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OTT कंटेंट को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- कुछ फिल्मों में परोसी जा रही है अश्लीलता

नई दिल्ली। अमेज़न प्राइम की कमर्शियल हेड अपर्णा पुरोहित की अग्रिम जमानत की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वेब प्लेटफॉर्म्स पर आ रही फ़िल्मों को लेकर अपनी नाख़ुशी ज़ाहिर की। उच्चतम न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में इस बात को लेकर भी चिंता ज़ाहिर की कि इन प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट की स्क्रीनिंग नहीं की जाती और कुछ फ़िल्मों में अश्लील सामग्री परोसी जा रही है। बता दें, तांडव वेब सीरीज़ को लेकर दर्ज़ मामलों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अग्रिम जमानत ना देने के फ़ैसले को अपर्णा पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक़, जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने कहा- वेब प्लेटफॉर्म्स पर आने वाले कंटेंट की स्क्रीनिंग होना चाहिए। कुछ फ़िल्मों में अश्लील सामग्री परोसी जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार के सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुछ कार्यक्रमों में भद्दी गालियां दिखायी जा रही हैं। वहीं, अपर्णा पुरोहित के अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अभिव्यक्ति की आज़ादी का हवाला देते हुए दलील दी कि उनकी मुवक्किल शो की प्रोड्यूसर नहीं हैं। वो सिर्फ़ कंपनी की एक कर्मचारी हैं, जिसने तांडव वेब सीरीज़ को स्ट्रीम किया है।

जस्टिस भूषण ने इस पर कहा कि ऐसे मामलों में एक संतुलन की ज़रूरत है और किसी को स्क्रीनिंग करनी चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने सेंसर बोर्ड जैसी किसी संस्था की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। उच्चतम न्यायालय को बताया गया कि केंद्र सरकार ने हाल ही में ओटीटी गाइडलाइंस जारी की हैं। मामले की सुनवाई अब शुक्रवार को होगी।

जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने तांडव की टीम को कड़ी कार्रवाई से सुरक्षा देते हुए संबंधित न्यायालयों में जमानत के लिए याचिका दायर करने के निर्देश दिये थे। अपर्णा पुरोहित पर तांडव वेब सीरीज़ में हिंदू देवी-देवताओं, उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रधान मंत्री पद के ग़लत चित्रण के आरोप लगाये गये हैं। 25 फरवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपर्णा को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था।

अपर्णा के ख़िलाफ़ ग्रेटर नोएडा के रबुपुरा पुलिस स्टेशन में बलबीर आज़ाद नाम के व्यक्ति ने हिंदू देवी-देवताओं और उत्तर प्रदेश पुलिस को ग़लत ढंग से दिखाये जाने का आरोप लगाते हुए पुलिस रिपोर्ट दर्ज़ करवायी थी। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, बिहार और दिल्ली जैसे राज्यों में वेब सीरीज़ के ख़िलाफ़ मामले दर्ज़ हुए हैं।

बता दें, तांडव वेब सीरीज़ इसी साल 15 जनवरी को अमेज़न प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम की गयी थी। अली अब्बास ज़फ़र निर्देशित इस पॉलिटिकल-थ्रिलर वेब सीरीज़ में सैफ़ अली ख़ान, डिम्पल कपाड़िया, तिग्मांशु धूलिया, मोहम्मद ज़ीशान अय्यूब, अनूप सोनी, गौहर ख़ान और सुनील ग्रोवर ने मुख्य भूमिकाएं निभायी हैं। सीरीज़ के स्ट्रीम होने के साथ ही इसको लेकर बवाल शुरू हो गया था। हालांकि, अली अब्बास ज़फ़र ने तभी सोशल मीडिया के ज़रिए माफ़ी मांग ली थी। वहीं, कुछ दिन पहले अमेज़न प्राइम वीडियो की ओर से भी एक माफ़ीनामा जारी किया जा चुका है।

OTT कंटेंट को लेकर बढ़ी सख्ती, उम्र की 5 केटेगरीज़ में करना होगा कंटेंट डिवाइड

नई दिल्ली। ओटीटी कंटेंट को लेकर बढ़ती शिकायतों के मद्देनज़र केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कुछ गाइडलाइंस जारी की हैं, जिनका पालन ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को करना होगा। ओटीटी कंटेंट की सेंसरशिप के बारे में सरकार फ़िलहाल नहीं सोच रही है, लेकिन कंटेंट पर प्लेटफॉर्म्स को सेल्फ़ रेग्यूलराइज़ेशन यानी स्व-नियमन करना होगा।

गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ओटीटी कंटेंट को लेकर बनायी गाइडलाइंस की जानकारी दी। जावड़ेकर ने कहा- प्रेस (प्रिंट) वालों को प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया के कोड का पालन करना पड़ता है। टीवी में काम करने वालों को प्रोग्राम कोड का पालन करना होता है, लेकिन डिजिटल मीडिया पोर्टल पर ऐसा कोई बंधन नहीं है। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए भी ऐसी कोई रोक नहीं है। सभी मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए समान नियम होने चाहिए। सभी को एक प्रक्रिया बनानी होगी।

दोनों सदनों में पूछे गये कई सवाल

प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि इसको लेकर तमाम लोगों ने मांग की है। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर दोनों सदन में 50 प्रश्न पूछे गये। देश में इसकी बहुत चर्चा हो रही है। हमने दिल्ली, चेन्नई और मुंबई में विभिन्न ओटीटी प्लेटफॉर्म के अधिकारियों के साथ चर्चा की। दिल्ली में दो मीटिंग बुलाई गयीं। पहली मीटिंग में ओटीटी के स्व-नियमन के लिए कहा। मगर नहीं हुआ। दूसरी मीटिंग में फिर 100 दिनों में सेल्फ़ रेग्युलेट करने के लिए प्रक्रिया बनाने के लिए कहा, मगर नहीं बनायी गयी। फिर तय किया कि सभी मीडिया की संस्थागत प्रक्रिया होना चाहिए।

तीन स्तरीय नियमन प्रक्रिया

प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को तीन स्तर की नियमन प्रक्रिया तय करनी होगी- पहले स्तर पर प्लेटफॉर्म को सेल्फ रेग्युलेट करना होगा। दूसरे स्तर पर प्लेटफॉर्म की सेल्फ रेग्युलेटरी बॉडी कंटेंट का नियमन करेगी। तीसरे स्तर पर ओवर साइट मैकेनिज़्म होगा।

  1. ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल मीडिया के लिए रजिस्ट्रेशन ज़रूरी नहीं है, लेकिन अपनी अपनी सारी जानकारी सार्वजनिक करनी होंगी।
  2. ग्रीवांस एड्रेसल सिस्टम- ओटीटी और डिजिटल पोर्टल्स को शिकायतों को सुनने और उनके तत्काल निस्तारण की व्यवस्था करनी होगी। सेल्फ रेग्यूलराज़ेशन करना होगा। शिकायतों के लिए एक बॉडी बनानी होगी, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के रिटायर जज करेंगे। इन प्लेटफॉर्म्स को टीवी की तरह एक प्रक्रिया बनानी होगी, जिससे टीवी की तरह माफ़ी मांगने की व्यवस्था हो। वैसा ही ओटीटी पर होना चाहिए।
  3. कंटेंट का सेल्फ़ क्लासिफिकेशन- कंटेंट का उम्र के हिसाब से पांच केटेगरी में सेल्फ़ क्लासिफिकेशन करना होगा- U (यूनिवर्सल), U/A 7+, U/A 13+, U/A 16+ और A (वयस्क)। वर्गीकृत कंटेंट के लिए प्लेटफॉर्म्स को पैरेंटल लॉक की व्यवस्था करनी होगी। एडल्ट केटेगरी के लिए उम्र के सत्यापन की व्यवस्था भी करनी होगी। जो एथिक्स कोड सेंसर बोर्ड का है, वो यहां भी पालन करना होगा। ओटीटी कंटेंट और प्लेटफॉर्म्स पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय नज़र रखेगा।

ओटीटी कंटेंट को लेकर लगातार हो रहे विवाद

देश में पिछले कुछ वक़्त से ओटीटी कंटेंट लगातार विवादों में घिरते रहे हैं। अमेज़न प्राइम की वेब सीरीज़ तांडव पर आपत्तिजनक कंटेंट दिखाये जाने के आरापों को लेकर ख़ूब हंगामा हुआ। पुलिस शिकायतें दर्ज़ हुईं और मामला कोर्ट तक पहुंचा। मिर्ज़ापुर वेब सीरीज़ को लेकर भी शिकायतें हुई हैं। नेटफ्लिक्स पर आयी अनिल कपूर और अनुराग कश्यप की फ़िल्म एके वर्सेज़ एके भी विवादों में फंसी थी। इसमें भारतीय वायु सेना की वर्दी ग़लत ढंग से पहनने पर एयरफोर्स ने आपत्ति जताई थी, जिसके बाद अनिल कपूर ने माफ़ी मांगते हुए एक वीडियो जारी

