेकर कई वैज्ञानिक भी कह रहे हैं कि कोरोना वायरस या तो चीन का ‘बॉयो हथियार’ है या फिर वुहान के लैब से गलती से लीक हुआ है और इसे ढकने के लिए उसने अपना प्रोपेगेंडा चलाया। चरक जिस ‘अधर्म’ की बात कर रहे थे, कहीं ये वही तो नहीं? उन्होंने ऐसे संक्रामक रोगों के लिए मानव निर्मित कारणों को यूँ ही नहीं जिम्मेदार ठहराया था, जो पूरी की पूरी जनसंख्या को निगल सकते हैं।

वो लिखते हैं कि कुष्ट रोग, ज्वर और शोष (एक प्रकार की निर्बलता) इस तरह की बीमारियाँ हो सकती हैं। फिर उन्होंने बताया है कि कैसे लोगों के एक-दूसरे से संपर्क में आने, आसपास उसी हवा में साँस लेने, एक ही भोजन को अलग-अलग लोगों द्वारा खाने, साथ में सट कर सोने, बैठने, कपड़ों या माल्यार्पण और एक ही चंदन का लेप लगाने (अब इसे साबुन समझिए) से ये रोग फ़ैल सकता है। इसमें स्पष्ट लिखा है कि आसपास की चीजें गंदी होने से ये रोग फैलते हैं, जो आज भी वैज्ञानिक मानते हैं।

घर, बिस्तर अथवा गाड़ी जैसे चीजों की उचित साफ़-सफाई न करने से ऐसे रोग फैलते हैं। आज भी हमें यही कहा जा रहा है कि आसपास की हर चीज को सैनिटाइज कर के रखें। ‘चरक संहिता’ में भी स्पष्ट लिखा है कि भोजन या एक-दूसरे को छूने के जरिए फैसले वाले खतरनाक रोग किसी क्षेत्र में पूरी जनसंख्या की जान ले सकते हैं। दूषित पौधों या जल से होने वाले रोगों को तब ‘मारक’ नाम दिया गया था।

इसी तरह ईसा के जन्म से 100 वर्ष पूर्व के माने जाने वाले महर्षि भेला ने अपनी संहिता में ऐसे रोगों के बचने के लिए पंचकर्म की बात की है – मुँह के द्वारा उलटी कर के अवांछित पदार्थों को बाहर निकालना, शरीर से अवांछित पदार्थों को अन्य मार्गों से बाहर निकालना, नाक की सफाई या नाक के मार्ग से दवा लेना, वस्तिकर्म (Enema) और अचार-विचार का पालन करना। इसमें साफ़-सफाई के अलावा ज्वर में गर्म पानी पीने के महत्व पर प्रकाश डाला गया है, जिसकी सलाह आज हमें आधुनिक विज्ञान भी दे रहा है।

यही कारण है कि आयुर्वेद में दिनचर्या और रात्रिचर्या के अलावा ऋतुचर्या की भी बात की गई है। विद्वानों का मानना है कि ‘अष्टांग आयुर्वेद’ की विधियों में से 3 तो विशेषतः महामारी से निपटने के लिए ही बनाए गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी आयुर्वेद को मान्यता देता है और मानता है कि वैदिक उपचार व्यवस्था विश्व की सबसे प्राचीनतम विधा में से एक है। WHO इसे 3000 वर्ष पुराना मानता है। तक्षशिला विश्वविद्यालय में आयुर्वेद के लिए एक अलग विभाग ही था।

आयुर्वेद जीवन जीने की पद्धति भी सिखाता है। विश्व की सबसे प्राचीन पुस्तक ऋग्वेद में भी पेड़-पौधों के सही उपयोग को लेकर कई चीजें लिखी हुई हैं। आत्रेय और धन्वन्तरि जैसे वैद्यों ने 3000 से भी अधिक वर्ष पूर्व आयुर्वेदिक पद्धतियों को आगे बढ़ाया। WHO आयुर्वेदिक पद्धति में प्रशिक्षण की भी व्यवस्था कर रहा है। ‘ट्रेडिशनल मेडिसिन’ का मुख्य सेंटर भारत में संस्था द्वारा खोला जा रहा है। WHO ने आयुर्वेद व इसके प्रशिक्षण की जानकारी देते हुए एक पेपर भी प्रकाशित किया था।

