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एयरपोर्ट की तरफ आते राकेट को अमेरिकी डिफेंस मिसाइल सिस्‍टम ने पहले ही इंटरसेप्‍ट कर नष्‍ट कर दिया-काबुल एयरपोर्ट

अमेरिका ने काबुल एयरपोर्ट की तरफ दागे गए पांच राकेट हमलों को विफल कर दिया है। एयरपोर्ट की तरफ आते इन राकेट को अमेरिकी डिफेंस मिसाइल सिस्‍टम ने पहले ही इंटरसेप्‍ट कर नष्‍ट कर दिया गया था। इंटरसेप्‍ट का अर्थ अपनी तरफ आते किसी राकेट या मिसाइल का पता लगाकर जवाबी कार्रवाही करना है। हालांकि अभी तक ये साफ नहीं हो पाया है कि इन सभी राकेट हमलों को विफल कर दिया गया है या नहीं। अमेरिकी सैन्‍य अधिकारी का कहना है कि ये शुरुआती रिपोर्ट के आधार पर दिया गया बयान है। कुछ समय के बाद इसमें बदलाव भी संभव है। अधिकारी के मुताबिक ये राकेट हमले सोमवार सुबह किए गए थे। 

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अमेरिका के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवान के मुताबिक इसकी जानकारी राष्‍ट्रपति जो बाइडन को भी दे दी गई है। व्‍हाइट हाउस से जारी एक बयान में उन्‍होंने कहा है कि एयरपोर्ट का संचालन बादस्‍तूर जारी है।गौरतलब है कि रविवार को अमेरिका ने काबुल पर ड्रोन से हमला किया था। इसमें सुसाइड बंबर को निशाना बनाया गया था, जिसके निशाने पर काबुल एयरपोर्ट था। अमेरिका का कहना है कि काबुल एयरपोर्ट पर इस्‍लामिक स्‍टेट के आतंकी फिर हमला कर सकते हैं। उनके निशाने पर अमेरिकी सेना है, जो अभी काबुल में है। आपको बता दें कि अमेरिका सेना 31 अगस्‍त से पहले अपनी फौज को वहां से निकालने की कवायद में जुटी है।अमेरिका ने साफ कर दिया है कि जब तक उसका एक भी नागरिक या फौजी काबुल में मौजूद रहेगा, तब तक वो अपनी सेना को पूरी तरह से वहां से नहीं निकालेगा। अमेरिका ने ये भी साफ कर दिया है कि काबुल पर राकेट को आईएसआईएस का खुरासान गुट अंजाम दे रहा है। आपको बता दें कि इससे पहले काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमले की जिम्‍मेदारी इसी गुट ने ली थी। 

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इस तरह के हमलों को अमेरिका ने इराक में भी झेला है। इसी वजह से अमेरिका ने यहां पर अपनी मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम को तैनात किया हुआ है, जो उनकी तरफ आने वाली किसी भी मिसाइल या राकेट की जानकारी हमले से पहले ही दे देता है। इसके बाद यही सिस्‍टम इसके जवाब में मिसाइल दाग देता है। अमेरिकी सेना की सेंट्रल कमांड के जनरल फ्रेंक मैकेंजी का कहना है कि वो इस तरह के हमलों से पूरी तरह से वाकिफ हैं। उनके पास इससे बचने का उपाय है। उनकी सबसे बड़ी चिंता सुसाइड बंबर और कार बम को लेकर है।

काबुल एयरपोर्ट बम धमाके में अब तक 70 लोगों की मौत, 135 से अधिक घायल,आइएसआइस-के ने ली हमले की जिम्मेदारी

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में गुरुवार को एयरपोर्ट के बाहर हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस धमाके में अब तक 72 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 140 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। दुनिया के खूंखार आतंकवादी संगठन ISIS-K ने इस आत्‍मघाती हमले की जिम्‍मेदारी ली है। एक के बाद एक हुए सिलसिलेवार दो बम धमाकों और भीड़ पर कुछ बंदूकधारियों द्वारा गोलीबारी करने से 11 मरीन कमांडो व एक मेडिक समेत 12 अमेरिकी सुरक्षा कर्मियों की भी जान गई है। इस हमले में महिलाओं, सुरक्षा कर्मियों और तालिबान के गार्ड समेत 143 लोग घायल हुए हैं।

