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कम्‍यूनिस्‍ट पार्टी ऑफ चाईना के शताब्‍दी समारोह के मौके पर दिए गए राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने देशवासियों को चीन की तरक्‍की के लिए जहां शुभकामनाएं दी हैं वहीं विरोधियों के सिर काट देने की बात कही

#विदेशी ताकत का दबाव बर्दाश्‍त नहीं करेगा चीन- चिनफिंग की दुनिया को धमकी#चीन को कई मुद्दों पर अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर आलोचनाओं का भी शिकार होना पड़ा#

कम्‍यूनिस्‍ट पार्टी ऑफ चाईना के शताब्‍दी समारोह के मौके पर चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग का वही आक्रामक रुख दिखाई दिया जिसके लिए वो जाने भी जाते हैं। उन्‍होंने कहा कि चीन के लोग न सिर्फ पुरानी दुनिया को खत्‍म करना जानते हैं बल्कि नए विश्‍व को बनाना भी उन्‍होंने आता है। आपको बता दें कि शी चिनफिंग चीन में माओ जुदांग के बाद दूसरे सबसे बड़े नेता बनकर सामने आए हैं। अपने भाषण में उन्‍होंने कहा कि चीन को केवल समाजवाद ही बता सकता है। रॉयटर्स के मुताबिक वैश्विक महामारी कोविड-19 से उबरने के बाद चीन वैश्विक मंच पर और अधिक मुखर बनकर सामने आया है। हालांकि

है। हांगकांग समेत शिनजियांग में उइगरों मुस्लिमों के खिलाफ चीन की कार्रवाई का पूरी विश्‍व बिरादरी ने विरोध किया है।

कम्‍यूनिस्‍ट पार्टी ऑफ चाईना के शताब्‍दी समारोह के मौके पर दिए गए राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने देशवासियों को चीन की तरक्‍की के लिए जहां शुभकामनाएं दी हैं वहीं विरोधियों के सिर काट देने की बात कही है। थ्येनआनमन चौक पर दिए गए अपने भाषण में उन्‍होंने देश के लोगों द्वारा बनाई गई एक नई दुनिया की सराहना की। वहीं उन्‍होंने अपने विरोधी देशों को साफ चेतावनी देते हुए कहा कि देश को धमकाने की कोशिश करने वाली विदेशी ताकतों के सिर काट दिए जाएंगे। उनका ये भाषण लाइव प्रसारित किया गया है। थ्‍येनआनमन चौक पर चीन के लड़ाकू जहाजों के फ्लाइंग पास से शुरू हुए इस समारोह में उन्‍होंने कहा कि वो चीन की सैन्‍य ताकत को बढ़ाने और ताइवान, हांगकांग और मकाऊ को वापस अपने साथ मिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

अपने भाषण में चिनफिंग ने ये भी साफ कर दिया है कि चीन के लोग अपने आंतरिक मामलों में किसी भी विदेशी ताकत को सहन नहीं करेंगे। ताकतवर बनकर सामने आने की कोशिश कर रहा है। देश का कोई भी नागरिक इस बात को बर्दाश्‍त नहीं करेगा कि कोई भी विदेशी ताकत उन्‍हें धमकाए या अपने अधीन करने का दबाव बनाए।यदि किसी ने भी ऐसा करने की हिम्‍मत की तो उनका सिर चीन की उस महान दीवार पर लगा दिए जाएंग जिसको डेढ़ अरब चीनियों ने तैयार किया था।शी ने कहा कि सभी को एक साथ मिलकर काम करना होगा। उन्‍होंने साफ कर दिया कि ताइवान को आजाद करने के बारे में सोचने या इसकी साजिश रचने वालों का अंजाम अच्‍छा नहीं होगा। हांगकांग और मकाऊ में भी सामाजिक स्थिरता को ध्‍यान में रखते हुए आगे बढ़ना होगा। चिनफिंग ने कहा कि हांगकांग का दोबारा चीन के साथ विलय वन नेशन टू सिस्‍टम के तौर पर किया गया था। हांगकांग की ही तरह मकाऊ को भी ये हक हासिल है।

