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बिहार दिवस: सीएम नीतीश कुमार ने किया वर्चुअल आयोजन, राष्‍ट्रपति कोविंद व PM मोदी ने दी शुभकामनाएं

आज से ठीक 109 वर्ष पहले सन् 22 मार्च 1912 को बिहार की स्‍थापना बंगाल से अलग करके की गई थी। बिहार पहले ‘मगध’ के नाम से जाना जाता था। बिहार का वर्णन मगध, मिथला और अन्य-धार्मिक ग्रंथों और प्राचीन भारत के महाकाव्यों में देखने को मिलता हैं। दुनिया का सबसे पहला गणराज्य बिहार के वैशाली में स्थापित किया गया था। जब हमारा देश आजाद हुआ तब बिहार में से झारखण्ड को अलग कर दिया गया था। हमारा बिहार हमेशा से कई मायनों में आर्कषण का केंद्र रहा हैं। कहते है बिहार का बच्चा-बच्चा राजनीति का गुर अपने माँ के कोख़ से सीख के आता है इसलिए भी बिहार हमेशा से राजनीति का केंद्र बिंदु भी रहा है। आज इसके 109 वर्ष पूरे होने पर सोमवार को बिहार दिवस समारोह का वर्चुअल आयोजन ज्ञान भवन में माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया गया। आईए जानते है बिहार की कुछ रोचक जानकारीयां-

बिहार भारत के पूर्वी भाग में स्थित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक राज्य है। इसकी राजधानी पटना है। बिहार को बौद्ध सन्यासियों का जन्म स्थान कहा जाता हैं। बिहार शब्द की उत्त्पति बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान “विहार” शब्द से हुआ, जिसे विहार के स्थान पर “बिहार” को संबोधित किया जाता है। बिहार को हमेशा से शांतिप्रिय और अहिंसा प्रिय भूमि कहा जाता रहा है। बोधगया में लोग दूर- दूर से शांति प्राप्त करने के लिये आते थे और आज भी आते हैं। नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया का सबसे पुराना विश्वविद्यालय हैं। बौद्ध और जैन धर्मों को अलावा सिख धर्म के 10वें गुरु गोविंद सिंह का जन्म भी बिहार के पटना में हुआ था।

देश के स्वतंत्रता आन्दोलन के बाद बिहार की वापस उन्नति हो गयी थी| महात्मा गांधीजी ने इसी बिहार से सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुवात की थी। गांधीजी को अंग्रेजो ने बिहार यात्रा के दौरान बिहार के मोतीहारी जेल में भेज दिया था। 18 मार्च 1974 को जब जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में पटना में छात्र आंदोलन की शुरूआत हुई थी, आज जिसे जेपी आंदोलन के नाम से भी जानते हैं। इसी आंदोलन के चलते देश के लोकतंत्र को काला समय यानी ‘आपातकाल’ भी कहते हैं। इस आंदोलन के बाद बिहार में राजनीतिक और सामाजिक स्थिति में बहुत सारा बदलाव हो गये थे। हिंदी सिनेमा में बिहार को जिस तरीके से माफिया लोगो का अड्डा या फिर गुंडा राज दिखाया जाता रहा है। बिहार की ऐसी छवि कभी थी ही नहीं ये तो कुछ लोगों ने और कुछ तथाकथित राजनीतिक पार्टिया ने बिहार की छवि ऐसा बना दी है कि आज बिहार के लोग खुद को बिहारी कहने से डरने लगे है। बिहार में लड़की रोड पर नहीं निकल सकती, एक शरीफ इन्सान यहाँ नहीं रह सकता, बिहारी हर बात में गाली का इस्तेमाल करता हैं, गोली बंदूक का हर घर में मिलना, उन्हें शर्म आनी चाहिए जो लोग इस पावन भूमि का अपमान कर रहे है उन्हें ये बात याद रखना चाहिए कि वो माँ सीता की जन्म भूमि हैं, वो गौतम बुद्ध की तपोभूमि हैं। वो भूमि जहां विश्वामित्र का आश्रम था जहां राम-लक्ष्मण की प्रारंभिक शिक्षा संपन्न हुई। वो राज्य जहां नालंदा और विक्रमशिला जैसे पुरात्व विश्वविधालय है।