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इस बीच, अमेरिका ने कहा कि हम इस हमले के जिम्मेदार लोगों को माफ नहीं करेंगे। राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि अमेरिका इसका बदला लेगा। इसकी कीमत चुकानी होगीइस हमले को लेकर अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने हमले के जिम्‍मेदारों पर हमला बोलते हुए कहा है कि हम उन्‍हें खोज कर मारेंगे। आपको इसकी कीमत चुकानी होगी। राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने काबुल के हमलावरों को कहा- हम आपको माफ नहीं करेंगे, हम भूलेंगे नहीं. हम खोजकर तुम्‍हारा शिकार करेंगे और तुम्‍हें कीमत चुकानी होगी। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि काबुल हवाई अड्डे पर हुए हमलों में तालिबान और इस्लामिक स्टेट के बीच मिलीभगत का अब तक कोई सबूत नहीं है।

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व्हाइट हाउस में बोलते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि हम अफगानिस्तान में फंसे अमेरिकी नागरिकों को बचाएंगे। हम अपने अफगान सहयोगियों को बाहर निकालेंगे और हमारा मिशन जारी रहेगा। व्हाइट हाउस के हवाले से एएफपी न्‍यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, 14 अगस्त से अब तक अफगानिस्तान से 100,000 से अधिक लोगों को निकाला गया है। बीते 24 घंटे में 7,500 लोगों में अमेरिका ने अफगानिस्तान से बाहर निकाला हैअमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुरुवार (स्थानीय समय) को आदेश दिया कि काबुल हमले के पीड़ितों को सम्मान देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से 30 अगस्त तक अमेरिका का झंडा व्हाइट हाउस में और सभी सार्वजनिक भवनों और मैदानों पर सभी सैन्य चौकियों और नौसेना स्टेशनों और सभी नौसैनिक जहाजों पर आधा फहराया जाएगा

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अफगानिस्‍तान के उप राष्‍ट्रपति रहे अमरुल्‍ला सालेह ने काबुल एयरपोर्ट पर हुए आतंकी संगठन आईएस के भीषण आत्‍मघाती हमले के मामले में तालिबान और पाकिस्‍तान को कटघरे में खड़ा किया है। सालेह ने कहा कि हमारे पास जितने भी साक्ष्‍य हैं, उससे पता चलता है कि आईएसआईएस के लड़ाकुओं की जड़ें तालिबान और हक्‍कानी नेटवर्क से खासतौर पर जुड़ी हुई हैं। उन्‍होंने पाकिस्‍तान पर भी निशाना साधा। सालेह ने ट्वीट करके कहा, ‘हमारे पास अभी जो भी साक्ष्‍य हैं, उनसे पता चलता है कि आईएस-के सदस्‍यों की जड़ें ताल‍िबान और खासतौर पर हक्‍कानी नेटवर्क से जुड़ी हुई हैं जो अभी काबुल में सक्रिय है। तालिबानी आईएसआईएस के साथ अपने संबंधों को खारिज करते हैं लेकिन यह कुछ उसी तरीके से है जैसे पाकिस्‍तान तालिबान के क्‍वेटा शूरा से करता है। तालिबान ने अपने स्‍वामी (पाकिस्‍तान) से बहुत कुछ सीख लिया है।अफगानिस्तान की राजधानी में गुरुवार देर शाम हुए दो विस्फोट की भारत ने भी कड़े शब्दों में निंदा की है। विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया में इसे कहा कि हम काबुल में हुए बम विस्फोटों की निंदा करते हैं। इस आतंकी वारदात में मारे गये लोगों के प्रति शोक संवेदना प्रकट करते हुए कहा गया है कि इस हमले के बाद और जरूरी हो गया है कि आतकंवाद और आतंकियों को सुरक्षित शरण देने वालों के खिलाफ पूरी दुनिया एकजुट हो

 

काबुल एयरपोर्ट के पास के दो आत्मघाती हमलावरों और बंदूकधारियों ने भीड़ को निशाना बनाकर हमला किया। जिसकी जिम्‍मेदारी आतंकवादी संगठन आईएसआईएस खुरासान (SIS-Khorasan) ने जिम्‍मेदारी ली है, जिसे ISIS-K के नाम से जाना जाता है। अमेरिका के एक अधिकारी का कहना है कि निश्चित तौर पर माना जा रहा है कि काबुल हवाई अड्डे के पास हुए हमले के पीछे आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट का हाथ है इस्लामिक स्टेट समूह तालिबान से अधिक चरमपंथी है और इसने असैन्य नागरिकों पर कई बार हमले किए हैंयह विस्फोट ऐसे समय हुआ है, जब अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद से हजारों अफगान देश से निकलने की कोशिश कर रहे हैं और पिछले कई दिनों से हवाई अड्डे पर जमा हैं। काबुल हवाई अड्डे से बड़े स्तर पर लोगों की निकासी अभियान के बीच पश्चिमी देशों ने हमले की आशंका जताई थी। इससे पहले गुरुवार को दिन में ही ब्रिटेन, अमेरिका समेत कई देशों ने लोगों से हवाई अड्डे से दूर रहने की अपील की थी क्योंकि वहां आत्मघाती हमले की आशंकर जताई गई थी

