DESK: अफगानिस्तान में जबसे तालिबान शासन आया है, वहा के लोगो का जीना मुश्किल सा हो गया है. गरीबी और बेरोजगारी का आलम यह है कि बच्चों को भूख लगने पर घरवाले नींद की दवापेट भरने के लिए माता-पिता बेटियों की किडनी तक बेच दे रहे हैं.इयां दे रहे हैं. भूखे परिवारों का
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि एक मानवीय तबाही अब अफगानिस्तान में सामने आ रही है. हेरात के बाहर के क्षेत्र में अधिकांश पुरुष दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं. वे वर्षों से कठिन जीवन जी रहे हैं. लेकिन जब तालिबान ने पिछले अगस्त में सत्ता संभाली, तब से हालात और बिगड़ गए हैं. नई सरकार को कोई अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं होने के कारण, अफगानिस्तान में आने वाले विदेशी धन पर रोक लगी हुई है. इससे आर्थिक पतन शुरू हो गया है. अधिकांश दिनों में पुरुषों के पास कोई काम नहीं रह गया है. जिस दिन उन्हें काम मिलता है, वे लगभग 100 अफगानी या सिर्फ एक डॉलर के आसपास कमा पाते हैं.
हजरतुल्लाह ने कहा, “मैंने इसका ज्यादातर इस्तेमाल खाना खरीदने में किया और कुछ अपने छोटे बेटे की दवा के लिए. उसे देखिए, वह कुपोषित है.” कुपोषण दर में चौंका देने वाली वृद्धि इस बात का सबूत है कि अफगानिस्तान में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में भुखमरी पहले से बढ़ रही है.
अमेरिका ने काबुल एयरपोर्ट की तरफ दागे गए पांच राकेट हमलों को विफल कर दिया है। एयरपोर्ट की तरफ आते इन राकेट को अमेरिकी डिफेंस मिसाइल सिस्टम ने पहले ही इंटरसेप्ट कर नष्ट कर दिया गया था। इंटरसेप्ट का अर्थ अपनी तरफ आते किसी राकेट या मिसाइल का पता लगाकर जवाबी कार्रवाही करना है। हालांकि अभी तक ये साफ नहीं हो पाया है कि इन सभी राकेट हमलों को विफल कर दिया गया है या नहीं। अमेरिकी सैन्य अधिकारी का कहना है कि ये शुरुआती रिपोर्ट के आधार पर दिया गया बयान है। कुछ समय के बाद इसमें बदलाव भी संभव है। अधिकारी के मुताबिक ये राकेट हमले सोमवार सुबह किए गए थे।
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवान के मुताबिक इसकी जानकारी राष्ट्रपति जो बाइडन को भी दे दी गई है। व्हाइट हाउस से जारी एक बयान में उन्होंने कहा है कि एयरपोर्ट का संचालन बादस्तूर जारी है।गौरतलब है कि रविवार को अमेरिका ने काबुल पर ड्रोन से हमला किया था। इसमें सुसाइड बंबर को निशाना बनाया गया था, जिसके निशाने पर काबुल एयरपोर्ट था। अमेरिका का कहना है कि काबुल एयरपोर्ट पर इस्लामिक स्टेट के आतंकी फिर हमला कर सकते हैं। उनके निशाने पर अमेरिकी सेना है, जो अभी काबुल में है। आपको बता दें कि अमेरिका सेना 31 अगस्त से पहले अपनी फौज को वहां से निकालने की कवायद में जुटी है।अमेरिका ने साफ कर दिया है कि जब तक उसका एक भी नागरिक या फौजी काबुल में मौजूद रहेगा, तब तक वो अपनी सेना को पूरी तरह से वहां से नहीं निकालेगा। अमेरिका ने ये भी साफ कर दिया है कि काबुल पर राकेट को आईएसआईएस का खुरासान गुट अंजाम दे रहा है। आपको बता दें कि इससे पहले काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमले की जिम्मेदारी इसी गुट ने ली थी।
