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पुडुचेरी में सरकार गिरने के बाद गुरुवार को पीएम मोदी का दौरा, परियोजनाओं का करेंगे उद्धाटन

नई दिल्ली। सोमवार को पुडुचेरी में कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को केंद्रीय शासित प्रदेश पुडुचेरी के दौरे पर होंगे। इस दौरान वह भाजपा द्वारा आयोजित एक जनसभा को संबोधित करेंगे और विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे।

बता दें कि केंद्रीय शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। पुडुचेरी के भाजपा प्रमुख स्वामीनाथन ने समाचार एजेंसी पीटीआइ को बताया कि सुबह 10.30 बजे यहां पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री मोदी केंद्र प्रायोजित परियोजनाओं का अनावरण करने के लिए जेआइपीएमइआर जाएंगे। इस बाद वह फिर जनसभा में शामिल होंगे

पिछले तीन वर्षों में प्रधानमंत्री दूसरी बाद केंद्र शासित प्रदेश की यात्रा पर आ रहे हैं। इससे पहले उन्होंने 2018 में पुडुचेरी के निकटवर्ती विल्लुपुरम जिले में ऑरोविले अंतरराष्ट्रीय परियोजना का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने एक सार्वजनिक सभा को संबोधित भी किया था। प्रधानमंत्री ऐसे समय में दौरे पर आ रहे हैं, जब केंद्र शासित प्रदेश का राजनीतिक माहौल पूरी तरह से बदला हुआ है।

सोमवार को गिरी थी नारायणसामी की सरकार

कांग्रेसी विधायकों के पिछले महीने से ही हो रहे इस्तीफे से संकट में आई मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी की सरकार आखिरकार सोमवार को गिर गई। विश्वास मत पर वोटिंग से पहले ही सत्ताधारी कांग्रेस-द्रमुक के विधायकों ने विधानसभा से वाकआउट किया। इसके बाद बिना ध्वनिमत या वोटिंग के ही स्पीकर वीपी शिवाकोलुंधु ने एलान किया कि मुख्यमंत्री द्वारा पेश विश्वास मत प्रस्ताव गिर गया है। नारायणसामी सरकार बहुमत साबित करने में विफल रही है।

अभी तक किसी ने भी सरकार बनाने का दावा नहीं किया पेश

इसके बाद मुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल तमिलसाई सौंदरराजन से मिल कर कैबिनेट का इस्तीफा सौंप दिया। उपराज्यपाल ने उनका इस्तीफा ई-मेल के जरिये राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजा। उन्होंने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद अब तक किसी भी दल ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया है। ऐसे में यहां राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की संभावना बढ़ गई है। दरअसल, सरकार समर्थक विधायकों की संख्या महज 11 रह गई है, जबकि विपक्षी खेमे में 14 विधायक हैं। यहां इसी साल मई-जून में चुनाव होने हैं।

अब पुडुचेरी से भी कांग्रेस को धोना पड़ा हाथ, सीएम ने इस्तीफा देते हुए केंद्र पर लगाए आरोप

नई दिल्ली। सोमवार को पुडुचेरी में काफी राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिली, इस बीच कांग्रेस सरकार को सत्ता से हाथ धोना पड़ा। मुख्यमंत्री नारायणसामी ने अपने पद से इस्तीफा देते हुए कहा- ‘ये लोकतंत्र की हत्या है, ऐसा देश में कहीं नहीं होता। पुडुचेरी के लोग इन्हें सबक सिखाएंगे।’

सीएम ने कहा, ‘तीन नामित सदस्यों को विश्वास प्रस्ताव में कहीं भी मतदान का अधिकार नहीं है, मेरा संबोधन खत्म होने के बाद सरकार के व्हिप ने इस मुद्दे को उठाया लेकिन अध्यक्ष इससे सहमत नहीं हुए। ये लोकतंत्र की हत्या है, ऐसा देश में कहीं नहीं होता। पुडुचेरी के लोग इन्हें सबक सिखाएंगे।’

बता दें कि आज यहां विश्वास मत परीक्षण होना था, लेकिन मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने इसके पहले ही सदन से वॉकआउट कर दिया, जिसके बाद विधानसभा स्पीकर ने ऐलान किया कि नारायणसामी सरकार ने यहां बहुमत खो दिया है और उन्हें मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना होगा।

पुडुचेरी की नवनियुक्त उप राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन ने मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी को विधानसभा में बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था। आज के पूरा घटनाक्रम की शुरुआत पुडुचेरी विधानसभा के एक दिन का विशेष सत्र शुरू होने के कुछ मिनटों बाद ही हो गई। मुख्यमंत्री नारायणसामी ने विश्वास मत का प्रस्ताव रखा, लेकिन प्रस्ताव को वोटिंग के लिए रखे जाने से पहले ही वो और उनके सत्ताधारी पक्ष के विधायक वॉक आउट कर गए। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष पी शिवकोलंधु ने घोषणा की कि वो विश्वास मत हार गए हैं। इसके बाद नारायणसामी राज भवन के लिए निकल गए। वोटिंग से पहले बोलते हुए मुख्यमंत्री नारायणसामी ने आरोप लगाया था कि ‘पूर्व उप राज्यपाल किरण बेदी और केंद्र सरकार ने विपक्ष के साथ मिलकर सरकार को गिराने की कोशिश की। हमारे विधायक एकजुट रहे तो हम बीते 5 साल निकालने में सफल रहे। हमने केंद्र सरकार से फंड की अपील की लेकिन वो नहीं देकर केंद्र ने पुडुचेरी के लोगों से धोखा दिया है।’

विधानसभा में मुख्यमंत्री ने आज कहा, ‘हम दो भाषाओं के सिस्टम का अनुसरण करते हैं लेकिन BJP जबरन हिंदी भाषा लागू करने की कोशिश कर रही है।’ उन्होंने यह भी कहा,  ‘हमने द्रमुक व स्वतंत्र विधायकों के सहयोग से सरकार का गठन किया। इसके बाद हमने  अनेकों चुनाव लड़ा। हमने सभी उपचुनावों में जीत हासिल की। यह स्पष्ट है कि पुडुचेरी की जनता हमपर भरोसा करती है।’   मुख्यमंत्री ने कहा, ‘विधायकों को पार्टी के प्रति विश्वसनीय होना चाहिए। जिन विधायकों ने इस्तीफा दिया है वो लोगों का सामना नहीं कर सकते क्योंकि उन्हें लोग मौका परस्त बोलेंगे।’

शक्ति परीक्षण से पहले रविवार को कांग्रेस और द्रमुक के एक-एक विधायकों के इस्तीफा देने के कारण सरकार पर संकट बढ़ गया है। अब सत्ता पक्ष के पास 12 विधायक हैं जबकि विपक्षी सदस्यों की संख्या 14 है। 33 सदस्यीय विधानसभा में सात स्थान रिक्त हैं।