लेकिन सच तो ये भी है कि आज भी बिहार में परंपरा, सांस्कृतिक, अनुशासन देखने को मिलता हैं। आज आलम ये हैं कि बिहारी को एक अलग नजर से देखा जाता हैं, उन्हें बेबकूफ समझा जाता हैं। तो दोस्तों, हमारा बिहार इतने IAS/IPS देश को देता हैं जितना केरला, आन्ध्र-प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात मिलकर भी नहीं दे पाते। आज सर्वाधिक बैंक पीओ बिहारी है जो अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा हैं। इंजीनियरिंग स्तर पर भी देखे तो बिहार से सबसे ज्यादा आईआईटी के बच्चें निकलते है वो अन्य राज्यों से कहीं ज्यादा हैं। यहां का कौशल ही तो है कि 12 साल के लड़के ने आईआईटी में सफलता हासिल की थी। बिहार अकेला ऐसा राज्य हैं जहाँ किसान के आत्म-हत्या करने का अनुपात ना के बराबर हैं, न ही कर्ज तले दबे हैं। अन्य राज्य के मुकाबले यहां साम्प्रदायिक हिंसा, बलात्कार दहेज जैसे घटना कम हैं। बिहार में एक रिक्शा चलाने वालों को भी ‘आप’ कह कर बुलाते हैं। ये सारे संस्कार बिहार में देखने को मिलते हैं।

बिहार राज्य कई मायने में महत्त्वपूर्ण रहा है क्योकिं भारत के कई महान पुरुष बिहार में जन्में हैं। प्राचीन समय के कई राजा जिन्होनें ने भारत पर राज किया वे भी बिहार में ही जन्में थे जैसे अशोक सम्राट, चंद्रगुप्त मौर्य़, राजा विक्रमादित्य। बिहार वो राज्य जहां महान कवि कोकिल विद्यापति, रामधारी सिंह दिनकर का जन्म हुआ, यही से देश के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद का जन्म हुआ। अगर नदियों की बात करें तो यहां गंगा, बागमती, कोशी, कमला, गंडक, घाघरा, सोन, पुनपुन, फल्गू नदियाँ बहती हैं। बिहार अपने भाषाओं के लिए भी प्रचलित हैं। यहां हिंदी के अलावा अंगिका, भोजपूरी, मगही, मैथली और वजजिका भाषाएं बोली जाती हैं। मिथिला पेंटिस जो लगभग सैकड़ों साल पुराना है आज देश और विदेश में प्रसिद्ध चित्रकला के रूप में विख्यात हैं।

हर साल 22 मार्च को बिहार दिवस मनाया जाता हैं उस दिन सभी सरकारी संस्थानों और बैंको की छुट्टी होती हैं। कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम स्कूलों- कॉलेजों में बच्चों द्वारा किए जाते हैं। मुख्यमंत्री राज्यों के लोगों को संबोधित करते है और उन्हें बधाईयां देते है। बिहार में महात्मा गाँधी सेतु, नालंदा विश्वविद्यालय, महाबोधि मंदिर, राजगीर, विष्णुपाद मंदिर और बोधगया मंदिर यह सब पर्यटन स्थल है ये पर्यटन स्थल जो कि बिहार की शोभा बढ़ाते है। यह दशरथ मांझी का बिहार है, यहां मोहब्बत के जिद में पहाड़ तोड़ देते है और जो आँच आई स्वाभिमान पे तो कर हौसला बुलंद सारी दुनिया पर छाप छोड़ देते है।

राष्ट्रपति कोविंद बोले- कोरोना काल में सटीक फैसलों से लाखों देशवासियों की जान बची

 दिल्ली। संसद के बजट सत्र की शुरुआत हो गई है. राष्ट्रपति कोविंद दोनों सदनों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मुझे संतोष है कि मेरी सरकार के समय पर लिए गए सटीक फैसलों से लाखों देशवासियों का जीवन बचा। आज देश में कोरोना के नए मरीजों की संख्या भी तेजी से घट रही है और जो संक्रमण से ठीक हो चुके हैं उनकी संख्या भी बहुत अधिक है।

उन्होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ के माध्यम से 8 महीनों तक 80 करोड़ लोगों को 5 किलो प्रतिमाह अतिरिक्त अनाज निशुल्क सुनिश्चित किया गया. करीब 31 हज़ार करोड़ रुपए गरीब महिलाओं के जनधन खातों में सीधे ट्रांसफर भी किए।

