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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना से उबरती अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के लिए एक व्यावहारिक और सार्थक बजट प्रस्तुत किया है।

आम बजट में वित्त मंत्री ने खपत और रोजगार बढ़ाने पर दिया जोर, जिससे समग्र अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना से उबरती अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के लिए एक व्यावहारिक और सार्थक बजट प्रस्तुत किया है। इसके लिए राजकोषीय घाटे को बढ़ाने से भी कोई संकोच नहीं किया है। व्यापक रणनीतिक प्रविधानों से अर्थव्यवस्था को विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार किया है। वित्त मंत्री को विश्वास है कि वित्त वर्ष 2022-23 में व्यापक वैक्सीन कवरेज, आपूर्ति-पक्ष सुधार और नियमों में ढील से विकास को गति मिलेगी। सार्वजनिक निवेश के साथ निजी क्षेत्र का निवेश अच्छी स्थिति में रहेगा।

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बजट में खेती और किसानों के हितों को उच्च प्राथमिकता दी गई है। किसानों की आमदनी बढ़ाने के मद्देनजर कृषि में निजी निवेश बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दिए गए हैैं। प्राकृतिक खेती और मांग आधारित खेती को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष घोषणा की गई है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जाने वाली सरकारी खरीद के लिए 2.37 लाख करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए नए प्रविधान किए गए हैैं। कृषि उत्पादों की मार्केटिंग, ब्रांडिंग और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बड़े एलान किए गए हैं। वित्त मंत्री ने बुनियादी ढांचे पर पूंजीगत व्यय बढ़ाकर आर्थिक गतिविधियों, खपत और नौकरियों के सृजन को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाई है। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 7.5 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय का लक्ष्य रखा है। यह जीडीपी का 2.9 प्रतिशत है। बजट में सौर ऊर्जा सेक्टर को लेकर भी बड़ी घोषणा हुई है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पीएम आवास योजना के तहत 80 लाख घरों के निर्माण को पूरा करने के लिए 48 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। किफायती आवास, रियल एस्टेट और निर्माण पर सरकार ने जोर दिया है।

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सरकार चाहती है कि आने वाले वर्षों में भारत विश्व का मैन्यूफैक्चरिंग हब बनकर उभरे। इसी लक्ष्य की पूर्ति के लिए वित्त मंत्री ने बजट में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के लिए बड़े एलान किए हैं। श्रम आधारित कृषि क्षेत्र और सूती वस्त्र उद्योगों को बड़े प्रोत्साहन दिए गए हैैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत बजट में पीएलआइ (उत्पादन आधारित प्रोत्साहन) योजना को गतिशील करने के लिए आवंटन बढ़ाए गए हैैं। इससे चीन और अन्य देशों से कच्चे माल और विभिन्न वस्तुओं के आयात को कम किया जा सकेगा। वित्त मंत्री ने रिकार्ड निर्यात का लक्ष्य रखते हुए विभिन्न कच्चे माल पर आयात शुल्क घटाया हैै। ये आयात शुल्क ऐसी चीजों के कच्चे माल पर घटाए गए हैं, जिनका पीएलआइ क्षेत्र के उद्योगों में उपयोग होता है। बजट में वोकल फार लोकल को बढ़ावा देने के साथ-साथ सावरेन ग्रीन बांड लाने का भी प्रस्ताव है।

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वित्त मंत्री ने देश में खुदरा कारोबार और स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने तथा कारोबार करने के लिए आवश्यक लाइसेंस की संख्या घटाकर उनका अनुपालन बोझ हल्का करने का निर्णय लिया है। स्टार्टअप के लिए टैक्स छूट 31 मार्च, 2023 तक बढ़ाई गई है। एमएसएमई सेक्टर को दो लाख करोड़ रुपये का विशेष राहत पैकेज दिया गया है। विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के विकल्प की घोषणा कर उसे अधिक उपयोगी बनाने की बात कही है। आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना को मार्च 2023 तक बढ़ाया गया है। गारंटी कवर को भी पांच लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाया गया है। इससे उद्योगों में पूंजी की राह आसान होगी। बजट में केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के गठन की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने और सहकारी संस्थाओं को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष प्रविधान किए गए हैं। कोआपरेटिव सोसायटी के लिए मैट की दर घटाकर 15 फीसद की गई है। राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती देने के लिए रक्षा बजट और रक्षा अनुसंधान में बड़ा इजाफा किया गया है।