ऐसे में जब बाबा रामदेव कई रोगों के स्थायी समाधान को लेकर एलोपैथी के ठेकेदारों से सवाल पूछते हैं तो इसमें दम लगता है। उनका सवाल बस इतना है कि है BP, डायबिलिज टाइप-1,2, थायराइड, अर्थराइटिस, अस्थमा, हार्ट ब्लॉकेज अनिद्रा, कब्ज, पायरिया जैसे कई रोगों के लिए क्या कोई दवा है? उनका कहना है कि कई बीमारियों में तो सर्जरी ही एकमात्र उपाय है। IMA को चाहिए कि वो मिशनरी चंगुल से बाहर निकले नही तो उसकी जाँच तो होनी ही चाहिए।सभी देशप्रेमी चिकित्सक आईएमए को ‘अंतरराष्ट्रीय मिशनरी एसोसिएशन’ बनने से बचाने के लिए आगे आयें।

लेकिन हमें अपनी संस्कृति, सभ्यता,अपनी सनातनी चिकित्सा पद्धिति के लिए जागरूक करना भी देशद्रोह है तो मैं चाहता हूं कि IMA पर भी मुकददमा दर्ज हो जो लोग एलोपैथी इलाज के बावजूद इस दुनिया मे नहीं रहे।

IMA ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिख कर योगगुरु स्वामी रामदेव पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की मांग की औऱ मैं चाहता हूं की IMA से जुड़े सभी लोगो की संपत्ति की जाँच होनी चाहिए कितने लोग सहमत हैं..?

(विजय कुमार यादव  की कलम से)  

गोरखपुर : योग गुरू बाबा रामदेव के खिलाफ कांग्रेस ने खोला मोर्चा, किया प्रदर्शन

गोरखपुर। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बेतियाहाता स्थित बजाज पार्क के सामने पेट्रोल पंप के पास आज योग गुरू बाबा रामदेव के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं ने इस दौरान पेट्रोल डीजल और रसोई गैस के दामों में हुई बढ़ोत्तरी के विरोध में जमकर नारेबाजी की।

बता दें कि कांग्रेस पार्टी अब तक महानगर के विभिन्न जगहों पर भाजपा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करती आ रही है, लेकिन आज कांग्रेस पार्टी ने बाबा रामदेव पर निशाना साधा। बाबा रामदेव के पोस्टर पर लिखा था कि अगर आज देश में भाजपा की सरकार होती तो पेट्रोल 30 रूपये लीटर और डीजल 17 रूपये लीटर बिक रहा होता। यह बयान बाबा रामदेव ने वर्ष-2013 में दिया था। उस समय केंद्र में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी। कांग्रेसियों ने बाबा रामदेव के उसी बयान को आधार बनाकर आज बाबा रामदेव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष आशुतोष तिवारी ने कहा कि आज भाजपा की सरकार है आप पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी लाइए, जिससे देश की जनता को महंगाई से निजात मिल सके। आशुतोष तिवारी ने कहा कि बाबा रामदेव देश की जनता को बरगलाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने मीडिया के माध्यम से बड़े ही विश्वसनीय ढंग से कहा था कि अगर केंद्र में बीजेपी की सरकार बनती है तो पेट्रोल का दाम ₹35 प्रति लीटर होगा, गैस सिलेंडर का दाम कम होगा सब्सिडी मिलेगी, लेकिन आज उसका उल्टा हुआ। बीजेपी सरकार केवल पूजीपतियों को फायदा पहुंचाई है। यह सरकार जनता को छलावा देकर पिछले 7 वर्षों से राज कर रही है। , आज पेट्रोल का दाम देश में 100 रुपए से ऊपर हो गया है और जो बाबा रामदेव ने वादा किया था आज उनके वादे को लेकर के हम लोग उन पर फोटो लगाकर हम गोरखपुर के कांग्रेस जन यह मांग करते कि हे बाबा रामदेव आप अवतरित होइए और आपने जो वादा किया था, जनता के बीच में जाकर आप ने उन्हें भरोसा दिलाया था, कि देश को ₹35 लीटर पेट्रोल मिलेगा वह वादा कहां गया।

 

बाबा के चक्कर में फंसे स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और नितिन गडकरी, आईएमए ने भी उठाए सवाल

कोरोना की दवा बनाने के नाम पर बाबा रामदेव एक बार फिर से विवादों में घिर गए हैं। सिर्फ बाबा रामदेव ही नहीं बल्कि देश के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और विश्व स्वास्थ्य संगठन के एग्जिक्यूटिव बोर्ड के चेयरमैन डॉक्टर हर्षवर्धन को भी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन समेत कांग्रेस पार्टी ने निशाने पर ले लिया है। कांग्रेस ने जहां केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन से इस्तीफे की मांग कर डाली है, वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी डॉ. हर्षवर्धन पर सवालों की बौछार कर दी।

 

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि जिस दवा की विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से कोई प्रमाणिकता नहीं है और दवा निर्माता कंपनी उस दवा को विश्व स्वास्थ्य संगठन से प्रमाणित बताकर झूठ बोलती है, उस दवा की लॉन्चिंग की मौजूदगी में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का होना बहुत शर्मसार करता है। सुरजेवाला ने कहा जो सूचना ही गुमराह करती हो, जिसकी कोई वैधानिकता नहीं है और जो पूरी तरीके से गलत है, ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा लेकिन यह मोदी सरकार का नया भारत है। ऐसे कार्यक्रम में केंद्र के दो-दो कद्दावर मंत्रियों का होना बताता है कि देश की जनता को कैसे अंधेरे में रखा जा रहा है।

 

सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को आड़े हाथों लिया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने अपने बयान में कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को ऐसे अवैज्ञानिक तरीके से पुष्ट की गई दवा की लॉन्चिंग के कार्यक्रम में नहीं जाना चाहिए। एसोसिएशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से पूछा है कि अगर रामदेव की दवा इतनी ही प्रभावी है, तो देश में 35 हजार करोड़ रुपये खर्च करके वैक्सीनेशन क्यों किया जा रहा है।

 

देश भर के डॉक्टरों के संगठन आईएमए ने सवाल उठाते हुए यह भी कहा कि रामदेव की यह दवा अगर वैज्ञानिक पद्धति से शोध और एविडेंस बेस्ड है तो उसके प्रमाणों को सामने लाना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बाबा रामदेव के दावों को पूरी तरीके से खारिज कर दिया है। जिसने पतंजलि के विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से दवा की प्रमाणिकता की बात कही थी।

उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने बाबा रामदेव पर झूठ बोलने और लोगों को गुमराह करने के लिए दिल्ली पुलिस से कार्रवाई करने की भी मांग की है। शिव प्रताप सिंह ने ट्वीट करते हुए दिल्ली पुलिस को टैग किया है और कहा है कि यह अंतर्राष्ट्रीय धोखाधड़ी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के नाम पर फर्जी सूचना फैलाई गई और लोगों को गुमराह किया गया। सिंह ने दिल्ली पुलिस से कहा है कि बाबा रामदेव को इस आरोप में गिरफ्तार किया जाना चाहिए।

 

हरिद्वार :  बहादराबाद पतंजलि योग पीठ में बाबा रामदेव ने फहराया 108 फिट का तिरंगा

हरिद्वार। बहादराबाद स्थित पतंजलि योग पीठ में आज योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने 72वे गणतंत्र दिवस के मौके 108 फिट का तिरंगा फहराया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में योग गुरु बाबा रामदेव के अनुयायी पतंजलि का स्टाफ और स्कूली छात्र छात्राएं सभी धर्मों के धर्म गुरु मौजूद रहे।

इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। वहीं,कार्यक्रम को दौरान अपने संबोधन में बाबा रामदेव ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जमकर निशाना साधा। रामदेव ने कहा कि ममता बनर्जी अगर बंगाल में अपनी सत्ता बचाना चाहती हैं तो वह राम और कृष्ण को भी उतना महत्व दें जितना वह इस्लाम को देती हैं। बाबा रामदेव ने किसान और सरकार के बीच चल रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए भगवान से प्रार्थना करते हुए सरकार से इस गतिरोध को खत्म करने का आह्वान किया। इसके अलाव बाबा रामदेव ने कहा कि अपनी संस्कृति और सभ्यता को बचाने के लिए योग गुरु अब शिक्षा क्षेत्र में भी क्रांति लाएंगे।