Tag Archives: Election Commission

महंगे गिफ्ट देने वालों पर Election Commission की नजर… उड़नदस्तों से निगरानी!

Election Commission:  प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर राजनितिक पार्टियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। सभी पार्टियां अपने कार्यकर्ताओं के साथ लगातार मीटिंगों के माध्यम से जुड़ रही हैं। दूसरी तरफ इस चुनाव को सफलता पूर्वक सम्पन्न कराने के लिए चुनाव आयोग ने भी अब तैयारियां शुरू कर दी हैं। चुनाव आयोग ने सख्ती दिखाते हुए महंगे गिफ्ट देने वालों पर नजर रखने की बात कही हैं।

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जानकारी के मुताबिक, अब चुनाव आयोग निकाय चुनाव में महंगे गिफ्ट देने वालों पर नजर रखेगा। चुनाव आयोग का कहना हैं कि आगामी शहरी निकाय चुनाव में गड़बड़ी करने वालों पर नजर रखी जाएगी। सभी उम्मीदवारों को उड़न दस्ते के माध्यम से नजर में रखा जायेगा।

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राज्य निर्वाचन आयोग के विशेष कार्याधिकारी ने निर्देश देते हुए कहा कि यदि किसी के पास 2 लाख से अधिक की नगदी एक साथ पकड़े जाने पर उसे जब्त कर लिया जायेगा। सभी जिलों में उड़न दस्तों के गठन का निर्देश दे दिया गया हैं।

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इससे पहले चुनाव आयोग ने दिवाली में भी गिफ्ट देने वालों पर नजर रखे जाने के निर्देश दिए थे। हालाँकि चुनाव आयोग ने इस पर अपनी मंशा भी स्पष्ट की थी। चुनाव आयोग ने अपने बयान में कहा था कि गिफ्ट में नजर इस लिए रखी जा रही हैं कि कोई दिवाली गिफ्ट की आड़ में रिश्वत देने या चुनाव को ख़राब करने पर विचार न करें।

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Braking: रामपुर उपचुनाव प्रक्रिया पर रोक…चुनाव आयोग ने वापस ली अधिसूचना

DESK:  आजम खान मामले में चुनाव आयोग ने अधिसूचना वापस ले ली है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रामपुर उपचुनाव प्रक्रिया चुनाव आयोग ने रोक दी है। आयोग ने अगले आदेश तक अधिसूचना जारी न करने का निर्णय लिया है। 10 नवंबर से रामपुर उपचुनाव की अधिसूचना जारी हुई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने अपना फैसला पलटते हुए अगले आदेश तक अधिसूचना न जारी करने का निर्णय लिया है।

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आजम खान की सदस्यता रद्द होने का मामले में आज शीर्ष न्यायालय में बड़ी बहस हुई, आजम खान की ओर से उनकी दलील पी चिदंबरम ने रखा। पी चिदंबरम ने कहा कि 27 अक्टूबर को आजम को सजा हुई, उसके अगले दिन उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई, आजम मामले में सरकार ने तेजी से कदम उठाया, हमें अपील करने का समय भी नहीं दिया गया, हमें अपील करने का समय मिलना चाहिए, वहीं चुनाव आयोग की तरफ से कोर्ट में अरविंद दातार दलील दी।

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हेट स्पीट मामले में समाजवादी पार्टी के नेता आज़म खाँ को बड़ी राहत मिली है। 15 नवंबर तक अब सपा नेता आज़म खाँ को फिलहाल पुलिस नहीं गिरफ्तार कर सकेगी। कोर्ट ने उनकी अंतरिम जमानत मंजूर कर ली है। जिसके बाद आजम खान मामले में चुनाव आयोग ने अधिसूचना वापस ले ली है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रामपुर उपचुनाव प्रक्रिया चुनाव आयोग ने रोक दी है। आयोग ने अगले आदेश तक अधिसूचना जारी न करने का निर्णय लिया है।

गुजरात विधानसभा चुनाव का ऐलान…EC करेगा तारीखों की घोषणा

Gujarat Election Dates: चुनाव आयोग बुधवार यानी आज गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर सकता है। 2017 में अपनाई गई परंपरा का हवाला देते हुए चुनाव आयोग ने इस महीने की शुरुआत में हिमाचल प्रदेश चुनाव की तारीखों के साथ गुजरात चुनाव की घोषणा नहीं की थी। आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश में एक ही चरण में 12 नवंबर को मतदान होगा। 8 दिसंबर को मतगणना होगी।

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चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश के लिए मतगणना की तारीख को मतदान के करीब एक महीने बाद रखते हुए स्पष्ट संकेत दिया था कि गुजरात के लिए भी वोटों की गिनती 8 दिसंबर को होगी। 2017 में भी दोनों राज्यों में अलग-अलग तारीखों पर चुनाव की घोषणा की गई थी, लेकिन मतगणना 18 दिसंबर को एक साथ हुई थी।

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चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव 1998, 2007 और 2012 में एक साथ हुए थे। आपको बता दें कि 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा का कार्यकाल 18 फरवरी, 2023 को समाप्त हो रहा है।

बड़ी खबर: अखिलेश यादव को चुनाव आयोग का नोटिस…पढ़िए पूरी खबर

DESK:  समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया है। अखिलेश यादव ने यूपी में हर विधानसभा से 20 हजार मुस्लिमों-यादवों के नाम हटाने का आरोपों लगाया था। जिसपर चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर प्रूफ और दस्तावेज के साथ जवाब मांगा है। जवाब देने के लिए अखिलेश यादव को 10 नवंबर तक का वक्त दिया गया है।

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उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के राष्टीय अध्यक्ष अखिलेश यादव नें सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में 2022 में हार का कारण चुनाव आयोग को बताया था। अखिलेश यादव ने दावा किया था कि चुनाव आयोग ने बीजेपी के इशारे पर 2022 विधानसभा चुनाव में हर विधानसभा सीट से 20-20 हजार यादव और मुसलमान मतदाताओं के नाम हटा दिए थे।

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समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को चुनाव आयोग का नोटिस जारी करते हुए 10 नवंबर तक जवाब मांगा है। अखिलेश यादव को अपने इस आरोप पर 10 नवंबर तक चुनाव आयोग को प्रूफ और दस्तावेज के साथ अपने आरोपों से जुड़ी चींजें चुनाव आयोग को सौंपनी होगी।

दो हिस्से में बंटा शिवसेना… चुनाव आयोग ने दोनों गुट के बीच किया बंटवारा…जानें गुट के नया नाम

DESK : महाराष्ट्र में बाला साहेब ठाकरे की मेहनत से तैयार की गई शिवसेना अब दो हिस्से में अधिकारिक रूप से बंट गई है। उद्धव और शिंदे गुट के बीच शिवसेना के नाम और निशान को लेकर जारी खींचतान पर चुनाव आयोग का फैसला आ गया है। चुनाव आयोग ने उद्धव गुट को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और शिंदे गुट को बालासाहेबची शिवसेना यानी बाला साहेब की शिवसेना नाम दिया है।

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उद्धव गुट को चुनाव आयोग ने पार्टी का नया चुनाव चिह्न भी आवंटित कर दिया है। अब शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) का निशान मशाल होगा। महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और उद्धव ठाकरे के करीबी भास्कर जाधव ने कहा, ‘हमें खुशी है कि तीन नाम जो हमारे लिए सबसे ज्यादा मायने रखते हैं – उद्धव जी, बालासाहेब और ठाकरे, इन सभी को नए नाम में रखा गया है। भास्कर जाधव ने कहा कि इस बड़ी जीत पर हम खुश हैं।

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वहीं शिंदे गुट ने त्रिशूल, गदा और उगता सूरज के तीन चिन्ह ऑप्शन के तौर पर दिये थे, जिन्हें आयोग ने खारिज कर दिया है और शिंदे गुट से चुनाव चिन्ह के लिए फिर से नये विकल्प देने को कहा है। अब अंधेरी ईस्ट उपचुनाव के लिए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) का सिंबल मशाल होगा। मुंबई की अंधेरी ईस्ट चुनाव में उद्धव गुट अब इस नये नाम और निशान से चुनाव प्रचार में उतरेगा।

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चुनाव आयोग की ओर से शिंदे गुट को नाम आवंटित होने का बाद महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने ट्वीट किया, “आखिरकार बालासाहेब ठाकरे के मजबूत हिंदुत्ववादी विचारों की जीत हुई। हम बालासाहेब के विचारों के उत्तराधिकारी हैं।” भारत के चुनाव आयोग ने आज शिवसेना के शिंदे गुट को ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ नाम आवंटित किया।

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एकनाथ शिंदे गुट के नेता और कैबिनेट मंत्री अब्दुल सत्तार ने कहा कि हमें बालासाहेब ठाकरे का नाम मिला है। ऊद्धव ठाकरे ने अपने नाम से पार्टी बनाई, हमारी बालासाहेब की शिवसेना है। ऊद्धव ठाकरे की उनके नाम से उद्वव ठाकरे शिवसेना। उद्वव ठाकरे के नाम में बालासाहेब है पर वो तो उनका नाम ही है। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे ने खुद के नाम से नहीं बल्कि बालासाहेब के नाम से पार्टी बनाई। हम बालासाहेब के सच्चे और असली वारिस हैं। हमारी शिवसेना असली है। बालासाहेब का नाम हमारे साथ है तो उसका हमें फायदा जरूर होगा।

#राज्य निर्वाचन आयोग ने क्षेत्र पंचायत (ब्लाक) प्रमुख के चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी#

उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया पूरी होते ही राज्य निर्वाचन आयोग ने क्षेत्र पंचायत (ब्लाक) प्रमुख के चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी है। राज्य में ब्लाक प्रमुख चुनाव प्रक्रिया 8 जुलाई से 10 जुलाई के बीच होगी। गोंडा जिले की क्षेत्र पंचायत मुजेहना को छोड़कर राज्य के सभी जिलों में 10 जुलाई को मतदान और उसी दिन मतगणना होगी। 825 क्षेत्र पंचायत प्रमुखों के चुनाव के लिए आठ जुलाई को नामांकन होगा।

उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने सोमवार को ब्लाक प्रमुख पदों पर चुनाव कराने का कार्यक्रम जारी कर दिया है। राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार ने बताया कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत सभी जिलों में क्षेत्र पंचायत प्रमुख का चुनाव अब कराया जाना है। छह माह से अधिक का कार्यकाल शेष रहने से गोंडा जिले की मुजेहना क्षेत्र पंचायत को छोड़कर शेष 825 क्षेत्र पंचायतों के चुनाव की अधिसूचना जारी की गई है। जहां निर्विरोध निर्वाचन होगा वहां छोड़कर अन्य क्षेत्र पंचायतों के प्रमुख पद के लिए 10 जुलाई को मतदान कराया जाएगा।

निर्वाचन राज्य में

मनोज कुमार ने बताया कि आठ जुलाई को नामांकन सुबह 11 से तीन बजे तक होगा। उसी दिन दोपहर बाद तीन बजे से नामांकन पत्रों की जांच होगी। नौ जुलाई को सुबह 11 बजे से तीन बजे तक उम्मीदवार अपना नाम वापस ले सकते हैं। 10 जुलाई को 11 से तीन बजे तक मतदान फिर तीन बजे से मतगणना कराकर नतीजे उसी दिन घोषित कर दिए जाएंगे।

उत्तर प्रदेश में दो मई, 2021 को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के परिणाम की घोषणा के बाद पंचायतों के गठन का काम पहले किया गया। उसके बाद जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई। तीन जुलाई को जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया भी पूरी हो गई। अब ब्लाक प्रमुख पदों पर चुनाव कराने का कार्यक्रम जारी कर दिया है। प्रदेश में ब्लाक प्रमुख के 826 पद हैं। राज्य में क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी) सदस्य के 75,255 पद हैं। जो बीडीसी सदस्य चुना जाएगा वही ब्लाक प्रमुख के लिए प्रत्याशी हो सकता है। ब्लाक प्रमुख चुनने के लिए मतदान भी बीडीसी सदस्य ही करते हैं।

निर्वाचन आयोग ने कहा- मीडिया रिपोर्टिंग पर नहीं होनी चाहिए पाबंदी

नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने मीडिया के संबंध में अपनी स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा है कि आयोग स्वतंत्र मीडिया में अपने विश्वास के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। आयोग इस बात पर एकदम स्पष्ट है कि मीडिया रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।

बता दें कि भारत निर्वाचन आयोग ने  मीडिया से संबंधित अपनी स्थिति पर हाल के बयानों का संज्ञान लिया है। आयोग ने इस संबंध में कुछ निश्चित प्रेस रिपोर्टों का भी संज्ञान लिया है। आयोग ने हमेशा कोई निर्णय लेने से पहले उचित विचार-विमर्श किया है। मीडिया के संबंध में आयोग यह मत स्पष्ट करना चाहता है कि वह स्वतंत्र मीडिया में गंभीर रूप से आस्था रखने के लिए संकल्पबद्ध है।

संपूर्ण आयोग और इसके सदस्य अतीत और वर्तमान में संपन्न सभी चुनावों तथा देश में चुनावी लोकतंत्र को मजबूत बनाने में  मीडिया द्वारा निभाई गई सकारात्मक भूमिका को मानते हैं। निर्वाचन आयोग की यह सर्वसम्मत राय है कि मीडिया रिपोर्टिंग के संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष किसी तरह की याचिका प्रस्तुत नहीं की जानी चाहिए।

आयोग निर्वाचन प्रक्रिया प्रारंभ होने से लेकर समाप्त होने तक चुनाव प्रबंधन को प्रभावी बनाने तथा पारदर्शिता लागू करने में मीडिया की भूमिका को विशेष रूप से मानता है। मीडिया के साथ सहयोग के बारे में भारत निर्वाचन आयोग का दृष्टिकोण स्वाभाविक सहयोगी का रहा है और इसमें परिवर्तन नहीं हुआ है।

 

चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी को फिर थमाया नोटिस, CRPF जवानों को लेकर दिया था बयान

नई दिल्ली। सीआरपीएफ पर पक्षपात का आरोप लगाने वाले बयान को लेकर चुनाव आयोग ने टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को एक और नोटिस भेजा है। इससे पहले आयोग ने ममता बनर्जी को ‘मुस्लिमों के एकजुट हो जाने’ वाले बयान पर नोटिस भेजा था।

वहीं, दूसरे नोटिस में चुनाव आयोग ने ममता के उन बयानों का जिक्र किया है, जिसमें वह केंद्रीय सुरक्षा बलों के रोल पर सवाल उठा रही हैं। दरअसल ममता बनर्जी ने पहले मतदाताओं और अपने समर्थकों से कहा था कि वो सीआरपीएफ टीम का घेराव करें। क्योंकि उन्हें शक है कि सीआरपीएफ टीम उनके समर्थकों को मत देने से रोक रही है इसके साथ ही एक महिला के साथ बदसलूकी के केस भी उठाया। बता दें कि ममता बनर्जी ने यह आरोप, कूच बिहार जिले में एक रैली को संबोधित करने के दौरान लगाया था।

पश्चिम बंगाल में निष्पक्ष चुनाव कराए जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार, बताई ये वजह;

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में निष्पक्ष चुनाव कराए जाने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। पुनीत कौर ढांडा द्वारा दाखिल इस याचिक में अपील की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र, पश्चिम बंगाल सरकार और निर्वाचन आयोग को निष्पक्ष, सुरक्षित, स्वतंत्र एवं शांतिपूर्ण विधानसभा चुनाव काराने का निर्देश दे। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने विचार करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत कहा कि इस मसले पर विधि सम्‍मत दूसरे उपाय आजमाए जा सकते हैं।

याचिका में कहा गया था कि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के विरोधियों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की कथित हत्या की घटनाएं हो रही हैं जिनकी जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट को निर्देश देने की गुजारिश की गई थी। याचिकाकर्ता ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत दूसरे नेताओं पर पश्चिम बंगाल में हुए हमले की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे हालात में राज्य में निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव कराना संभव नहीं है। ऐसा केवल तभी हो सकता है जब‍ पश्चिम बंगाल के चुनाव शीर्ष अदालत की निगरानी में कराए जाएं।

जस्टिस हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी वाली इस पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि तेलंगाना के रोहिंग्‍या मतदाताओं ने खुद को पश्चिम बंगाल में वोटर के रूप में पंजिकृत करा लिया है। यही नहीं मुस्लिम बहुल इलाकों में हिंदू मतदाताओं को मतदान केंद्रों पर वोट डालने के लिए जाने नहीं दिया जाता है। इस जनहित याचिका में केंद्रीय गृह मंत्रालय, पश्चिम बंगाल सरकार, निर्वाचन आयोग, राज्‍य चुनाव आयोग, सीबीआइ और राज्‍य के डीजीपी को भी पार्टी बनाया गया था। याचिका में कहा गया था कि राज्‍य में लगातार मानवाधिकारों की धज्ज‍ियां उड़ाई जा रही हैं।