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हालांकि बजट के समक्ष कई चुनौतियां भी दिखाई दे रही हैं। दरअसल बजट अनुमान कच्चे तेल की 70-75 डालर प्रति बैरल की कीमत पर आधारित हैं। जबकि इस समय कच्चे तेल की कीमतें करीब 90 डालर प्रति बैरल के आसपास हैं। इसके 100 डालर प्रति बैरल से अधिक के स्तर पर पहुंचने की आशंका है। अर्थव्यवस्था के समक्ष महंगाई बढऩे और कमजोर मांग की भी चुनौती है। एक चुनौती कई सरकारी विभागों को किए गए भारी भरकम आवंटन को उपयुक्त रूप से खर्च करने की है। देश की अर्थव्यवस्था को वित्त वर्ष 2024-25 तक पांच लाख करोड़ डालर तक पहुंचाने के लिए अगले तीन वर्षों के दौरान बुनियादी ढांचा क्षेत्र में करीब 105 लाख करोड़ रुपये का निवेश करना पड़ेगा, लेकिन इतना धन जुटाना सरल नहीं होगा। चूंकि बजट अगले 25 वर्षों का ब्लूप्रिंट है, अत: इस दौरान आर्थिक और सामाजिक सशक्तता के लिए व्यापक निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए बड़े प्रयास करने होंगे। बजट में छोटे करदाताओं और मध्यम वर्ग को इनकम टैक्स से राहत नहीं मिली है। यह वर्ग अपनी क्रयशक्ति बढ़ाने के लिए सरकार से इसकी अपेक्षा कर रहा था। एक बड़ी चुनौती निजीकरण, विनिवेश और संपत्ति मौद्रीकरण के जरिये अतिरिक्त संसाधन जुटाए जाने के ऊंचे लक्ष्यों को प्राप्त करने की भी है।

कुल मिलाकर आम बजट से अर्थव्यवस्था में सुधार का मजबूत रास्ता बनेगा और रोजगार के नए अवसर बनेंगे। हम उम्मीद करें कि इससे आम आदमी की क्रय शक्ति बढ़ेगी, नई मांग का निर्माण होगा और अर्थव्यवस्था की गतिशीलता बढ़ेगी। साथ ही आगामी वित्तीय वर्ष 2022-23 में देश की विकास दर दुनिया में अव्वल दिखाई दे सकेगी।

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प्रदूषण जांच केंद्र खोलने पर मिलेगी तीन लाख रुपए की मदद-बिहार सरकार

बिहार के सभी प्रखंडों में वाहन प्रदूषण जांच केंद्र खोले जाएंगे। इसकी स्थापना के लिए राज्य सरकार अधिकतम 50 फीसद या तीन लाख रुपये का अनुदान देगी। यह योजना सिर्फ उन्हीं प्रखंडों में मान्य होगी जहां पेट्रोल पंप व सर्विस सेंटर के अतिरिक्त एक भी मोटरवाहन प्रदूषण जांच केंद्र नहीं है। इसका नाम प्रदूषण जांच केंद्र प्रोत्साहन योजना रखा गया है। योजना की स्वीकृति के बाद परिवहन विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। इससे ग्रामीण इलाकों में भी गाडिय़ों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित तो किया ही जाएगा, साथ ही प्रखंड स्तर पर रोजगार का भी सृजन हो सकेगा। प्रोत्साहन राशि से प्रदूषण जांच केंद्र के लिए स्मोक मीटर, गैस एनलाइजर, डेस्कटाप, प्रिंटर आदि की खरीद की जाएगी।प्रदूषण जांच केंद्र की स्थापना के लिए जिला परिवहन कार्यालय में आवेदन करना होगा। इसके लिए विभाग की वेबसाइट पर विज्ञापन का प्रकाशन होगा। योजना का लाभ उन्हीं को मिलेगा, जो प्रदूषण जांच केंद्र विहीन प्रखंड के स्थायी निवासी होंंगे। इसके साथ ही आवेदक मोटरवाहनों के रखरखाव एवं उसकी सर्विसिंग का व्यवसाय करता हो या मोटरवाहन से संबंधित किसी ट्रेड में आइटीआइ हो। प्रोत्साहन राशि का भुगतान सड़क सुरक्षा निधि से किया जाएगा।

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  • हर प्रखंड में प्रदूषण जांच केंद्र, मिलेगा तीन लाख अनुदान
  • परिवहन विभाग ने जारी कर दी है अधिसूचना
  • जिन प्रखंडों में एक भी केंद्र नहीं, केवल वहां मिलेगा लाभ

एक हजार नए जांच केंद्र खोलने का लक्ष्य -राज्य में 534 प्रखंड हैं। इसमें 387 प्रखंडों में एक हजार से अधिक प्रदूषण केंद्र चल रहे हैं। अब भी 140 से अधिक प्रखंड ऐसे हैं, जहां प्रदूषण जांच की सुविधा नहीं है। परिवहन विभाग का लक्ष्य योजना की मदद से एक साल के अंदर एक हजार और प्रदूषण जांच केंद्र खोलने का है। विभाग की इस योजना से लोगों को रोजगार मिल सकेगा।

#बिहार के युवाओं को हुनरमंद बनाने में अहम भूमिका का निर्वहन करेगा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग#

पटना।बिहार प्रगति के पथ पर अग्रसर है विकास से समझौता नहीं किया जाएगा न्याय में के साथ विकास की अवधारणा को वास्तविकता के धरातल पर उतारने के लिए जनप्रिय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी पूरी तरह कृत संकल्पित है राज्य के विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग भी अपनी अहम भूमिका अदा करने की तैयारी में है राज्य के युवा युवतियों को हुनरमंद करने के लिए विभाग के द्वारा कई सारे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं साथ ही साथ विभाग के द्वारा राज्य भर के लोगों से ऐसे प्रोजेक्ट अविष्कार आमंत्रित किए जा रहे हैं जिससे किसी भी क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन हो ऐसे किसी भी सुझाव या अविष्कार के लिए विभाग के द्वारा ₹3 लाख की वजीफे की भी व्यवस्था की गई है।बिहार के युवाओं को हुनरमंद बनाना पहला लक्ष्य कहा बिहार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह ने।

मंत्री सुमित कुमार सिंह ने कहा कि विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी. विभाग द्वारा जो भी योजनाएं चलाई जा रही हैं उसकी समीक्षा की जाएगी. यदि उसमें कोई त्रुटि होगी या कोई कमी होगी तो उसे दूर किया जाएगा.सुमित कुमार ने कहा कि जो जिम्मेदारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दी है उसका निर्वाहन पूरी ईमानदारी के साथ करूंगा. सभी कॉलेजों की समीक्षा की जा रही है. हमारी कोशिश है कि हर बेहतर सुविधा छात्रों को उपलब्ध कराई जाए. बिहार के छात्र इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने दूसरे राज्य में जाते हैं. यहां पर मुफ्त शिक्षा दी जा रही है. कोई नई योजना शुरू करनी हो या पुरानी योजना में बदलाव तो हम बेहिचक करेंगे.”जो जिम्मेदारी मिली है उसपर पूरी तरीके से खड़ा उतरेंगे. युवाओं की बेहतरी के लिए हर संभव प्रयास करेंगें. उन्हें निराश नहीं करेंगें. जो भी सूचना मिलेगी उसपर कार्रवाई की जाएगी. यदि कोई सुझाव मीडिया या आम लोगों द्वारा दिया जाएगा तो उसपर भी काम किया जाएगा.उन्होंने कहा कि क्षेत्र की बरनार जलाशय योजना, अजय, घाघरा जलाशयों को दुरूस्त किया जाएगा.

मुख्यमंत्री की सोच है कि युवाओं को रोजगार मिले. इसके लिए रोजगार के अवसर सृजित किये जायेंगे. प्लेसमेंट सेल की व्यवस्था की जाएगी. स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे. जो विश्वास उन पर राज्य के मुखिया नीतीश कुमार और क्षेत्र चकाई की जनता ने जताया है उसे पूरा करने के लिए पूरा प्रयास करेंगे.उन्होंने कहा कि चकाई बनेगा चंडीगढ़ के सपने को साकार करने के लिए हर सार्थक पहल की जाएगी. इस दिशा में काम भी शुरू हो गया है. तीन महीने के भीतर 170 करोड़ की विकास योजना की स्वीकृति ही गयी. शीघ्र ही इन योजनाओ का कार्य शुरू होगा. क्षेत्र का सर्वांगीण विकास ही हमारी प्राथमिकता है. सड़क, सिंचाई से लेकर स्वास्थ्य, शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने एवं नक्सलवाद, उग्रवाद जैसी समस्याओं को लेकर भी काम किया जाएगा.

वरिष्ठ पत्रकार अनूप नारायण सिंह की कलम से

#दुनिया जिसे जानतीहैभोजपुरीकेशेक्सपियरके रूप मेंआज भीउसकेपरिजनबनेहुएहैं_भिखारीठाकुर

#पुण्यतिथिपरविशेष
#दुनियाजिसेजानतीहैभोजपुरीकेशेक्सपियरकेरूपमेंआजभीउसकेपरिजनबनेहुएहैं_भिखारी
भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर के नाम पर हजारों लोग अमीर बन गए आज भी भिखारी ठाकुर के परिजन फटेहाल स्थिति में किसी तरह अपना गुजर-बसर कर रहे हैं उनकी सुध लेने की फुर्सत ना राज्य सरकार को है और ना ही उन संस्थाओं को जो भिखारी ठाकुर के नाम पर प्रतिवर्ष लाखों करोड़ों के अनुदान प्राप्त करते हैं.

लोक संस्कृति के वाहक कवि व भोजपुरी के शेक्सपियर माने जाने वाले भिखारी ठाकुर का जयंती 18 दिसंबर को मनाई जाती है ।लेकिन क्या कोई यकीन कर सकता है कि भक्तिकालीन भक्त कवियों व रीत कालीन कवियों के संधि स्थल पर कैथी लिपि में कलम चलाकर फिर रामलीला, कृष्णलीला, विदेशिया, बेटी-बेचवा, गबरघिचोरहा, गीति नाट्य को अभिनीत करने वाले लोक कवि भोजपुरी के शेक्सपीयर भिखारी ठाकुर के परिवार चीथड़ो में जी रहा हो। देश ही नहीं विदेशों में भोजपुरी के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त करने वाले मल्लिक जी के परिवार गरीबी का दंश झेल रहा है। यह सच है कि उनके जयंति व पुण्यतिथि पर कुछ गणमान्य पहुंचते हैं, कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं, लेकिन यह सब मात्र श्रद्धांजलि की औपचारिकता तक सिमट कर रह जाते हैं। न तो ऐसे किसी आयोजन में भिखरी ठाकुर के गांववासियों का दर्द सुना जाता है न ही उनके दर्द की दवा की प्रबंध की बात होती है।कुतुबपुर दियारा स्थित मल्लिक जी का खपरैल व छप्पर निर्मित जीर्ण-शीर्ण घर आज भी अपने जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा है? यही से भिखारी ठाकुर ने काव्य सरिता प्रवाहित की थी और उनकी प्रसिद्धि की गूंज आज भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर सुनाई पड़ रही है।
भिखारी ठाकुर के प्रपौत्र सुशील आज भी अदद चतुर्थ श्रेणी की नौकरी के लिए भटक रहा,कोई सुधी तक नहीं लेने वाला.भिखारी ठाकुर के प्रपौत्र सुशील कुमार आज एक अदद चतुर्थ श्रेणी की नौकरी के लिए मारा-मारा फिर रहा है। दर्द भरी जुबान से सुशील बतातें हैं कि अगर फुआ और फुफा नहीं रहते तो शायद मैं एमए तक पढ़ाई नहीं कर पाता। रोटी की लड़ाई में मेरी पढ़ाई नेपथ्य में चली गई रहती। समहरणालय में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी की नौकरी के लिए वे आवेदन किये हैं। पैनल सूची में नाम भी है, लेकिन एक साल बीत गए, भगवान जाने नौकरी कब मिलेगी। हाल यह है कि विभिन्न कार्यक्रमों में उन्हें एवं उनके परिजन को मंच तक नहीं बुलाया जाता है।जिस दीपक की लौ से समाज में व्याप्त कुरीतियों और सामयिक संमस्याओं को उजागर करने का महती प्रयास भिखारी ठाकुर ने किया उनकी लौ में आज कई लोग रोटियां सेंक रहे हैं, लेकिन दीपक तले अंधेरे की कहावत चरितार्थ है।

