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राजस्थान में गरमाई सियासत, 8 महीने बाद सीएम गहलोत ने कबूला फोन टैप करने की बात

नई दिल्ली। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार ने अखिरकार आठ महीनों बाद कबूल किया कि पिछले साल जुलाई में सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस विधायकों के फोन टेप किए गए थे। सरकार ने विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि सक्षम स्तर से मंजूरी लेकर फोन टेप किए जाते हैं।

पिछले साल जुलाई में कांग्रेसी नेता सचिन पायलट बनाम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच चल रही सियासी तनातनी के दौरान फोन टैपिंग का मुद्दा उठा था। मुख्यमंत्री गहलोत ने आरोप लगाया था कि भारतीय जनता पार्टी विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रही है। वहीं इस मुद्दे के उठने के बाद अगस्त, 2020 में विधानसभा सत्र में पूर्व शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ ने यह सवाल पूछा था, क्या यह सच है कि पिछले दिनों फोन टैपिंग के मामले सामने आए हैं, अगर हां तो किस कानून के तहत और किसके आदेश पर ये कार्रवाई की गई थी? पूरी जानकारी सदन के पटल पर रखी जाए?

गहलोत ने कबूली फोन टैप करने की बात

विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने पुष्टि की कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के नेताओं के फोन टेप किए गए थे। गहलोत सरकार ने कहा कि सक्षम स्तर से मंजूरी लेकर फोन टेप किए जाते हैं। फोन इंटरसेप्टेड भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की धारा 5 (2), भारतीय टेलीग्राफ (संशोधन) नियम, 2007 की धारा 419 (ए), साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69 के प्रावधानों के तहत ये कदम उठाए गए थे।

यूं उठा फोन टैप करने का मुद्दा

बता दें कि एक केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेताओं के बीच फोन पर हुई बातचीत का ऑडियो पिछले साल जुलाई में वायरल हुआ था। इसके बाद राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया था। भाजपा और बसपा ने भी गहलोत सरकार पर अवैध फोन टैपिंग का आरोप लगाया था। वहीं सियासी संकट के दौरान फोन टैपिंग से जुड़े तीन ऑडियो वायरल को लेकर गहलोत गुट का कहना था कि इसमें भंवरलाल शर्मा, गजेंद्र सिंह शेखावत और विश्वेंद्र सिंह की आवाज है, जिसके बाद आरोप- प्रत्यारोप की राजनीति लगातार तेज होती गई।