आज नाटो की आपातकालीन बैठक ,अफगानिस्तान में तालिबान का विरोध तेज

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां के हालात तेजी से बदल रहे हैं। इस बीच दहशत में वहां के लोगों में आक्रोश फूटने लगा है उसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन का दायरा बढ़ रहा है और लोग खुलकर तालिबान को चुनौती दे रहे हैं। अफगानिस्तान के स्वाधीनता दिवस पर राजधानी काबुल समेत कई शहरों में लोग राष्ट्रीय ध्वज लेकर तालिबान के खिलाफ बाहर निकले, उसके खिलाफ प्रदर्शन किए और कुछ जगहों पर तालिबानी झंडे को फाड़कर फेंक दिया। इस दौरान तालिबान आतंकियों की गोलीबारी में कई लोगों की मौत होने की भी खबर है।

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आज नाटो की आपातकालीन बैठक -अफगानिस्तान में पैदा हुए गंभीर संकट को लेकर नाटो ने आज आपातकालीन बैठक बुलाई है। इस अहम बैठक में वहां के हालात को लेकर विचार होगा। वहीं, नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग 30 देशों के सैन्य गठबंधन के विदेश मंत्रियों की आज होने वाली आपातकालीन बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें अफगानिस्तान पर मुख्य रूप से चर्चा होगी। स्टोल्टेनबर्ग ने बुधवार को ट्वीट किया कि अफगानिस्तान पर अपने साझा रूख एवं समन्वय जारी रखने के लिए उन्होंने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए आपातकालीन मीटिंग बुलाई हैस्टोल्टेनबर्ग ने मंगलवार को पश्चिम समर्थित सुरक्षा बलों की तेजी से हुई हार के लिए अफगानिस्तान के नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया था, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि नाटो को भी अपने सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम की खामियों को दूर करना चाहिए।

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अमेरिका ने 7000 लोगों को किया एयरलिफ्ट-एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि अमेरिका ने 14 अगस्त से 7,000 लोगों को एयरलिफ्ट किया है और जुलाई के अंत से 12,000 लोगों को निकाला है। अमेरिकी प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि काबुल हवाई अड्डे के आसपास 5,200 अमेरिकी सैनिक जमीन पर तैनात हैं। हवाई अड्डे पर अभी 6,000 लोग हैं, जिन्हें हमारी टीम द्वारा पूरी तरह से संसाधित किया गया है और जल्द ही वे विमानों में सवार होंगे।आगे नेड प्राइस ने कहा कि हम अफगानिस्तान में जमीनी  स्थिति से वाकिफ हैं। पिछले 24 घंटों के भीतर 2,000 से अधिक यात्री सुरक्षित स्थानों पर पहुंचे। 

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अमेरिका 22 हजार अफगानों को एयरलिफ्ट करेगा-अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने वादा किया है कि वह उन 22 हजार अफगानों को अफगानिस्तान से सुरक्षित ‘एयरलिफ्ट’ करेंगे जो खतरा उठाकर अब तक अमेरिकी सरकार की मदद करते आए हैं। इनमें से बहुत से अफगान नागरिक तालिबानी रकावटों के कारण प्रांतों में ही फंसे हुए हैं और अभी भी काबुल तक नहीं पहुंच पाए हैं।

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अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस से समर्थन और सैन्य मदद की अपीलपंजशीर घाटी में तालिबान को करना पड़ेगा विरोध का सामना

अफगानिस्तान में संघर्ष कम होने का नाम नहीं ले रहा है। अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी में तालिबान से लोहा लेने के लिए उसके विरोधी इकट्ठा होने लगे हैं। 1980 के दशक में अफगानिस्तान के सोवियत विरोधी प्रतिरोध के मुख्य नेताओं में से एक अहमद शाह मसूद के बेटे ने पंजशीर घाटी में अपने गढ़ से तालिबान के खिलाफ पकड़ बनाने का संकल्प लिया है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि नार्दन एलाएंस तालिबान के खिलाफ लड़ाई शुरू कर सकता है। पंजशीर घाटी में तालिबान को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। बताया जाता है कि अफगान आर्मी के काफी संख्या में जवान भी पंजशीर घाटी पहुंचे हैं।