दबी जुबान से दिल की बात बाहर आती है कि भिखारी ठाकुर के नाम पर कई लोग वृद्धा पेंशन एवं सुख सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। परिवार को हरेक जरूरत की दरकार है। एक ओर जहां सुशील जीवकोपार्जन के लिए दर-दर भटक रहे हैं वहीं, उनकी पुत्रवधू व सुशील की मां गरीबी का दंश झेल रही है। भिखरी ठाकुर के इकलौते पुत्र शीलानाथा ठाकुर थे। वे भिखारी ठाकुर के नाट्य मंडली व उनके कार्यक्रमों से कोई रूची नहीं थी। उनके तीन पुत्र राजेन्द्र ठाकुर, हीरालाल ठाकुर व दीनदयाल ठाकुर भिखारी की कला को जिन्दा रखे। नाटक मंडली बनाकर जगह-जगह कार्यक्रम करने लगे। लेकिन इसी बीच उनके बाबू जी गुजर गये। फिर पेट की आग तले वह संस्कार दब गई।अब तो राजेन्द्र ठाकुर भी नहीं रहे। फिलवक्त भिखारी ठाकुर के परिवार में उनके प्रपौत्र सुशील ठाकुर, राकेश ठाकुर, मुन्ना ठाकुर एवं इनकी पत्नी रहती है। जीर्ण-शीर्ण हालात में किसी तरह सत्ता व सरकार को कोसते जिंदगी जिये जा रहे हैं उनके परिजन.लोक साहित्य व संस्कृति के पुरोधा, भोजपुरी के शेक्सपीयर के गांव कुतुबपुर काश, स्थानीय सांसद व केन्द्रीय राज्य मंत्री रहे राजीव प्रताप रूढी के सांसद ग्राम योजना के तहत गोद में होता तो शायद पुरोधा के गांव को तारणहार की प्रतिक्षा नहीं होती। गंगा नदी नाव से उस पर छपरा से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित कुतुबपुर गांव आज भी अंधेरे तले है। कार्यक्रमों की रोशनी व राजनेताओं का आश्वासन उस गांव को रोशन नहीं कर सका। शायद श्रद्धांजलि सभा और सांस्कृतिक समारोह भी कुछ लोगों तक सीमट कर है। वरन्, सरकार दो फूल चढ़ाने में भी भिखारी ही रहा है। आस-पास दर्जनों गांव, हजारों की बस्ती, तीन पंचायतों में एक मात्र अपग्रेड हाईस्कूल। वह भी प्राथमिक विद्यालय से अपग्रेड हुआ है।

प्रारंभिक शिक्षक और पढ़ाई हाईस्कूल तक। आगे की पढ़ाई के लिए नदी इस पर आना होता है। कुछ बच्चे तो आ जाते हैं, बच्चियां कहाँ जाये। कुतुबपुर से सटे कोट्वापट्टी रामपुर, रायपुरा, बिंदगोवा व बड़हरा महाजी अन्य पंचायतें हैं। लोगों की जीविका का मुख्य आधार कृषि है। अब नदी इनके खेतों को निगलने लगी है। 75 फीसद भूमिखंड में सरयू, गंगा नदी का राग है। टापू सदृश गांव है। 2010 से निर्माणाधीन छपरा आरा पुल से कुछ उम्मीद जगी है, लेकिन फिलहाल नाव से आने-जाने की व्यवस्था है। अस्पताल है ही नहीं। बाढ़ की तबाही अलग से झेलना पड़ता है। प्रत्येक साल किसानों को परवल की खेती में बाढ़ आने पर लाखों-करोड़ों रूपयों का घाटा सहना पड़ता है। सुविधा के नाम पर इस गांव में पक्की सड़क तक नहीं है।छपरा- लोक कलाकार भिखारी ठाकुर जो समाज के न्यूनतम नाई वर्ग में पैदा हुए थे, वे अपनी नाटकों, गीतों एवं अन्य कला माध्यमों से समाज के हाशिये पर रहने वाले आम लोगों की व्यथा कथा का वर्णन किया है। अपनी प्रसिद्ध रचना विदेशिया में जिस नारी की विरह वर्णन एवं सामाजिक प्रताड़ना का उन्होंने सजीव चित्रण किया है। वही नारी आज साहित्यकारों एवं समाज विज्ञानियों के लिए स्त्री-विमर्श के रूप में चिन्तन एवं अध्यन का केन्द्र-बिन्दु बनी हुई है। भिखारी ठाकुर ने अपने नाटकों के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों, विषमता, भेदभाव के खिलाफ संघर्ष किया। इस तरह उन्होंने देश के विशाल भेजपुरी क्षेत्र में नवजागरण का संदेश फैलाया।

बेमेल-विवाह, नशापान, स्त्रियों का शोषण एवं दमन, संयुक्त परिवार के विघटन एवं गरीबी के खिलाफ वे जीवनपर्यन्त विभिन्न कला माध्यमों के द्वारा संघर्ष करते रहे। यही कारण है कि इस महान कलाकार की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है। कभी महापंडित राहुल सांकृत्यायन के जिन्हें साहित्य का अनगढ़ हीरा एवं भोजपुरी का शेक्सपीयर कहा था उस भिखारी ठाकुर का जन्म सरण जिले के छपरा जिले के सदर प्रखंड के कुतुबपुर दियारा में 18 दिसंबर 1887 को हुआ को हुआ था। उनके पिता का नाम दलश्रृंगार ठाकुर एवं माता का नाम शिवकली देवी था। भिखारी ठाकुर निरक्षर थे, परंतु उनकी साहित्य-साधना बेमिसाल थी। रोजी-रोटी कमने के लिए वे पश्चिम बंगाल के मेदनीपुर नामक स्थान पर गये जहां बंगाल के जातरा पाटियों के द्वारा किये जा रहे रामलीला के मंचन से वे काफी प्रभावित हुए, और उससे प्रेरणा पाकर उन्होंने नाच पार्टी का गठन किया।लोक कलाकार भिखारी ठाकुर के समस्त साहित्य का संकलन अब तक पूरा नहीं हो सका है। बिहार राष्ट्रभाषा परिषद, पटना के पूर्व निदेशक प्रो0 डॉ0 वीरेन्द्र नारायण यादव के प्रयास से परिषद ने रचनाओं का एक संकलन भिखारी ठाकुर ग्रंथावली के नाम से प्रकाशित किया है, परंतु अभी भी उनके लिए बहुत कुछ किये जाना बाकी है। विभिन्न विश्वविद्यालयों में उनपर शोध-कार्य चल रहे हैं। कई पुस्तकें भी उनसे प्रकाशित हुई है।

अनूप नारायण सिंह