चीन की हर चाल पर भारत की नजर, , सेना कर रही हाईटेक निगरानी

पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील इलाके से भारत-चीन की सेनाओं की वापसी के बाद वहां शांति है। हालांकि, भारत की तरफ से इस क्षेत्र की गहन और हाईटेक निगरानी की जा रही है। सेना के सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि फिंगर-3 क्षेत्र, जहां भारतीय सेना अभी तैनात है, वहां ऊंचे स्थानों से दूरबीन और नाइट विजन उपकरणों की मदद से स्थिति पर नजर रखी जा रही है। फिंगर-3 की ऊंची पहाड़ियों से पूरे इलाके पर नजर रखना संभव है। इसके अलावा अत्याधुनिक ड्रोन भी तैनात किए गए हैं, जिनके जरिये पूरे क्षेत्र पर चौबीसों घंटे नजर रखी जा रही है। दोनों देशों की सेनाएं समझौते के तहत ही पीछे हटी हैं, लेकिन भारतीय सेना हर प्रकार से एहतियात बरत रही है।

भारतीय सेना अब फिंगर-3 के निकट धन सिंह थापा पोस्ट के करीब आ चुकी है, जबकि चीनी फौज फिंगर-8 तक पीछे हट चुकी है। फिंगर-1 से फिंगर-8 तक का पूरा इलाका 134 किलोमीटर लंबा है। जो इलाका खाली हुआ है, वह भी तकरीबन सौ किलोमीटर के दायरे में फैला है।

तय समझौते के तहत इस क्षेत्र में अस्थाई तौर पर गश्त स्थगित रखी गई है। भारतीय सेना फिंगर-8 और चीन की सेना फिंगर-4 तक गश्त करती थी। सूत्रों ने कहा कि इसके शुरू होने में अभी लंबा वक्त लग सकता है, क्योंकि पहले टकराव के अन्य बिन्दुओं, जिनमें डेप्सांग (डेपसांग), डेमचौक, हॉट स्प्रिंग और गोगरा शामिल हैं, उन पर सारा ध्यान है। पिछली बैठक में भी इन्हीं पर जोर दिया गया था।

सूत्रों के मुताबिक, हाट स्प्रिंग और गोगरा में सेनाएं पहले ही काफी हद तक पीछे हट चुकी हैं। वहां पर मई से पूर्व की स्थिति बहाल करने में ज्यादा मुश्किल नहीं है। अलबत्ता डेप्सांग और डेमचौके के मुद्दे जटिल हैं। उन्हें सुलझाने में अभी वक्त लग सकता है। सूत्रों ने कहा कि भारत-चीन में अगले कुछ दिनों में 11वें दौर की बैठक हो सकती है। या फिर विदेश मंत्रालयों के बीच बनी संयुक्त समिति आपस में चर्चा कर सकती है।

चीन की चालबाजी को जानता है भारत, संबंध ठीक करने को ड्रैगन को करना है अभी बहुत कुछ

भारत और चीन के बीच भले ही लद्दाख में पैंगोंग इलाकों से डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, मगर चालाक चीन कब चालबाजी दिखा दे, इसके लिए भारत को हमेशा सतर्क रहना होगा। भारत-चीन मामलों से जुड़े लोगों ने कहा कि पैंगोंग इलाकों से दोनों सेनाओं का पीछे हटना महज एक प्रक्रिया की शुरुआत है, चीन को द्वीपक्षीय संबंधों को पूरी तरह से सामान्य स्थिति में बहाल करने के लिए अभी और अधिक प्रयास करने की जरूरत है।