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पंजशीर घाटी में जमा हैं तालिबान विरोधी-वाशिंगटन पोस्ट के संपादकीय में पूर्व मुजाहिदीन कमांडर के 32 वर्षीय बेटे अहमद मसूद ने कहा, अफगान सेना के कुछ विशिष्ट विशेष बल इकाइयों सहित कुछ ने उसके कारण रैली की। मसूद ने तालिबान के खिलाफ पश्चिम से मदद की अपील की। उसने कहा है कि हमारे पास गोला-बारूद और हथियारों के भंडार हैं, जो मेरे पिता के समय से धैर्यपूर्वक एकत्र किया गया, क्योंकि हम जानते थे कि यह दिन कभी भी आ सकता है। उन्होंने संपादकीय में कहा कि उनके साथ शामिल होने वाले कुछ बल अपने हथियार लाए हैं। उन्होंने कहा कि अगर तालिबान के सरदार हमला करते हैं, तो उन्हें निश्चित रूप से हमारे कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा।अमरुल्ला सालेह ने पंजशीर घाटी में ली शरण-अहमद शाह मसूद के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक अमरुल्ला सालेह हैं जो अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति थे। उन्होंने पंजशीर घाटी में शरण ली हुई है। उन्होंने दावा कि अशरफ गनी के काबुल से भागने के बाद वह अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति हैं क्योंकि तालिबान ने रविवार को काबुल पर कब्जा कर लिया था

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पंजशीर घाटी को नहीं जीत सके सोवियत संघ और तालिबान-काबुल के उत्तर में पंजशीर घाटी को अभी भी तालिबान नहीं जीत सका है। यहां तक कि सोवियत सघ के समय भी यहां पर बख्तरबंद वाहनों को असफल लड़ाइयों में नष्ट कर दिया गया था। इस क्षेत्र को सोवियत संघ नहीं जीत सका था। जब तालिबान ने 1996-2001 में अफगानिस्तान पर शासन किया था, तब भी यह क्षेत्र तालिबान के खिलाफ था। 11 सितंबर, 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका पर अल कायदा के उग्रवादियों द्वारा किए गए हमलों से कुछ दिन पहले अहमद शाह मसूद को मार दिया गया था।पंजशीर घाटी का अफगानिस्तान और दुनिया भर में बड़ा नाम-मसूद ने तालिबान शासन के दौरान इस अफगान अभयारण्य का आनंद लिया था और उसका नाम अफगानिस्तान और दुनिया भर में भारी वजन रखता है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि क्या पंजशीर घाटी में उनकी सेना तालिबान के किसी भी हमले को पीछे हटाने में सक्षम होगी। तालिबान ने अब तक संकरी घाटी में प्रवेश करने की कोशिश नहीं की है। ऐसे में क्या मसूद की घोषणा वार्ता की दिशा में एक प्रारंभिक कदम है

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अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस से समर्थन और सैन्य मदद की अपील-उन्होंने कहा कि उनकी सेना पश्चिम की मदद के बिना नहीं रुक पाएगी। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस से समर्थन और सैन्य मदद की अपील की। उन्होंने कहा कि तालिबान अकेले अफगान लोगों के लिए कोई समस्या नहीं है। अफगानिस्तान तालिबान के नियंत्रण में निस्संदेह कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद का आधार बन जाएगा। यहां एक बार फिर लोकतंत्र के खिलाफ साजिश रची जाएगी।

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काबुल एयरपोर्ट पर अफरातफरी का माहौल: देश छोड़ कर जाने के लिए उमड़ी भीड़

काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें अमेरिकी एयरफोर्स के विमान US military C-17 के डैने पर लोग बैठने की जुगत में हैं और उड़ान भरते समय युवकों की एक भीड़ साथ में दौड़ रही है।

तालिबान के आते ही अफगानिस्तान के लोगों में हड़कंप है। वहां के लोग बेचैनी से दूसरे देश जाने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं।  इस क्रम में ही सोमवार को एक हृदयविदारक घटना सामने आई। अमेरिका जा रही विमान के अंदर सीट न मिलने पर उसके पहिए से ही लोग लटक गए, लेकिन कुछ ही देर बाद गिरने से इनकी मौत हो गई। इस हादसे का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

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काबुल एयरपोर्ट के यात्री टर्मिनल पर सोमवार को फायरिंग में भी लोगों की मौत हुई। हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सेना ने हवा में फायरिंग की, ताकि लोगों की भीड़ को रोका जा सके। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि 8 लोगों की मौत भगदड़ में हुई या फिर गोली लगने से। एयरपोर्ट पर सभी कमर्शियल सेवाएं निरस्त कर दी गई केवल ब्रिटेन, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के नागरिकों के लिए उड़ानों को अनुमति दी गई है।

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