सेक्रेड गेम्स के एक दृश्य को लेकर भी एक विवाद हुआ था, जिस पर सिख समुदाय ने आपत्ति जतायी थी। एमएक्स प्लेयर पर आयी प्रकाश झा की वेब सीरीज़ आश्रम में हिंदू संतों के ग़लत चित्रण के आरोप लगाते हुए पुलिस शिकायतें हुईं। इस सीरीज़ में बॉबी देओल ने लीड रोल निभाया। अनुष्का शर्मा निर्मित वेब सीरीज़ पाताल लोक भी कुछ दृश्यों को लेकर विवादों में रही थी। इसके अलावा ओटीटी कंटेंट में गाली-गलौज और कामुक दृश्यों की अतिरेकता पर अक्सर सोशल मीडिया में बहस छिड़ती रही है।

OTT प्लेटफॉर्म पर मोदी सरकार सख्त, अब 24 घंटे में हटाना होगा आपत्तिजनक कंटेंट

नई दिल्ली। गुरुवार को इंटरनेट मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए मोदी सरकार ने नई गाइडलाइंस जारी की है। अब शिकायत के 24 घंटे के अंदर इंटरनेट मीडिया से आपत्तिजनक कंटेंट हटाना ही होगा। बता दें कि आज केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रविशंकर प्रसाद ने एक साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस बात की जानकारी दी।

इस दौरान रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत में इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्मों का व्यापार करने के लिए स्वागत है। सरकार आलोचना के लिए तैयार है, लेकिन इंटरनेट मीडिया के गलत इस्तेमाल पर भी शिकायत का फोरम होना चाहिए। इसका दुरुपयोग रोकना जरूरी है।

रविशंकर प्रसाद ने जानकारी दी कि भारत में व्हाट्सएप के 53 करोड़, फेसबुक के 40 करोड़ से अधिक औऱ ट्विटर पर एक करोड़ से अधिक यूजर्स हैं। भारत में इनका काफी इस्तेमाल होता है, लेकिन जो चिंताएं हैं उसे लेकर काम करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर डाले जाने वाले कंटेंट को लेकर गाइडलाइंस बनाने के लिए कहा था। कोर्ट के निर्देश पर भारत सरकार ने इसके लेकर गाइडलाइंस तैयारी की हैं।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सालों से इंटरनेट मीडिया पर बड़े पैमाने पर दुर्व्यवहार को लेकर चिंता जाहिर की जा रही है। मंत्रालय ने व्यापक विचार-विमर्श किया और हमने दिसंबर 2018 में एक मसौदा तैयार किया। इसमें 2 श्रेणियां होंगी। एक इंटरमीडरी और दूसरा सिग्निफिकेंट सोशल ​मीडिया इंटरमीडरी। सिग्निफिकेंट सोशल ​मीडिया इंटरमीडरी पर अतिरिक्त कर्तव्य है, हम जल्दी इसके लिए यूजर संख्या का नोटिफिकेशन जारी करेंगे। सिग्निफिकेंट सोशल ​मीडिया के कानून को हम तीन महीने में लागू करेंगे। उन्होंने कहा कि इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म को अफसरों की तैनाती करनी होगी। ये अधिकारी 24 घंटे में शिकायत का पंजीकरण करेगा और 15 दिनों में उसका निपटारा करेगा।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि किसी भी आपत्तिजनक कंटेंट को शिकायत 24 घंटे में हटाना होगा। प्लेटफॉर्म को भारत में नोडल ऑफिसर, रेसिडेंट ग्रीवांस ऑफिसर तैनात करना होगा। इसके अलावा कितनी शिकायतों पर कार्रवाई हुई, इसकी जानकारी भी देनी होगी। कोर्ट के आदेश और सरकार द्वारा पूछा जाने पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को शरारती कंटेट फैलाने वाले पहले इंसान की भी जानकारी देनी होगी। क्योंकि इसके बाद ही वह इंटरनेट मीडिया पर फैलता रहता है। इसमें भारत की संप्रभुता, सुरक्षा, विदेशों से संबंध, दुष्कर्म जैसे अहम मामलों को शामिल किया जाएगा। यूजर्स की गरिमा को लेकर अगर कोई शिकायत की जाती है, खासकर महिलाओं की गरिमा को लेकर तो आपको शिकायत करने के 24 घंटे के अंदर उस कंटेट को हटाना होगा।