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Adikailash: आदिकैलाश पर्वत पर पहुंचे तो वहां होंगे कैसे मिलेंगे भगवान शिव

भारत एक बहुत सुंदर देश है यहां दुनिया भर के लोग भारतीय प्राचीन इतिहास की झलक और यहां के सुंदर प्राकृतिक नजारे देखने आते हैं हमारे देश में कई ऐसी जगह मौजूद है, जो आपको आश्चर्य में डाल देती हैं. वहीं कुछ जगहें ऐसी भी मौजूद हैं जो नास्तिकों को भी भगवान के होने का साक्ष्य देती हैं. इन्हीं में से एक है उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में मौजूद ओम पर्वत. जो शिवशक्ति के साक्ष्य को साफ-साफ दिखाती है।

170 किलोमीटर दूर नाभीढांग स्थित है ओम पर्वत

साल 2024 में 13 मई को ओम पर्वत के लिए पहला जत्था सुबह आठ बजे टीआरएच काठगोदाम से पिथौरागढ़ के लिए रवाना हुआ. पहले जत्थे में 32 पुरुष और 17 महिलाओं समेत 49 यात्री शामिल हैं | लेकिन क्या आप ओम पर्वत और आदिकैलाश के बारे में जानना चाहते है और यहां कैसे जाय़ा जा सकता ये भी जानना चाहते हैं।

ओम पर्वत पिथौरागढ़ जिले से 170 किलोमीटर दूर नाभीढांग स्थित है. इस पर्वत को हिंदु धर्म के लोग बेहद खास मानते हैं. कहा जाता है इस पर्वत का सीधा कनेक्शन हिंदु देवता भगवान शिव से है. ओम पर्वत पर कोई भी भगवान शिव की उपस्थिती और आशिर्वाद महसूस कर सकता है. ओम पर्वत के धार्मिक एवं पौराणिक महत्व का वर्णन महाभारत, रामायण एवं वृहत पुराण, जैसे ग्रंथों में मिलता है.

ये पर्वत भारत और तिब्बत की सीमा पर आज भी देखा जा सकता है, जहां हर साल बर्फ से ओम की आकृति बन जाती है. वहीं हिमालय में ओम पर्वत को विशेष स्थान माना जाता है. जिसे आदि कैलाश या छोटा कैलाश के नाम से भी जाना जाता है. इस पर्वत की ऊंचाई समुद्र तल से 6,191 मीटर यानी 20,312 फीट की ऊंचाई पर है. खास बात ये है कि जब इस पर्वत पर सूर्य की पहली किरण पड़ती है तो ओम शब्द आपको अलग ही चमकता हुआ नजर आएगा. जो देखने में बहुत अद्भुत लगता है.

पंजीकरण कराने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ी

आदि कैलाश और ओम पर्वत उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में भारत-चीन सीमा पर स्थित हैं. दोनों चोटियां भगवान शिव के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व रखती हैं. पिछले साल की तुलना में इस साल इन दोनों ही चोटियों के दर्शन करने के लिए पंजीकरण कराने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ी है. व्यास घाटी जहां आदि कैलाश और ओम पर्वत स्थित हैं, रास्ते में गुंजी, कुटी, नाभि जैसे सुंदर गांवों के साथ हरी-भरी और सुंदर घाटियां हैं. इन गांवों में आरामदायक होमस्टे हैं जहां टूरिस्ट ठहरते हैं.

आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा काठगोदाम या पंतनगर हवाई अड्डे से शुरू होती है और पिथौरागढ़, धारचूला से होकर गुजरती है गुंजी तक पहुंचती है. जहां से एक सड़क आदि कैलाश की ओर जाती है और दूसरी ओम पर्वत की ओर जाती है, आदि कैलाश और ओम पर्वत के लिए देश की पहली हेलीकॉप्टर यात्रा की शुरुआत 1 अप्रैल 2024 से हो गई है। धार्मिक पर्यटन को बढ़ाने के लिए एक अभूतपूर्व यात्रा शुरू करते हुए, उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (यूटीडीबी) ने नोएडा स्थित ट्रिप टू टेम्पल्स के सहयोग से इस यात्रा की शुरुआत की है |

वही पवित्र आदि कैलाश और ओम पर्वत के दर्शन के लिए सड़क मार्ग से आदि कैलाश ओम पर्वत यात्रा सबसे अच्छा विकल्प है यात्रा दिल्ली या हलद्वानी/काठगोदाम से शुरू होती है। ओम पर्वत आदि कैलाश यात्रा को पूरा करने के लिए टूर प्लान में न्यूनतम 7 दिन लगते हैं। आदि कैलाश यात्रा में लगभग शामिल हैं। सड़क मार्ग से 1200 किमी की दूरी और 2 किमी का ट्रेक है और यहां जाने के लिए आप को पहले ही रजिट्रेशन कराना होगा और हर साल यहा जाने की यात्रा मई या जून में होती है, आप को हमारी ये जानकारी कैसी लगी कमेंट में जरूर बताए |

सावन की पहली सोमवारी पर इस रंग के कपड़े पहनकर करें भगवान शिव की पूजा…शिव जी

DESK : श्रावणसनातन धर्म में मास का एक अपना ही महत्व है. यह महीना भगवान भोलेनाथ को समर्पित किया जाता है. सावन का महीना आज से शुरु हुआ है. इस दौरान भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय ज्योतिष शास्त्र में बताए गए हैं. वैसे तो भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करना बहुत आसान है. उन्हें प्रसन्न करने के लिए आप एक लोटा जल अर्पित करके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. भोपाल के रहने वाले ज्योतिषी एवं पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं कि भगवान भोलेनाथ की पूजा उनके प्रिय रंग के कपड़े पहनकर करने से क्या लाभ होता है.

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किस रंग के वस्त्र धारण करें?
भगवान शिव को हरा रंग सबसे ज्यादा प्रिय है, इसलिए सावन के महीने में जब भी भगवान भोलेनाथ की पूजा करें, तो हरे रंग के वस्त्र धारण जरूर करें. सावन के महीने के अलावा भी भक्त शिवरात्रि पर भी हरे रंग के वस्त्रों को धारण करते हैं. भगवान शिव की पूजा के समय हरे रंग के अलावा नारंगी, लाल, पीला और सफेद रंग के वस्त्र भी उत्तम माने जाते हैं.

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किस रंग के वस्त्र धारण ना करें?
भगवान भोलेनाथ की पूजा करते समय उनके प्रिय रंग के वस्त्र धारण करने से जहां शुभ फल प्राप्त होता है, वहीं उनके अप्रिय रंग के वस्त्र धारण करने से वे क्रोधित हो उठते हैं. इसलिए भगवान की पूजा करते समय काले रंग के वस्त्र पहनने से बचें.

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कैसे हों वस्त्र?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान भोलेनाथ की पूजा के समय पुरुषों का धोती धारण करना उपयुक्त माना गया है. साथ ही जिन कपड़ों को आप पूजा के समय पहन रहे हैं, वह साफ-सुथरे हों. इस बात का विशेष ध्यान रखें. जरूरी नहीं कि आप नए कपड़े खरीद कर ही पूजा करें.

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करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप
सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना सर्वोत्तम माना गया है. इसके अलावा यह भी मान्यता है कि आप जो भी प्रसाद शिवलिंग को अर्पित कर रहे हैं, उसका सेवन खुद नहीं करना चाहिए. सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.