नाम न जाहिर होने देने की शर्त पर इस मामले से जुड़े लोगों ने कहा कि सीमा पर तनाव को कम करने के लिए द्विपक्षीय या फिर बहुपक्षीय स्तर पर चीन का अगला कदम क्या होगा, इसे बारीकी से देखा जाएगा। मामले से जुड़े लोगों में से एक ने कहा, ‘ट्रेन पटरी से उतर गई थी। हमने इसे वापस पटरियों पर लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब देखने वाली बात होगी कि आखिर चीजें कहां तक जाती हैं।

मामले से जुड़े लोगों ने पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट पर से भारतीय और चीनी सेना की हालिया वापसी (डिसइंगेजमेंट) को एक ‘अच्छी शुरुआत’ बताया, लेकिन आगाह किया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कई अन्य टकराव के अन्य बिंदुओं पर विवाद को हल करने के लिए और अधिक किए जाने की आवश्यकता है।

एक अधिकारी ने कहा, ‘भारत और चीन के बीच में बहुत सी चीजें गलत हो गई हैं और चीजों को सही करने का काम अब शुरू हो गया है। आगे बढ़ने की बात करने से पहले हमें चीजों को वापस ट्रैक पर लाना होगा।’ बता दें कि पैंगोंग झील में डिसइंगेजमेंट के पूरा होने के बाद 20 फरवरी को भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच 10वें दौर की वार्ता आयोजित हुई थी, जिसमें टकराव के अन्य बिंदू जैसे गोगरा, हॉट स्प्रिंग्स और डेपसांग इलाकों से सेना को पीछे हटने के मुद्दे पर बातचीत  हुई थी, मगर अब तक इस दिशा में कोई सफलता हाथ नहीं लग पाई है।

चीनी सैनिकों के घुसपैठ के प्रयास को फिर मिली नाकामी, भारतीय जवानों ने LAC से वापस खदेड़ा

नई दिल्ली। भारत और चीन सीमा पर कई महीनों से तनाव की स्थिति बनी हुई है। पिछले सप्ताह एक बार फिर से भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए चीनी सैनिकों की घुसपैठ को नाकाम कर दिया है। इस दौरान दोनों पक्षों के सैनिक जख्मी हुए।

भारतीय सेना की ओर से जारी बयान के मुताबिक, 20 जनवरी को दोनों सेनाओं के बीच मामूली झड़प हुई थी जिसे वहां लागू प्रोटोकॉल के तहत स्थानीय कमांडरों ने सुलझा लिया था। बता दें कि रविवार को दोनों देशों के बीच 9वें दौर की सैन्य वार्ता समाप्त होने के बाद ये मामला सोमवार को सामने आया है।

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में सीमा पर दोनों देशों के बीच जारी तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन के बीच रविवार को नौवें दौर की सैन्य वार्ता संपन्न हुई। चुशूल इलाके के दूसरी ओर स्थित मोल्दो में आयोजित यह वार्ता 15 घंटे से भी अधिक चली। रविवार सुबह 11 बजे से शुरू हुई वार्ता सोमवार को 2:30 am बजे संपन्न हुई। सीमा पर तनाव को सुलझाने के क्रम में कई दौर की वार्ता हुई लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है। इससे पहले 6 नवंबर 2020 को सैन्य वार्ता हुई थी।

दरअसल चीन की  सेना भारतीय सीमा में घुसने का प्रयास कर रही थी जिसे रोकने के लिए वहां तैनात भारतीय सैनिकों ने हमला किया। जवाबी संघर्ष में 20 चीनी सैनिक व चार भारतीय जवान जख्मी हो गए। इससे पहले पिछले साल 15 जून को दोनों देशों की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख स्थित गलवन घाटी के प्वाइंट 14 में हिंसक झड़प हुई थी। इसमें एक कर्नल समेत 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। दोनों देशों के बीच विवादों में  पिछले साल लद्दाख का नाकू ला एरिया भी शामिल हो गया। पिछले साल अप्रैल-मई से सीमा LAC पर दोनों देशों  के सैनिक तैनात हैं।  2017 में भारत और चीन के सेना डोकलाम में आमने-सामने थे।

https://youtu.be/SJ3qR0qNYHc