इस तरह के हमलों को अमेरिका ने इराक में भी झेला है। इसी वजह से अमेरिका ने यहां पर अपनी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को तैनात किया हुआ है, जो उनकी तरफ आने वाली किसी भी मिसाइल या राकेट की जानकारी हमले से पहले ही दे देता है। इसके बाद यही सिस्टम इसके जवाब में मिसाइल दाग देता है। अमेरिकी सेना की सेंट्रल कमांड के जनरल फ्रेंक मैकेंजी का कहना है कि वो इस तरह के हमलों से पूरी तरह से वाकिफ हैं। उनके पास इससे बचने का उपाय है। उनकी सबसे बड़ी चिंता सुसाइड बंबर और कार बम को लेकर है।
तालिबान ने ऐलान किया है कि उसके सैकड़ों लड़ाके पंजशीर घाटी पर हमला करने की तैयारी में हैं। उन्होंने अपने अरबी ट्विटर अकाउंट पर लिखा है कि स्थानीय राज्य के अधिकारियों द्वारा इसे शांतिपूर्वक सौंपने से इनकार करने के बाद इस्लामिक अमीरात के सैकड़ों मुजाहिदीन इस पर नियंत्रण करने के लिए पंजशीर राज्य की ओर बढ़ रहे हैं। तालिबान के प्रवक्ता जबील्ला मुजाहिद ने कहा कि उन्होंने पंजशीर प्रांत को घेरना शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से पंजशीर प्रांत इकलौता ऐसा राज्य है, जहां तालिबान अपना नियंत्रण स्थापति नहीं कर सका है। आखिर, पंजशीरी लड़ाके तालिबान शासन से क्यों चिढ़ते हैं। इसके पीछे क्या है बड़ी वजह। पंजशीर घाटी में तालिबान की क्या है बड़ी बाधाएं।
पंजशीर के लड़ाके तालिबान के लिए एक बड़ी मुश्किल खड़ी कर रहे हैं। इस घाटी से पंजशीरियों को खदेड़ना तालिबान के लिए एक बड़ी चुनौती है। पंजशीर लड़ाके युद्ध कला में पारंगत हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में तालिबान के लिए कुछ ऐसी बाधाएं हैं, जो इस जंग को और कठिन बना सकती हैं। पंजशीर के लड़ाके एक प्रेरित सेनानी है। इनके लिए अहमद शाह मसूद प्रेरणास्रोत हैं। अहमद शाह ही वह व्यक्ति थे, जिन्होंने 80 के दशक में पूर्व सोवियत संघ की सेना को अपने इलाके से बाहर खदेड़ने पर मजबूर किया थाअहमद शाह आज भी तालिबान विरोधी और खासतौर पर यहां के लोगों के लिए प्रेरणादायक हैं। यहां के लोगों को 9 सितंबर, 2001 को तालिबान के आश्रय दिए गए अल-कायदा द्वारा अहमद शाह की विश्वासघाती हत्या को भूल नहीं सके है। उन्हें यह बात आज भी काफी चुभती है। इसलिए उनके दिल और दिमाग पर बदले की भावनाएं हावी रहती हैं। यही बदले की आग उनके लिए एक आग की तरह है, जो एक अत्यधिक प्रेरित लड़ाकू बल को तालिबान को सबक सिखाने के लिए प्रोत्साहित करती है
पंजशीर के लड़ाके अपने संकल्प के बहुत मजबूत हैं। पंजशीरी लोगों में एक बात को ठान लेने की और इसे पूरा करने के लिए एकजुटता है। पंजशीरी लोगों में ज्यादातर ताजिक जातीयता के लोग है। यह उन्हें एक स्पष्ट पहचान और एकजुटता प्रदान करता है। यही सांस्कृतिक भावना और एकजुटता तालिबान के खिलाफ संघर्ष को और मजबूत करते हैं। इसका नेतृत्व ज्यादातर पश्तून आदिवासियों द्वारा किया जाता है। एक अन्य बात यह है कि पंजशीरियों का नेतृत्व भी एकजुट है। यही भावना अत्यधिक प्रेरित लड़ाकू बल को तालिबान को सबक सिखाने के लिए प्रोत्साहित करती है,तालिबान को पंजशीर घाटी के अत्यंत कठिन इलाके से निपटना होगा, जो गुरिल्ला युद्ध के लिए आदर्श है। इसके अलावा पंजशीर लड़ाकों के ऊपर पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह, पूर्व रक्षा मंत्री बिस्मिल्लाह मोहम्मदी के अलावा हैबतुल्लाह अलीजई और सामी सादात का भी हाथ है। देश छोड़कर भाग चुके राष्ट्रपति अशरफ गनी द्वारा शीर्ष जनरलों के रूप में इनको नियुक्त किया गया था। तालिबान के साथ लड़ाई शुरू होने की स्थिति में सबसे आगे रहने वालों में गिना जा सकता है
इसके पूर्व अल अरबिया टेलीविजन स्टेशन के साथ एक साक्षात्कार में मसूद ने चरमपंथी समूह तालिबान को पंजशीर घाटी का नियंत्रण सौंपने और आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया था। हालंकि, उन्होंने तालिबान के साथ वार्ता के लिए इच्छा व्यक्त की थी। मसूद ने यह भी स्पष्ट तौर पर कहा है कि वह पंजशीर घाटी का नियंत्रण छोड़ने के लिए कतई राजी नहीं है। अल अरबिया के अनुसार, तालिबान ने मसूद को काबुल के उत्तर में स्थित पंजशीर घाटी को छोड़ने के लिए चार घंटे का अल्टीमेटम दिया था
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां के हालात तेजी से बदल रहे हैं। इस बीच दहशत में वहां के लोगों में आक्रोश फूटने लगा है उसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन का दायरा बढ़ रहा है और लोग खुलकर तालिबान को चुनौती दे रहे हैं। अफगानिस्तान के स्वाधीनता दिवस पर राजधानी काबुल समेत कई शहरों में लोग राष्ट्रीय ध्वज लेकर तालिबान के खिलाफ बाहर निकले, उसके खिलाफ प्रदर्शन किए और कुछ जगहों पर तालिबानी झंडे को फाड़कर फेंक दिया। इस दौरान तालिबान आतंकियों की गोलीबारी में कई लोगों की मौत होने की भी खबर है।
आज नाटो की आपातकालीन बैठक -अफगानिस्तान में पैदा हुए गंभीर संकट को लेकर नाटो ने आज आपातकालीन बैठक बुलाई है। इस अहम बैठक में वहां के हालात को लेकर विचार होगा। वहीं, नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग 30 देशों के सैन्य गठबंधन के विदेश मंत्रियों की आज होने वाली आपातकालीन बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें अफगानिस्तान पर मुख्य रूप से चर्चा होगी। स्टोल्टेनबर्ग ने बुधवार को ट्वीट किया कि अफगानिस्तान पर अपने साझा रूख एवं समन्वय जारी रखने के लिए उन्होंने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए आपातकालीन मीटिंग बुलाई हैस्टोल्टेनबर्ग ने मंगलवार को पश्चिम समर्थित सुरक्षा बलों की तेजी से हुई हार के लिए अफगानिस्तान के नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया था, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि नाटो को भी अपने सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम की खामियों को दूर करना चाहिए।
अमेरिका ने 7000 लोगों को किया एयरलिफ्ट-एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि अमेरिका ने 14 अगस्त से 7,000 लोगों को एयरलिफ्ट किया है और जुलाई के अंत से 12,000 लोगों को निकाला है। अमेरिकी प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि काबुल हवाई अड्डे के आसपास 5,200 अमेरिकी सैनिक जमीन पर तैनात हैं। हवाई अड्डे पर अभी 6,000 लोग हैं, जिन्हें हमारी टीम द्वारा पूरी तरह से संसाधित किया गया है और जल्द ही वे विमानों में सवार होंगे।आगे नेड प्राइस ने कहा कि हम अफगानिस्तान में जमीनी स्थिति से वाकिफ हैं। पिछले 24 घंटों के भीतर 2,000 से अधिक यात्री सुरक्षित स्थानों पर पहुंचे।
अमेरिका 22 हजार अफगानों को एयरलिफ्ट करेगा-अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने वादा किया है कि वह उन 22 हजार अफगानों को अफगानिस्तान से सुरक्षित ‘एयरलिफ्ट’ करेंगे जो खतरा उठाकर अब तक अमेरिकी सरकार की मदद करते आए हैं। इनमें से बहुत से अफगान नागरिक तालिबानी रकावटों के कारण प्रांतों में ही फंसे हुए हैं और अभी भी काबुल तक नहीं पहुंच पाए हैं।
