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किसने मारी गोली? किसान की मौत पर दिल्ली पुलिस को फंसाने की साजिश!

नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के विरोध में गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ‘ट्रैक्टर परेड’ निकाल रहे प्रदर्शनकारी किसान हिंसक हो गए थे।सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर समेत सभी जगहों पर पुलिस के बैरिकेड्स तोड़कर दिल्ली की सीमाओं में दाखिल हुए किसान लाल किले में घुस गए। देर रात दिल्ली पुलिस ने पूरे लाल किला को खारी करा दिया है और वहां सुरक्षा भी बढ़ा दी गई।

आईटीओ पर पुलिस मुख्यालय के सामने पुलिस और किसानों में झड़पें भी हुईं, स्थिति को काबू करने के लिए सरकार की ओर से अगले आदेश तक बॉर्डर के इलाकों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। वहीं कई मेट्रो स्टेशनों के गेट के साथ ही कई रास्ते भी बंद कर दिए गए थे। इस दौरान एक किसान की मौत होने की भी खबर है। मृतक किसान नवनीत सिंह उत्तराखंड का रहने वाला था। किसानों ने पुलिस पर नवनीत को गोली मारने का आरोप लगाया है।

सरकार और किसानों के बीच आज होगी खास बैठक, किसानों का अनशन जारी

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देश के अन्नदाता लगातार अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे है। पिछले 34 दिनों से किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। आज किसान आंदोलन के 35 वें दिन यूपी गेट पर तीसरी बार चौधरी नरेश टिकैत के नेतृत्व में महापंचायत आयोजित होगी।

बता दें इस महापंचायत में खाप चौधरियों को भी शामिल किया जा सकता है। उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और अन्य जगहों के हजारों किसान इस महापंचायत में शामिल होंगे। अभी तक दिल्ली में किसानों और सरकार की सभी बैठकों में कोई भी नतीजा नहीं निकल कर आया है। जिसको देखते हुए कही ना कही किसानों का विश्वास सरकार के उपर से डगमगाता नजर आ रहा है। होने वाली महापंचायत में नरेश टिकैत और अन्य चौधरी किसी बड़े निर्णय पर पहुंच सकते है।

एक तरफ महापंचायत का आगाज हो रहा है और दूसरी तरफ आज सुबह आठ बजे से 11 किसानों का एक समूह भूख हड़ताल पर बैठ गया है। साफ तौर पर किसानों का कहना है की अगर आज सरकार के साथ बैठक में कोई नतीजा नहीं निकलता है तो किसानों द्वारा कुछ बड़ा एलान जरूर किया जाएगा। लगातार किसानों का विरोध प्रदर्शन हर दिन एक अलग रुप धारण कर रहा है।

 

देश के किसानों की मांग  कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर गारंटी व स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की है, जिसको लेकर किसान दिल्ली की सीमाओं पर दिन-रात डटे हुआ है। इतना ही नहीं सीमाओं पर किसानों की संख्या भी बढ़ती जा रही है, अगर जल्द कोई समाधान नहीं निकला तो हालात खराब होने की संभावनाएं भी बढ़ती जा रही है।