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कल्‍याण के त्रयोदशी संस्‍कार में आ सकते हैं मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ, राम मंदिर से सदैव जुड़ा रहेगा कल्याण सिंह का नाम

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा है कि एक युग का अंत हुआ है। कल्याण सिंह ने जिस तरीके से उत्तर प्रदेश के विकास को गति दी, उसी प्रेम से राज्यपाल रहते हुए उन्होंने राजस्थान को विकसित करने में मदद की। मैंने उन्हें करीब से देखा। उनके मार्गदर्शन में काम किया है। वे जो भी काम करते थे तो सबसे पहले उनका ध्यान गरीब और असहाय लोगों पर जाता थाराजस्‍थान की पूर्व मुख्‍यमंत्री वसुंधरा ने कहा राममंदिर से उनका नाम सदैव जुड़ा रहेगा। कोई उन्हें भूल नहीं सकता। थोड़े दिन और जिंदा रहतेे तो भव्य मंदिर देखने का उन्हें मौका मिलता। वसुंधरा राजे ने कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया को ढांढस बंधाया। उनके साथ राजस्थान के कई विधायक भी मौजूद थे।

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पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की एक सितंबर को केएमवी इंटर कालेज में होने वाले त्रयोदशी संस्कार को लेकर तैयारियां तेज हो गईं हैं। शुक्रवार को एटा सांसद राजवीर सिंह राजू भैया ने अपने छोटे पुत्र सौरभ सिंह के साथ कार्यकम स्‍थल का जायजा लिया। उन्होंने कार्यक्रम स्थल को तैयार करा रहे ठेकेदारों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। विशाल प्रांगण तीन गेट प्रवेश द्वार के लिए बनाए गए हैं। वीआईपी व क्षेत्रीय जनता के लिए दो अलग-अलग परिसर में व्यवस्था हो रही है। वीआईपी वाहन पार्किंग केएमवी इंटर कालेज के ठीक सामने व हेलीपैड नगर से बाहर गांव पिलखुनी के निकट बनाया गया है। त्रयोदशी संस्कार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही केंद्र व प्रदेश के कई मंत्री और बड़े नेताओं के पहुंचने की संभावना है। इसलिए प्रशासनिक अधिकारी प्रतिदिन अतरौली का दौरा कर रहे हैं। धनीपुर हवाई पट्टी से लेकर अतरौली तक सड़क भी ठीक की जा रही है। अधिकारी हरेक बारीकी पर नजर रखे हुए हैं

रचकर इतिहास आखिरकार पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी इतिहास हो गए,जिन्होंने छह दिसंबर 1992 के एक फैसले से लाखों रामभक्तों का मनोरथ पूरा होने का रास्ता तो खोल दिया

 रचकर इतिहास आखिरकार पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी इतिहास हो गए। वह कल्याण सिंह, जिन्होंने छह दिसंबर 1992 के एक फैसले से लाखों रामभक्तों का मनोरथ पूरा होने का रास्ता तो खोल दिया, लेकिन उनकी खुद की अंतिम इच्छा पूरी न हो सकी। मंदिर के शिलान्यास से आनंदित पूर्व मुख्यमंत्री भव्य राम मंदिर बना देखना चाहते थे। मंदिर आकार ले भी रहा है, लेकिन वक्त से पहले नींव का ये पत्थर दरक गया। राम जन्मभूमि के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद जब पांच अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर के भूमिपूजन के लिए अयोध्या आने वाले थे, तब ‘दैनिक जागरण’ को दिए साक्षात्कार में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह ने न सिर्फ खुलकर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं, बल्कि स्पष्टवादिता के साथ कई अनछुए पहलू भी उजागर किए थे88 की उम्र और बीमारी से शरीर भी कमजोर, फिर भी भूमिपूजन समारोह में शामिल होना चाहते थे। यह दीगर बात है कि कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते उन्हें न जाने की सलाह दी गई और उन्होंने अपने लखनऊ स्थित आवास पर ही पांच अगस्त को दीपावली मनाई। हालांकि, जब उनसे मंदिर निर्माण शुरू होने के बाबत भावनाएं पूछीं तो बोले थे- ‘श्री राम देश के करोड़ों लोगों की आस्था के बिंदु हैं। मैं भी उन्हीं करोड़ों लोगों में से एक हूं। मेरे दिल की आकांक्षा थी कि भव्य राम मंदिर बन जाए। अब विश्वास है कि यह बनने जा रहा है। अब मैं चैन से, बड़ी शांति से मृत्यु का वरण कर सकता हूं। हां, यह इच्छा और है कि मेरे जीवनकाल में भव्य मंदिर बनकर पूरा हो जाए

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दरअसल, कल्याण सिंह वह व्यक्ति हैं, जिन्हें राम मंदिर आंदोलन के सूत्रधारों में सबसे प्रमुख स्थान दिया जा सकता है। छह दिसंबर, 1992 को जब हजारों कारसेवक विवादित ढांचा ढहाने के लिए अयोध्या पहुंच गए, तब बतौर मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने पुलिस-प्रशासन के बार-बार कहने पर भी कारसेवकों पर गोली चलाने की अनुमति नहीं दी और ढांचा विध्वंस होते ही इस घटना की जिम्मेदारी लेते हुए शाम को राजभवन पहुंचकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उसी मामले में पूरी प्रदेश सरकार बर्खास्त कर दी गई थी। ढांचा विध्वंस मामले को लेकर मुकदमा चलता रहा, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री होने के नाते कल्याण सिंह भी आरोपित थे, लेकिन उन्हें अपने फैसले पर कभी मलाल नहीं रहा।उनके ही शब्दों में उनकी भावनाएं जानिए- ‘मुझे अपने फैसले पर गर्व है। मैंने लाखों रामभक्तों की जान बचाई। मेरे माथे पर एक भी रामभक्त की हत्या का कलंक नहीं है। इतिहासकार यह भी लिखेंगे कि राम मंदिर निर्माण की भूमिका छह दिसंबर, 1992 को ही बन गई थी। मुझे लगता है कि ढांचा न गिरता तो न्यायालय से मंदिर को जमीन देने का निर्णय भी शायद न होता। वैसे भी किसी के प्रति श्रद्धा और समर्पण हो तो उसके लिए कोई भी बलिदान छोटा होता है। गोली चलवा देता तो जरूर मलाल होता

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अपनी अटैची में रखे थे छह दिसंबर, 1992 का आदेश- अमूमन किसी भी व्यक्ति का राजनीतिक और निजी जीवन अलग होता है, ध्येय अलग होते हैं, लेकिन कल्याण सिंह ने इस मिथक को तोड़ा। सूबे की सत्ता में शीर्ष पर बैठे थे, तब और जीवन के ढलान पर पहुंचने पर भी उनके मन मंदिर में राम मंदिर ही रहा। बातचीत के दौरान जब उनसे छह दिसंबर के फैसले का जिक्र किया तो तुरंत ही अपने सहयोगी से अटैची खुलवाई और उसी आदेश का कागज हाथ में थाम लिया, जो उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में प्रशासन को लिखित में दिया था। न्यायालय में चल रहे मुकदमे से बेफिक्र कल्याण ने उस घटना को लेकर अपने फैसले को खुलकर साझा कियाहां, आप अमर हो गए बाबूजी  -बाबूजी के नाम से प्रसिद्ध दिग्गज नेता ने उसी साक्षात्कार में बड़े गर्व से कहा था- ‘जब भी मंदिर का इतिहास लिखा जाएगा, तब देशव्यापी आंदोलन, आंदोलन चलाने वालों, गोली खाने वाले रामभक्तों का नाम भी अमर होगा। छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में ढांचा विध्वंस हुआ, उसका उल्लेख भी जरूर होगा।’ इस तरह वाकई बाबूजी भी राम मंदिर आंदोलन के साथ हमेशा-हमेशा के लिए अमर हो गए28 वर्ष बाद बरी – बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में कल्याण सिंह, लालकृष्ण आडवाणी, डा. मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार जैसे दिग्गज नेताओं पर मुकदमा चला। राम मंदिर भूमिपूजन के बाद सीबीआइ की विशेष अदालत का फैसला आया। 28 वर्ष बाद इन सभी आरोपितों को बरी कर दिया गया।

कल्याण सिंह के पार्थ‍िव शरीर का दर्शन करने आएंगे पीएम मोदी व गृहमंत्री अमित शाह

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर के दर्शन के लिए सुबह से ही जन समूह उमड़ रहा था। सुबह सात बजे करीब बसपा प्रमुख मायावती भी उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंची। इसके अलावा बाल कल्याण एवं महिला विकास मंत्री स्वाति सिंह भी उनके अंतिम दर्शन के लिए उनके आवास पहुंची।

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वहीं पूर्व मुख्‍यमंत्री को श्रद्धांजलि देने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आ सकते हैं। उनके साथ गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, जम्मू के राज्यपाल मनोज सिन्हा, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी पूर्व सीएम कल्याण सिंह के अंतिम दर्शन के लिए आज आएंगे।पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का पार्थिव शरीर रात करीब पौने 11 बजे दो माल एवेन्यू स्थित उनके आवास पर पहुंंचा। पार्थ‍िव शरीर पहुंचते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव मौर्या, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह समेत तमाम वीवीआइपी और वीआइपी भी अपने नायक को अंतिम विदाई देने के लिए पहुंच गए। यहां पर उन्होंने शोकाकुल परिवार वालों से वार्ता की और उच्चाधिकारियों को सभी व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने रविवार को अंतिम दर्शन की कार्य योजना बनाते हुए उच्चाधिकारियों को दिशा निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सुबह नौ बजे से 11 बजे तक माल एवेन्यू स्थित आवास पर अंतिम दर्शन किया जा सकेगा। इसके अलावा 11बजे से एक बजे तक कल्याण सिंह का पार्थिव शरीर विधान भवन में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा।कि प्रदेश की राजनीति जिस समय संक्रमण के दौर से गुजर रही थी तब 1991 में उन्होंने अपने शासन काल में शासन की सुचिता और पारदर्शिता का परिचय दिया था। वह आज यूपी के शासन व्यवस्था के लिए मानक माना जाता है।

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शासन की कार्यपद्धति देश के उत्थान के लिए हो इसके लिए उन्होंने काम किया। छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा के ध्वस्तीकरण के बाद उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए भगवान श्रीराम के प्रति अपनी आस्था को व्यक्त करते हुए उन्होंने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया था। इस दौरान उन्होंने कहा सत्ताएं आती जाती रहती हैं, लेकिन राम काज के लिए मुझे ये सब करना पड़ा है और ये मेरे लिए गौरव की बात है। सीएम ने कहा कि कल्याण सिंह का निधन भारतीय राजनीति की अपूर्णीय क्षति है। अब न केवल भारतीय जनता पार्टी बल्कि राजनीति की रिक्तता को भरना कठिन होगा। कल्याण सिंह ने प्रदेश की आस्था और आकांक्षाओं को आगे बढाने के लिए जीवनपर्यंत कार्य किया था।कुशल नेतृत्व और उनके कार्यकाल में हुए ऐतिहासिक निर्णयों के लिए उन्हेंं हमेशा याद किया जाएगा। निश्चित तौर पर देश ने एक बड़े नेता को खो दिया है।  -बनवारी लाल कंछल, अध्यक्ष उप्र, उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल 

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एक शानदार शख्सियत का जाना देश ही नहीं राजनीति जगत को स्तब्ध करने वाला है। व्यापारियों के लिए तमाम सराहनीय और ऐतिहासिक निर्णय लिए जिन्हेंं भुलाया जाना आसान नहीं। -राजेंद्र अग्रवाल, अध्यक्ष लखनऊ व्यापार मंडलसुलझी और साफ-सुथरी राजनीति के पुरोधा का निधन स्तब्ध कर गया। कार्यकाल के तमाम फैसले अविस्मरणीय हैं। देश की बड़ी क्षति है। व्यापारियों हितों से जुड़े तमाम निर्णय लिए। व्यापारी समाज शोक व्यक्त करता है।  -अमरनाथ मिश्र, वरिष्ठ महामंत्री लखनऊ व्यापार मंडलव्यापारी समाज के प्रिय थे। उनकी सरकार में हमेशा व्यापारी समाज को सम्मान मिला। व्यापारी गहरा शोक व्यक्त करते हैं।  -अशोक मोतियानी, अध्यक्ष उप्र कपड़ा उद्योग व्यापार मंडलव्यापारियों के दुख दर्द समझने वाले एक बड़े नेता का असमय चले जाना बेहद दुखद है। व्यापारियों की समस्या और उनका समाधान त्वरित गति से करने पर विश्वास रखते थे।   -संजय गुप्ता, प्रदेश अध्यक्ष आदर्श व्यापार मंडल,एक बड़ा नेता हमारे बीच नहीं है। राम जन्मभूमि आंदोलन के इस नायक के कार्य नाम के अनुरूप थे। व्यापारियों और लोगों का कल्याण करने में वह हमेशा आगे रहे।   -जितेंद्र सिंह चौहान, अध्यक्ष स्टेशनरी निर्माता एवं विक्रेता एसोसिएशनमृदुभाषी, कुशल प्रशासक और दृढ़ इच्छा शक्ति के इस कुशल राजनीतिक व्यक्तिव के निधन ने राष्ट्रीय राजनीति का एक बड़ा सितारा खो दिया है।   -संदीप बंसल, राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल