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झूठे दुष्कर्म के मामले को सत्य करार देनेवाले डीएसपी पर गिरी गाज, डिमोट कर बनाया गया इंस्पेक्टर

बलात्कार के झूठे मामले को सुपरविजन में सत्य करार देना नरकटियागंज के तत्कालीन एसडीपीओ निसार अहमद को बेहद महंगा पड़ा। सरकार ने उन्हें डीएसपी से डिमोट करते हुए इंस्पेक्टर बनाने की सजा दी है। वह स्थाई रूप से इस पद पर रहेंगे। विभागीय कार्यवाही के बाद उन्हें यह सजा दी गई है। हालांकि निसार अहमद को अब निलंबन से मुक्त कर दिया गया है। गृह विभाग ने शुक्रवार को इसका संकल्प जारी कर दिया।

पश्चिम चंपारण के नरकटियागंज स्थित साठी थाना में 162/2018 दर्ज किया गया था। यह कांड चिंता देवी नामक महिला द्वारा बेतिया कोर्ट में दायर परिवाद के आधार पर दर्ज हुआ था। पुणे के समार्थ थाना के रहनेवाले जरार शेरखर को नामजद अभियुक्त बनाया गया। जरार शेरखर पर आरोप था कि शादी का झांसा देकर उसने महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाया। नरकटियागंज के तत्कालीन एसडीपीओ निसार अहमद ने इस केस का सुपरविजन किया और प्राथमिकी की मूल धाराओं के तहत इसे सत्य कारा दिया। इसके बाद केस के अनुसंधानकर्ता एसआई विनोद कुमार सिंह ने अभियुक्त को पुणे से गिरफ्तार कर बिहार ले आए और न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

भ्रष्टाचार पर  मोदी सरकार का बड़ा प्रहार,  बीते 6 साल में 340 बड़े अधिकारी किए गए जबरन रिटायर

नई दिल्ली। भ्रष्टाचार पर मोदी सरकार का प्रहार लगातार जारी है। केंद्र  की तरफ़ से संसद में रखी गई जानकारी में ये बात सामने आई है। सरकार ने संसद को बताया है कि जुलाई 2014 से दिसंबर 2020 तक यानी बीते छह साल में 340 बड़े अधिकारियों को भ्रष्टाचार, अनियमितता या फिर अक्षमता के चलते जबरन रिटायर किया गया है।

केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा को एक लिखित जवाब में बताया कि सीसीएस (पेंशन) नियमों से जुड़े नियम एफआर 56 (जे) और समान नियमों के तहत केंद्र से जुड़े ग्रुप ‘ए’  के 171 और ग्रुप ‘बी’ के 169 अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है। मतलब ये है कि इन अधिकारियों को जबरन रिटायर किया गया है।  गौर करने वाली बात ये भी है कि इसमें से कई अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी यानी आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी शामिल हैं।

नियम एफआर 56 (जे) के तहत भ्रष्टाचार, अनियमितता और अक्षमता के लिए अधिकारियों पर कार्रवाई की जा सकती है। उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सकती है यानी नौकरी से हटाया जा सकता है। उच्च स्तर पर की गई इस कार्रवाई को मोदी सरकार की भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति के रूप में देखा जा रहा है।