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किसान आंदोलनः एक बार फिर से ‘भारत बंद’ का ऐलान, आंदोलन के 4 महीने पूरे होने पर होगा भारत बंद!

नई दिल्ली। कृषि संबंधी नए कानून की वापसी को लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन महीनों से जारी है। कृषि कानून वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को लागू करने को लेकर आंदोलनरत किसानों ने एक बार फिर से भारत बंद का ऐलान किया है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार किसान संगठन की ओर से 26 मार्च को भारत बंद का आह्वान किया गया है। बता दें कि 26 मार्च को किसान आंदोलन के 4 माह पूरा हो जाएंगे। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि निजीकरण व पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों के विरोध में किसान संगठन और ट्रेड यूनियन 15 मार्च को प्रदर्शन करेंगे। बता दें कि दिल्ली के सिंघू बॉर्डर से लेकर टीकरी बॉर्डर और यहां तक कि गाजीपुर बॉर्डर पर भी किसानों का जमावड़ा अब भी है।

26 नवंबर 2020 से धरने पर बैठे हैं किसान

पिछले साल 26 नवंबर को किसानों का दिल्ली कूच पंजाब और हरियाणा से निकले किसानों के जत्थे दिल्ली की तरफ कूच कर गए। पंजाब-हरियाणा की सीमा पर जमकर बवाल हुआ। सिंधु बॉर्डर पर टकराव के बावजूद किसान आगे बढ़ते चले आए। रात में किसान तमाम मुश्किलों और हरियाणा पुलिस की चुनौतियों का सामना करते हुए सिंघु बॉर्डर पहुंचे। जहां उन्हें दिल्ली पुलिस ने रोक दिया। दिल्ली चलो का अभियान दिल्ली की सीमा के भीतर नहीं आ पाया। तय हुआ कि दिल्ली के बुराड़ी मैदान में प्रदर्शन की अनुमति दी जाए, जिसे किसानों ने ठुकरा दिया।

सरकार-किसानों के बीच 11 दौर की बातचीत

बता दें कि 1 दिसंबर से सरकार और किसानों के बीच बातचीत का दौर शुरू हुआ। पहले दौर की बैठक के बाद एक के बाद एक 11 दौर की बातचीत सरकार और तकरीबन 40 किसान संगठनों के नेताओं के बीच हुई। अलग-अलग प्रस्तावों के बावजूद, किसान तीन कानून की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की मांग पर अड़े रहे। सरकार ने कानून को लगभग डेढ़ साल तक स्थगित करने तक का प्रस्ताव भी दिया, जिसे किसानों ने सर्वसम्मति से ठुकरा दिया

8 दिसंबर 2020 को किसानों ने किया था भारत बंद

बता दें कि कृषि कानून के विरोध में 8 दिसंबर को किसान संगठनों ने तीन घंटे का भारत बंद किया था। कई जगहों पर ट्रैफिक रोका गया, बाज़ारों को भी बंद रखने का किसान संगठनों ने आह्वान किया, जिसका असर कुछ राज्यों के अलावा देश में कम हीं देखने को मिला।

26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में हुआ बवाल

बता दें कि किसान आंदोलन के बीच 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में जमकर बवाल हुआ था। किसान यूनियन और पुलिस की बीच बैठकों के दौर के बाद गणतंत्र दिवस की ट्रैक्टर रैली का रूट तय किया गया, लेकिन ट्रैक्टर रैली निर्धारित समय से पहले ही दिल्ली की सीमा में प्रवेश कर गई। तय रूट के अलावा भी किसानों के कई गुटों ने आईटीओ और लाल किले की ओर कूच कर दिया। सड़कों पर पुलिस और किसानों के बीच टकराव हुआ, हिंसा हुई और यहां तक कि लाल किले की प्रचीर पर किसानों का एक जत्था पहुंचा और वहां सिक्खों के धार्मिक झंडे को फहराया गया। आंदोलन में शामिल कुछ लोगों ने पुलिस पर भी हमला किया, जिसमें कई पुलिस कर्मी घायल हो गए थे।

आज पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के विरोध में हुआ भारत बंद, किसान संगठन भी कर रहे समर्थन

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के विरोध को लेकर 26 फरवरी यानी आज ट्रांसपोर्ट और ट्रेड यूनियनों ने भारत बंद का आह्वान किया है। भारत बंद को 40,000 ट्रेडर्स एसोसिएशंस ने अपना समर्थन देने की बात कही है। इसके अलावा फार्म लॉ का विरोध करने वाले कई कृषि संगठनों ने गुरुवार को इस भारत बंद को समर्थन देने के फैसला किया।

ट्रांसपोर्टरों के शीर्ष संगठन ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। इसके अलावा कर की उच्च दरें, ई-वे बिल से संबंधित कई बातों और वाहनों को कबाड़ करने की मौजूदा नीति आदि पर एआईएमटीसी की संचालन परिषद में चर्चा की गई।