अपने अभिभाषण में उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में साल 2020 में पहली बार हुआ कि हमें अलग-अलग पैकेज के रूप में चार-पांच मिनी बजट देने पड़े. इसलिए मुझे विश्वास है कि ये बजट भी उसी श्रृंखला में देखा जाएगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे लिए गर्व की बात है कि आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चला रहा है. इस प्रोग्राम की दोनों वैक्सीन भारत में निर्मित हैं. संकट के समय में भारत ने मानवता के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए अनेक देशों को कोरोना वैक्सीन की लाखों खुराक उपलब्ध कराई हैं।

 

संसद के बजट सत्र की शुरुआत आज से,राष्ट्रपति के संबोधन से हुई शुरुआत

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ बजट सत्र की शुरुआत हो गई। अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने पिछले दिनों सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं व उपलब्धियों का ब्यौरा दिया। सीमा पर चीन के साथ हुए हिंसक झड़प के बारे में बताते हुए राष्ट्रपति ने देश के वीर जवानों की जांबाजी की सराहना की।

उन्होंने पिछले साल गलवन घाटी में शहीद जवानों का भी जिक्र किया। संयुक्त राष्ट्र में अस्थायी सदस्यता, ब्रिक्स में अध्यक्ष बनने से लेकर राम मंदिर निर्माण तक में देश की उल्लेखनीय प्रगति का भी राष्ट्रपति ने जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘ऐसे अनेक निर्णय हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में लिए गए हैं।

मेरी सरकार ने दिखाया है कि नीयत साफ हो, इरादे बुलंद हों तो बदलाव लाया जा सकता है। इन वर्षों में मेरी सरकार ने जितने लोगों के जीवन को छुआ है, वह अभूतपूर्व है।’ साथ ही उन्होंने गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुए हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों में सरकार के उल्लेखनीय गतिविधियो का जिक्र किया। अपने अभिभाषण के अंत में राष्ट्रपति ने आत्मनिर्भरता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, ‘हम सब मिलकर आगे बढ़ें, सभी देशवासी मिलकर आगे बढ़ें। अपना कर्तव्य निभाएं और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें, आइए, भारत को आत्मनिर्भर बनाएं।’

राजपथ पर दुनिया देखेगी भारत की ताकत, जब आसमान में फर्राटे भरेगा राफेल

नई दिल्ली। देश पूरे उमंग और उत्साह के साथ आज 72वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस अवसर पर राजपथ पर ऐतिहासिक परेड निकलेगी, जिसमें पूरी दुनिया भारत की सांस्कृतिक विरासत और सैन्य ताकत की झलक देखेगी। इस बार का परेड कई मायनों में खास होने वाला है। राफेल लड़ाकू विमान इसका मुख्य आकर्षण होगा। गणतंत्र दिवस समारोह के मद्देनजर दिल्ली में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पूरी राजधानी अभेद्य किले में तब्दील हो गई है। जमीन से लेकर आसमान तक कड़ा पहरा है। चप्पे-चप्पे पर पुलिस व पैरा मिलिट्री तैनात है। सोमवार रात 12 बजे से ही दिल्ली की सभी  सीमाएं सील कर दी गई हैं। इंट्री उन्हें ही मिलेगी, जिन्हें अति आवश्यक काम होगा।

गणतंत्र दिवस पर सशस्त्र बलों की झांकी के अलावा, 17 झांकियां विभिन्न राज्यों की होंगी। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों की नौ झांकियां और अर्धसैनिक बलों और रक्षा मंत्रालय की छह झांकियां होंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जाएंगे और वहां शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। इसके बाद वह राजपथ जाएंगे और परेड का गवाह बनेंगे। परंपरा के अनुसार झंडा फहराने के बाद राष्ट्रगान होगा और 21 तोपों की सलामी दी जाएगी। फिर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सलामी लेंगे। इसके बाद परेड की शुरुआत होगी। बता दें कि इस बार परेड में कोई मुख्य अतिथि नहीं होगा। कोरोना महामारी के कारण ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने अपनी यात्रा रद कर दी है। इससे पहले 1952, 1953 और 1966 में भी गणतंत्र दिवस परेड के लिए कोई मुख्य अतिथि नहीं था।

