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बजट 2021: बिहार सरकार ने पेश किया बजट, 2 लाख 18 हजार करोड़ के बजट में इन मुद्दों रहा विशेष जोर

नई दिल्ली। सोमवार को उपमुख्‍यमंत्री व वित्‍त मंत्री तार किशोर प्रसाद ने बिहार विधानमंडल में 2 लाख 18 हजार करोड़ का बजट पेश किया। 22 फरवरी को भोजनावकाश के बाद राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक सरकार साल 2021-22 का बजट पेश किया।

बजट भाषण के आरंभ में ही वित्त मंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की कविता पढ़ी, जो बाधाओं से जूझने के लिए प्रेरित करती हैं- ‘बाधाएं आती हैं आएं… कदम मिलाकर चलना होगा।’ उन्‍होंने कहा कि सरकार के प्रयासों से हम आर्थिक संकट से बाहर निकल पाए हैं। कोरोना अभी टला नहीं है। विपत्तियों से हम घबराते नहीं हैं। अंधकार के बाद नया सवेरा आता है।

बजट सत्र शुरू होने से पहले से विपक्ष महंगाई, पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत, कोविड-19 जांच के आंकड़े में फर्जीवाड़ा और कृषि कानूनों के खिलाफ बिहार की एनडीए सरकार पर हमवालर रही।

दो लाख 18 हजार करोड़ का होगा बिहार का बजट

बिहार विधानसभा में वित्तमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने सोमवार को अगले वित्तीय वर्ष के लिए कुल दो लाख 18 हजार 303 करोड़ रुपये का बजट पेश किया। कोरोना की मुश्किलों के बावजूद आम लोगों को राहत देते हुए किसी प्रकार का टैक्स नहीं लगाया गया है। पिछले साल से यह सात हजार करोड़ रुपये ज्यादा का बजट है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में बिहार का बजट दो लाख 11 हजार करोड़ रुपये का था। बजट में वित्त मंत्री ने अगले वित्तीय वर्ष में दो लाख 18 हजार 502 करोड़ की अनुमानित आय का दावा किया है। योजना मद में एक लाख 51 हजार 881 करोड़ रुपये खर्च करने की व्यवस्था की गई है।

महिला सशक्तिकरण पर जोर

बजट का सबसे मजबूत पक्ष है 20 लाख लोगों को इसी वित्तिय वर्ष में नौकरी और महिला सशक्तिकरण। इसके लिए राज्य सरकार ने कई योजनाएं लाने की घोषणा की है। महिलाओं को उद्यमी बनाने के लिए खजाना खोला गया है। कोई महिला अगर अपना उद्योग लगाना चाहे तो उसे पांच लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा। साथ ही अतिरिक्त पांच लाख रुपये का ऋण ब्याज मुक्त दिया जाएगा। इसके लिए उद्योग विभाग में दो सौ करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है। अगले चार वर्षों में सात निश्चय -2 की योजनाओं पर काम होगा।

शायरी से समापन

वित्‍त मंत्री ने इस शायरी के साथ बजट भाषण का समापन किया – ‘ उनकी शिकवा है कि मेरी उड़ान कुछ कम है। रख हौसला वह मंजर भी आएगा। प्यासे के पास, चलकर समंदर भी आएगा। थककर न बैठ मंजिल के मुसाफिर। मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आएगा।’

पशुधन एवं कृषि के लिए भी बड़ी घोषणा

पशुओं का इलाज मुफ्त होगा। पंचायत स्तर पर पशु अस्पताल की व्यवस्था की जाएगी। टेलीमेडिसिन से भी पशु अस्पताल जुड़ेंगे। लोगों के घरों में भी पहुंचकर पशुओं का इलाज होगा।

देसी गायों के संवर्धन के लिए गोवंश अस्पताल की स्थापना की जाएगी। इन योजनाओं के लिए पांच सौ करोड़ की व्यवस्था की गई है। पशुओं के लिए डोर स्टेप इलाज की व्यवस्था होगी। काल सेंटर बनाए जाएंगे। सभी चिकित्सा सेवा मुफ्त में उपलब्ध होगी। गोवंश विकास संस्थान की स्थापना होगी।

गांवों के विकास का आधार पशु एवं कृषि है। इससे ग्रामीणों की आय में वृद्धि होती है। आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर गोपालन, मछली पालन का विकास किया जाएगा। चौर क्षेत्र का विकास किया जाएगा। मछली पालन को इतना बढ़ाया जाएगा कि बिहार की मछलियां दूसरे राज्यों में जाएंगी। इसके लिए पांच सौ करोड़ रुपये व्यय किया जाएगा।

बिहार विधानमंडल का बजट सत्र आज से शुरु, विपक्षियों के तेवर से गरमाहट भरा होने के आसार

बिहार के मुख्य विरोधी दल राजद के तेवर से यह साफ है कि आज यानी शुक्रवार से शुरू हो रहा विधानमंडल का बजट सत्र गरमाहट भरा होगा। विरोधी दल के मुख्य सचेतक राजद विधायक ललित कुमार यादव ने कहा है कि विधानमंडल सत्र के दौरान विपक्षी दल के नाते हम अपनी आवाज मजबूती से उठाएंगे। वहीं सत्ता पक्ष भी विपक्ष के हर सवाल का माकुल जवाब देने की तैयारी में है।

सरकार ने सदन में माननीयों के सवालों का सही-सही समय पर जवाब उपलब्ध कराने को लेकर सख्त निर्देश दिया है। संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा है कि राज्य सरकार पारदर्शी तरीके से किसी भी जनसमस्या के समाधान के लिए विमर्श करने को तैयार है।

ललित यादव ने सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताया है। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना में भी बिहार में घोटाला हो गया। जांच के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया। इसे विपक्ष जोर-शोर से सदन में उठाएगा। विधि-व्यवस्था का बुरा हाल है। पटना में सरेशाम एयरलाइंस कर्मी की हत्या कर दी गई और पुलिस-प्रशासन उस पर गोल-मोल जवाब देकर पल्ला झाड़ चुका है। न केवल मृत कर्मी बल्कि आरोपी के परिजन भी पुलिसिया जांच से संतुष्ट नहीं हैं।

महंगाई से लोगों का बुरा हाल है। किसानों की स्थिति ठीक नहीं है। विधायिका को समाप्त करने पर सरकार तुली हुई है। विपक्ष की कौन कहे, सत्तापक्ष के भी विधायकों की कोई नहीं सुन रही है। विकास के नाम पर लूट-खसोट चल रहा है। ऐसे में अगर राज्य के सबसे बड़े पंचायत और लोकतंत्र के मंदिर में भी विपक्ष की आवाज दबाई जाएगी तो हमारे पास अपनी आवाज उठाने के अलावा क्या विकल्प बच जाता है। कहा कि सदन सही तरीके से चले, विपक्ष की यही मंशा रहेगी। लेकिन यह तभी संभव है जब विपक्ष की बातों को सरकार सिरे से खारिज नहीं करे। विपक्षी सदस्य जो सवाल पूछें, सरकार जवाब दे तो कोई कारण नहीं होगा कि सदन नहीं चले।