व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा कि एक करोड़ ट्रांसपोर्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाली ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन ने बंद का समर्थन किया है। हॉकरों के राष्ट्रीय संगठन हॉकर्स संयुक्त कार्रवाई समिति ने भी बंद का समर्थन किया है।  हालांकि, अन्य व्यापारी संगठनों मसलन फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल और भारतीय उद्योग व्यापार मंडल ने कहा कि वे बंद का समर्थन नहीं कर रहे हैं।

 

कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि सभी राज्यों के 1,500 बड़े और छोटे संगठन जीएसटी संशोधन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि आवश्यक सेवाओं मसलन दवा की दुकानों, दूध और सब्जी की दुकानों को बंद से बाहर रखा गया है। वहीं फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव वी के बंसल ने कहा कि कुछ मांगों के समर्थन में हम दुकानें बंद करने के पक्ष में नहीं हैं। हालांकि, हमारा मानना है कि पिछले 43 माह के दौरान जीएसटी अपने मूल उद्देश्य से भटक गया है। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल दिल्ली के महासचिव राकेश यादव ने कहा कि हम बंद का समर्थन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके संगठन ने सरकार को जीएसटी से संबंधित मुद्दों पर ज्ञापन दिया है।

इन राज्यों में दिख रहा है भारत बंद का असर, जानें अपने राज्य का हाल?

नई दिल्ली। कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स यानी CAIT ने जीएसटी की खामियों और ई-कॉमर्स से संबंधित मुद्दों के खिलाफ भारत बंद का आह्वान किया है। इस बंद का अभी तक मिलाजुला असर देखने को मिला है। कई व्यापारी संगठनों ने इससे दूरी बना ली है। कैट का दावा है कि दिल्ली सहित देश भर के 40, हजार से अधिक व्यापारिक संगठनों के 8 करोड़ से अधिक व्यापारी इस बंद का समर्थन कर रहे हैं। वहीं नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान भी बंद का समर्थन कर रहे हैं। ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन (AITWA) इसको समर्थन कर रहा है। यह संगठन लगभग एक करोड़ ट्रांसपोर्टर्स का प्रतिनिधित्व करता है।

उत्तर प्रदेश का हाल

पूरे देश में बंद का मिलाजुला असर देखने को मिला है। यूपी में बंद का असर देखने को नहीं मिला है। समाचार एजेंसी आइएएनएस के अनुसार ट्रांसपोर्टर्स संगठन के समर्थन के एलान के बावजूद यहां ट्रक व अन्य वाहन चल रहे हैं, जबकि सुबह छह बजे से ही चक्का जाम है। लखनऊ, मेरठ और आगरा सहित लगभग सभी प्रमुख शहरों में दुकानें खुली हुई हैं।

पश्चिम बंगाल में असर (बीरभूम)

कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने ईंधन की कीमतों में वृद्धि और नए ई-वे बिल और जीएसटी के विरोध में आज देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।

ओडिशा का हाल (भुवनेश्वर)

ईंधन की कीमतों में वृद्धि और नए ई-वे बिल और जीएसटी के विरोध में  कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स  (CAIT) ने आज देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) कोर कमेटी के चेयरमैन बाल मलकीत सिंह ने कहा कि आज का बंद व्यापारियों ने बुलाया है, कुछ संस्थाओं ने इसका समर्थन किया है। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस इसका समर्थन नहीं करती है, ये बंद सिर्फ कागजों में है जमीनी स्तर पर नहीं।

किसान भी कर रहे समर्थन

किसानों के प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने किसानों से बंद में शांतिपूर्ण तरीके शामिल होने अपील की है। उसने एक बयान में कहा है कि वह देश के सभी किसानों से भारत बंद का शांतिपूर्ण ढंग से समर्थन करने और बंद को सफल बनाने की अपील करते हैं।

आवश्यक सेवाओं को बंद से बाहर रखा गया

कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि जीएसटी संशोधनों के खिलाफ देशभर के सभी राज्यों के लगभग 1500 बड़े और छोटे संगठन विरोध प्रदर्शन करेंगे। देश के लोगों को भारत व्यापी बंद के कारण कोई असुविधा नहीं होनी चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए कैट ने दवा दुकानों, दूध और सब्जियों की दुकानों जैसे आवश्यक सेवाओं को बंद से बाहर रखा है।

कौन नहीं कर रहा समर्थन?

हालांकि, समाचार एजेंसी पीटीआइ के अनुसार कई व्यापारियों के संगठन जैसे अखिल भारतीय व्यापार मंडल और भारतीय उद्योग संघ मंडल ने बंद को समर्थन नहीं दिया है। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल (FAIVM) ने  कहा कि उसने बंद को समर्थन नहीं दिया है। संगठन के राष्ट्रीय महासचिव वीके बंसल ने कहा कि कुछ मांगों के समर्थन में दुकानें बंद करने के पक्ष में नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कि पिछले 43 महीनों में जीएसटी अपने मूल उद्देश्य से भटक गया है। वहीं भारतीय उद्योग व्यापार मंडल दिल्ली के महासचिव राकेश यादव ने कहा कि संगठन ने बंद को समर्थन नहीं दिया है और सरकार को जीएसटी से संबंधित मुद्दों पर एक ज्ञापन सौंपा है।