अफगानिस्तान में संघर्ष कम होने का नाम नहीं ले रहा है। अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी में तालिबान से लोहा लेने के लिए उसके विरोधी इकट्ठा होने लगे हैं। 1980 के दशक में अफगानिस्तान के सोवियत विरोधी प्रतिरोध के मुख्य नेताओं में से एक अहमद शाह मसूद के बेटे ने पंजशीर घाटी में अपने गढ़ से तालिबान के खिलाफ पकड़ बनाने का संकल्प लिया है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि नार्दन एलाएंस तालिबान के खिलाफ लड़ाई शुरू कर सकता है। पंजशीर घाटी में तालिबान को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। बताया जाता है कि अफगान आर्मी के काफी संख्या में जवान भी पंजशीर घाटी पहुंचे हैं।
पंजशीर घाटी में जमा हैं तालिबान विरोधी-वाशिंगटन पोस्ट के संपादकीय में पूर्व मुजाहिदीन कमांडर के 32 वर्षीय बेटे अहमद मसूद ने कहा, अफगान सेना के कुछ विशिष्ट विशेष बल इकाइयों सहित कुछ ने उसके कारण रैली की। मसूद ने तालिबान के खिलाफ पश्चिम से मदद की अपील की। उसने कहा है कि हमारे पास गोला-बारूद और हथियारों के भंडार हैं, जो मेरे पिता के समय से धैर्यपूर्वक एकत्र किया गया, क्योंकि हम जानते थे कि यह दिन कभी भी आ सकता है। उन्होंने संपादकीय में कहा कि उनके साथ शामिल होने वाले कुछ बल अपने हथियार लाए हैं। उन्होंने कहा कि अगर तालिबान के सरदार हमला करते हैं, तो उन्हें निश्चित रूप से हमारे कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा।अमरुल्ला सालेह ने पंजशीर घाटी में ली शरण-अहमद शाह मसूद के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक अमरुल्ला सालेह हैं जो अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति थे। उन्होंने पंजशीर घाटी में शरण ली हुई है। उन्होंने दावा कि अशरफ गनी के काबुल से भागने के बाद वह अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति हैं क्योंकि तालिबान ने रविवार को काबुल पर कब्जा कर लिया था
पंजशीर घाटी को नहीं जीत सके सोवियत संघ और तालिबान-काबुल के उत्तर में पंजशीर घाटी को अभी भी तालिबान नहीं जीत सका है। यहां तक कि सोवियत सघ के समय भी यहां पर बख्तरबंद वाहनों को असफल लड़ाइयों में नष्ट कर दिया गया था। इस क्षेत्र को सोवियत संघ नहीं जीत सका था। जब तालिबान ने 1996-2001 में अफगानिस्तान पर शासन किया था, तब भी यह क्षेत्र तालिबान के खिलाफ था। 11 सितंबर, 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका पर अल कायदा के उग्रवादियों द्वारा किए गए हमलों से कुछ दिन पहले अहमद शाह मसूद को मार दिया गया था।पंजशीर घाटी का अफगानिस्तान और दुनिया भर में बड़ा नाम-मसूद ने तालिबान शासन के दौरान इस अफगान अभयारण्य का आनंद लिया था और उसका नाम अफगानिस्तान और दुनिया भर में भारी वजन रखता है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि क्या पंजशीर घाटी में उनकी सेना तालिबान के किसी भी हमले को पीछे हटाने में सक्षम होगी। तालिबान ने अब तक संकरी घाटी में प्रवेश करने की कोशिश नहीं की है। ऐसे में क्या मसूद की घोषणा वार्ता की दिशा में एक प्रारंभिक कदम है
अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस से समर्थन और सैन्य मदद की अपील-उन्होंने कहा कि उनकी सेना पश्चिम की मदद के बिना नहीं रुक पाएगी। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस से समर्थन और सैन्य मदद की अपील की। उन्होंने कहा कि तालिबान अकेले अफगान लोगों के लिए कोई समस्या नहीं है। अफगानिस्तान तालिबान के नियंत्रण में निस्संदेह कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद का आधार बन जाएगा। यहां एक बार फिर लोकतंत्र के खिलाफ साजिश रची जाएगी।
काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें अमेरिकी एयरफोर्स के विमान US military C-17 के डैने पर लोग बैठने की जुगत में हैं और उड़ान भरते समय युवकों की एक भीड़ साथ में दौड़ रही है।
तालिबान के आते ही अफगानिस्तान के लोगों में हड़कंप है। वहां के लोग बेचैनी से दूसरे देश जाने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। इस क्रम में ही सोमवार को एक हृदयविदारक घटना सामने आई। अमेरिका जा रही विमान के अंदर सीट न मिलने पर उसके पहिए से ही लोग लटक गए, लेकिन कुछ ही देर बाद गिरने से इनकी मौत हो गई। इस हादसे का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
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काबुल एयरपोर्ट के यात्री टर्मिनल पर सोमवार को फायरिंग में भी लोगों की मौत हुई। हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सेना ने हवा में फायरिंग की, ताकि लोगों की भीड़ को रोका जा सके। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि 8 लोगों की मौत भगदड़ में हुई या फिर गोली लगने से। एयरपोर्ट पर सभी कमर्शियल सेवाएं निरस्त कर दी गई केवल ब्रिटेन, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के नागरिकों के लिए उड़ानों को अनुमति दी गई है।
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काबुल, एजेंसी। तालिबान के आते ही अफगानिस्तान के लोगों में हड़कंप है। वहां के लोग बेचैनी से दूसरे देश जाने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। इस क्रम में ही सोमवार को एक हृदयविदारक घटना सामने आई। अमेरिका जा रही विमान के अंदर सीट न मिलने पर उसके पहिए से ही लोग लटक गए लेकिन कुछ ही देर बाद गिरने से इनकी मौत हो गई। इस हादसे का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
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काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें अमेरिकी एयरफोर्स के विमान US military C-17 के पहिए से लटकने की जुगत में हैं और उड़ान भरते समय युवकों की भीड़ साथ में दौड़ रही है। इससे यह साफ पता चलता है यहां के लोगों के मन में तालिबान को लेकर किस हद तक खौफ है। अफगानिस्तान के लोगों में देश छोड़ने की ऐसी हड़बड़ी है कि वे जान की परवाह किए बिना ही विमान के डैने तक पर बैठ कर रवाना हुए लेकिन उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद गिरने से मौत हो गईकाबुल एयरपोर्ट के यात्री टर्मिनल पर सोमवार को फायरिंग में भी लोगों की मौत हुई। हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सेना ने हवा में फायरिंग ताकि लोगों की भीड़ को रोका जा सके। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि 8 लोगों की मौत भगदड़ में हुई या फिर गोली लगने से। एयरपोर्ट पर सभी कमर्शियल सेवाएं निरस्त कर दी गई केवल ब्रिटेन, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के नागरिकों के लिए उड़ानों को अनुमति दी गई है।
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