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे राष्ट्र को संबोधित, यहां देखें सीधा प्रसारण और समय;

नई दिल्ली। हमेशा की तरह इस बार भी गणतंत्र दिवस से ठीक एक दिन पहले यानी आज शाम 7 बजे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद राष्ट्र को संबोधित करेंगे। इस बार देश 72वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। राष्ट्रपति का संबोधन दूरदर्शन के सभी चैनलों और ऑल इंडिया रोडिया पर हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रसारण किया जायेगा। इतना ही नहीं दूरदर्शन के क्षेत्रीय चैनलों पर क्षेत्रीय भाषाओं में रात 9.30 बजे राष्ट्रपति का संबोधन टेलीकास्ट किया जायेगा। बता दें कि कोरोना महामारी के चलते इस बार गणतंत्र दिवस का आयोजन अलग तरह से किया जायेगा।

गौरतलब है कि 71वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति ने संवैधानिक आदर्शों और महात्मा गांधी की शिक्षाओं के साथ देश की सेना की भी प्रशंसा की। उन्होंने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) के प्रति अपना समर्थन भी दिया और कहा, ‘सरकार की प्रत्येक नीति राष्ट्र-प्रथम के तहत आती हैं। GST के आने के साथ, एक देश, एक कर, एक बाजार’ के हमारे दृष्टिकोण को हमने महसूस किया है।’

सेना के लिए उन्होंने कहा, ‘देश की सेनाओं, अर्धसैनिक बलों और आंतरिक सुरक्षा बलों की मैं मुक्त-कंठ से प्रशंसा करता हूं। देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने में उनका बलिदान, अद्वितीय साहस और अनुशासन की अमर गाथाएं पेश करता है।’ उन्होंने किसानों, शिक्षकों व डॉक्टरों के योगदान का भी जिक्र किया।

राम मंदिर निधि समर्पण अभियान की हुई शुरुआत, देश प्रथम नागरिक ने शुभकामनाओं सहित 5 लाख रूपये की धनराशि की दान

नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर निधि समर्पण अभियान की शुरुआत देश के प्रथम नागरिक के दान से हो चुका है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरिजी महाराज को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुभकामनाओं के साथ 5 लाख 1 हजार रूपये की धनराशि दान में दी है।

दरअसल, आज से अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर के लिए ‘निधि समर्पण अभियान’ की शुरुआत की गई और इसमें सबसे पहले राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की ओर से समर्पण निधि दी गई। आज श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, विश्व हिंदू परिषद व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से मुलाकात की। इस क्रम में दक्षिण भारतीय अभिनेत्री प्रणिता सुभाष ने ट्वीट कर लोगों से दान करने का निवेदन किया है।

बता दें कि राम मंदिर निर्माण के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद चंदा देने वाले पहले सहयोगी हैं और इस पर देश की निगाहें होंगी की राष्ट्रपति की ओर से दान की गई राशि कितनी होगी। विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रपति ने दान में 5 लाख 1 हजार रूपये की राशि राम मंदिर निधि समर्पण अभियान में दान की है।

उन्होंने बताया कि इस अभियान के लिए शुभकामना लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी समय मांगा गया है। राम मंदिर निर्माण के लिए देशभर के 5 लाख से अधिक गांवों में रहने वाले 12 करोड़ से भी ज्यादा परिवारों के साथ विहिप कार्यकर्ता संपर्क करेंगे और चंदा मांगेंगे।

भूमिपूजन के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट किया, ‘ राम-मंदिर निर्माण के शुभारंभ पर सभी को बधाई! मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम के मंदिर का निर्माण न्याय प्रक्रिया के अनुरूप तथा जनसाधारण के उत्साह व सामाजिक सौहार्द के संबल से हो रहा है।’ उन्होंने कहा,’मुझे विश्वास है कि मंदिर परिसर, रामराज्य के आदर्शों पर आधारित आधुनिक भारत का प्रतीक बनेगा।’

बता दें कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी 1 लाख रूपये का दान दिया है।

गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी के घोषणापत्र में राम मंदिर का निर्माण शामिल रहा है। साथ ही राजनीति के केंद्र में भी यह मुद्दा पिछले तीन दशकों से है। सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में इस दशकों पुराने विवाद का समाधान करते हुए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया। इस मंदिर निर्माण के लिए पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन किया जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और RSS प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे।