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मध्य प्रदेश : जिस घर से रामभक्तों पर किया गया था पथराव प्रशासन ने उस घर को किया ध्वस्त

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के उज्जैन में बीते शुक्रवार को बेगमबाग इलाके में रामनिधि संग्रहण रैली निकालने के दौरान जिस घर से रामभक्तों पर पथराव किया गया था प्रशासन ने उस घर को ध्वस्त करा दिया। साथ ही पुलिस ने एक आरोपी के भी गिरफ्तार किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीते शुक्रवार राम मंदिर निर्माण के लिए उज्जैन के बेगमबाग इलाके में ‘रामनिधि संग्रहण’ रैली निकालने के दौरान मुस्लिम समुदाय के कुछ असामाजिक तत्वों ने रामभक्तों पर पथराव कर दिया था। इस ​रैली में शामिल हिंदू भारी पत्थरबाजी के बीच किसी तरह अपनी जान बचाकर वहां से निकले। घटना पर संज्ञान लेते हुए पुलिस ने उन लोगों पर कड़ी कार्रवाई की है जो पथराव की घटना में शामिल थे। पथराव में 10 लोग घायल हुए थे।

अराजक तत्वों की इस हरकत से इलाके में तनाव फैल गया था। मामला इतना आगे बढ़ा कि दोनों समुदायों के बीच झड़प भी हुई। लोगों ने वहां खड़ी कई गाड़ियों को अपना निशाना बनाया जिससे वे क्षतिग्रस्त हो गईं। जिस बिल्डिंग से पथराव किया गया था, वह ग़ैरक़ानूनी तरीके से बनी थी। इसके बाद अधिकारियों ने घर को जेसीबी मशीन से ध्वस्त कर दि

लव जिहाद विरोधी विधेयक को शिवराज कैबिनेट ने दी मंजूरी, दोष सिद्ध होने पर अब होगी 10 साल की सजा

भोपाल। शिवराज सरकार ने राज्य में  लव जिहाद से जुड़े विधेयक को मंजूरी दे दी है।  मध्य प्रदेश में लव जिहाद विरोधी विधेयक ‘धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020’ को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। इस कानून में कुल 19 प्रावधान हैं, जिसके तहत धर्म परिवर्तन मामले में पीड़ित पक्ष के परिजनों की ओर से शिकायत करने पर पुलिस कार्रवाई करेगी।
नए कानून में तहत सिद्ध होने पर सजा भी हो सकती है। अगर किसी शख्स पर नाबालिग, अनुसूचित जाति/जनजाति की बेटियों को बहला फुसला कर शादी करने का दोष सिद्ध होता है तो उसे दो साल से 10 साल तक कि सजा दी जाएगी। अगर कोई व्यक्ति धन और संपत्ति के लालच में धर्म छिपाकर शादी करता हो तो उसकी शादी शून्य मानी जाएगी।

धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020′ को लेकर बताया गया है कि अधिनियम के प्रावधानों के विरुद्ध एक से अधिक बार अपराध करने पर कम से कम पांच वर्ष तथा अधिकतम 10 साल के कारावास का प्रावधान किया गया है।  विधेयक में निर्दोष होने के सबूत प्रस्तुत करने की बाध्यता आरोपी पर रखी गई है।

इसमें अपराध की पीड़ित महिला एवं पैदा हुए बच्चे का भरण पोषण प्राप्त करने के अधिकार होने के भी प्रावधान किए गए हैं। पैदा हुए बच्चे को पिता की संपत्ति में उत्तराधिकारी के रूप में अधिकार बरकरार रखे जाने का प्रावधान शामिल किया गया है।