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Sachin Pilot: किसान महासम्मेलन में दिखे सचिन पायलट… बढ़ेगी सीएम गहलोत की चिंता!

DESK:  सचिन पायलट ने नागौर जिले के परबतसर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस स्टेडियम में किसान सम्मेलन को संबोधित किया. सचिन पायलट की टीम द्वारा जारी की गई जानकारी के मुताबिक, अब उनका अगला कार्यक्रम शाम 5.00 बजे है, जब वह नागौर के खरनाल में तेजाजी मंदिर के दर्शन के लिए जाएंगे. संभावना है कि उस दौरान सचिन पायलट मीडिया से भी बात करें. हालांकि, इस बात की कोई पुष्टि नहीं हुई है.

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सचिन पायलट ने अपने करीब आधे घंटे के अपने भाषण में ज्यादातर बीजेपी और केंद्र सरकार को निशाने पर रखा. उन्होंने महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की समस्याओं पर ही अपना भाषण केंद्रित रखा. इस दौरान उन्होंने परबतसर के विधायक रामनिवास गांवड़िया को अपना छोटा भाई बताया. अपने भाषण में सचिन पायलट ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की योजनाओं का जिक्र किया और उसकी सफलताएं गिनाईं.

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लेकिन प्रदेश की कांग्रेस सरकार का एक बार भी जिक्र नहीं किया. उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम भी नहीं लिया. उन्होंने परीक्षाओं के पर्चा लीक होने का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि नौजवानों में विश्वास पैदा करन के लिए सरकार छोटे-मोटे लोगों को छोड़कर बड़े जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए. नागौर में किसान सम्मेलन में सचिन पायलट का भाषण पूरा हो गया है. आयोजकों ने हल का प्रतीक चिन्ह सचिन पायलट को भेंट किया.

पायलट पर भरोसा नहीं…गहलोत ने भी तोड़ी उम्मीदें…RAJ पर कांग्रेस का फोकस

DESK:  आज कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव की लड़ाई में मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के भाग्य का फैसला होगा। इसके बाद पार्टी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके प्रतिद्वंद्वी सचिन पायलट के बीच लंबे समय से चल रही लड़ाई पर ध्यान केंद्रित करेगी। पिछले महीने के अंत में जयपुर में पार्टी के द्वारा बुलाई गई बैठक में 82 कांग्रेसी विधायकों के शामिल नहीं होने के बाद विवाद गहरा गया था। ये विधायक पार्टी द्वारा बुलाई गई बैठक में तो नहीं पहुंचे, लेकिन ये सभी गहलोत के वफादार शांति धारीवाल के आवास पर बुलाई गई एक समानांतर बैठक में भाग लिए।

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अशोक गहलोत लंबे समय से नेहरू-गांधी परिवार के वफादार जाने जाते रहे हैं, लेकिन कहा जाता है कि बीते महीने की सियासी ड्रामेबाजी से गांधी परिवार का भरोसा कमजोर हुआ है। आपको बता दें कि सचिन पायलट ने भी 2020 में गहलोत के खिलाफ बगावत की थी।

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कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि गहलोत के मुख्यमंत्री के रूप में बने रहने के लिए गांधी परिवार बहुत उत्सुक नहीं है, लेकिन वे सचिन पायलट को लेकर भी पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हैं। एक संभावना यह भी है कि पार्टी गहलोत और पायलट से इतर किसी नाम पर सहमति बना सकती है। कांग्रेस ने पंजाब में भी ऐसा ही फॉर्मूला लागू किया था, जो कि पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हुआ था। विधानसभा चुनाव में करारी हार झेलनी पड़ी थी।

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अशोक गहलोत के पास गुजरात चुनाव के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी भी है। वह गुजरात का दौरा करने वाले हैं। उनके राधनपुर में एक रोड शो और एक जनसभा में भाग लेने की संभावना है। उनके 18 अक्टूबर को थरद में एक रोड शो और युवा रैली में भी भाग लेने की उम्मीद है।

राजस्थान में सियासी वबाल…सोनिया देंगी समाधान!…पढ़िए पूरा मामला

AARYAA NEWS DESK: राजस्थान के सीएम बदला जाएगा या फिर गहलोत की कुर्सी को बरकरार रख जाये। 4 दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से अशोक गहलोत और सचिन पायलट की मुलाकात के बाद से ही इस फैसले का इंतजार किया जा रहा है। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी शुक्रवार को कहा था कि 1-2 दिन में मुख्यमंत्री पर फैसला हो जाएगा। हालांकि, अब तक पार्टी की ओर से ना तो कोई फैसला आया है और ना ही कोई संकेत दिया गया है।

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अशोक गहलोत ने इशारों ही इशारो में साफ कर दिया कि सचिन पायलट उन्हें अपने उत्तराधिकारी के रूप में मंजूर नहीं हैं। तो वही गहलोत ने अपने तेवर में ये साफ कर दिया की अधिकतर विधायक उनके साथ हैं। उन्होंने कहा, ”नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति किए जाने पर 80 से 90 फीसदी विधायक पाला बदल लेते हैं, वे नए नेता के साथ हो जाते हैं, मैं इसे गलत भी नहीं मानता, लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं हुआ।”गहलोत ने सचिन पायलट का नाम लिए बिना कहा, ”जब नए मुख्यमंत्री के आने की संभावना थी तो क्या कारण था कि उनके नाम से ही विधायक बुरी तरह से भड़क गए.

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गहलोत को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा था। इससे राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन और पायलट को नया मुख्यमंत्री बनाए जाने की अटकलों के बीच गहलोत के वफादार कई विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। हालांकि, गहलोत ने बाद में घोषणा की थी कि वह कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे। अटकलें हैं कि पार्टी हाईकमान गहलोत से नाराज है और उन्हें सीएम पद से भी हटाना चाहती है।

राजस्थान- फ्रंटफुट पर खेल रहे अशोक गहलोत…विधायकों की बगावत पर दिया जवाब…पढ़िए

AARYAA DESK : राजस्थान में मचे घमासान के बाद अब इंतजार सोनिया गांधी के फैसले का है. फैसला इस पर लिया जाना है कि अशोक गहलोत सीएम की कुर्सी पर बने रहेंगे या फिर नहीं. इसी बीच गहलोत ने राजस्थान में हुई बगावत को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने आलाकमान तक मैसेज पहुंचाने की कोशिश की है कि राजस्थान में विधायक डरे हुए हैं. यानी गहलोत एक बार फिर अपना कद और ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. इसके अलावा गहलोत ने खड़गे की भी तारीफ की है.

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पायलट की बगावत का भी किया जिक्र
गहलोत ने कहा कि, “मैंने पहली बार माफी मांगी. मोदी सरकार हमेशा कोशिश करेगे कि कैसे सरकार गिरा देंगे, हमारे विधायक को अमित शाह ने मिठाई खिलाई थी. 102 लोगों को कैसे भूल सकता है. 10 करोड़ का रेट था, बाद में 10, 20, 50 करोड़ की बात होने लगी. मैं रहूं या नहीं रहूं, यह अलग बात है, मैं विधायकों का अभिभावक हूं. आज दो-चार विधायक मेरे खिलाफ कमेंट भी कर देते हैं तो मैं बुरा नहीं मानता हूं.”

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अशोक गहलोत ने सचिन पायलट की बगावत का भी जिक्र कर दिया. उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए हम पर बड़ा संकट आया. लेकिन हमने उसे विफल कर दिया, बीजेपी आगे भी सरकार को डिस्टर्ब करने की कोशिश करेगी लेकिन प्रदेश वासियों का सहयोग उनके साथ है तभी वह बार-बार कहते हैं कि वे उनसे दूर कैसे हो सकते हैं.

राजस्थान में भी आएगा महाराष्ट्र जैसा संकट? जानें क्यों गहलोत सरकार की बढ़ गई है बेचैनी…

DESK : शिवसेना में बगावत के बाद महाराष्ट्र की सत्ता बदल चुकी है तो कांग्रेस शासित कुछ और राज्यों में भी संकट बढ़ने की आशंकाएं जाहिर की जा रही हैं। इस बीच राजस्थान सरकार की बेचैनी भी बढ़ गई है। उदयपुर हत्याकांड को लेकर सवालों में घिरे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच कड़वाहट कोई नई बात नहीं है। इस बीच सोमवार को कांग्रेस सरकार की चिंता उस वक्त बढ़ गई जब सोमवार को विधायक दल की बैठक से बीपीटी के विधायक गायब रहे। सूत्रों के मुताबिक, कई निर्दलीय और कांग्रेस के भी कुछ विधायक इस बैठक से गैर हाजिर रहे।

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विधायकों की इस तरह गैर-हाजिरी को लेकर सियासी गलियारों में कई अटकलें लगने लगी हैं। सवाल पूछा जा रहा है कि कहीं यह राजस्थान में महाराष्ट्र जैसे संकट की आहट का संकेत तो नहीं है? राजनीतिक जानकारों की मानें तो हाल ही में राज्यसभा चुनाव के दौरान तीन सीटों पर जीत हासिल करके अपनी स्थिति मजबूत करने वाले गहलोत की मुश्किलें कन्हैयालाल हत्याकांड के बाद बढ़ गई हैं। माना जा रहा है कि इस हत्याकांड के बाद बहुसंख्यक समुदाय में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ी है। बदले माहौल में एक बार फिर विधायक अपने-अपने इलाकों में जनता का मूड भापने में जुट गए हैं। ऐसे में विधायकों की गैर-हाजिरी से गहलोत सरकार की चिंता बढ़ना लाजिमी है।

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हाल ही में अपने ‘सब्र’ के लिए राहुल गांधी से तारीफ पाने वाले सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच सबकुछ ठीक नजर नहीं आ रहा है। हाल ही में गहलोत ने खुलकर यह कह दिया कि सचिन पायलट बीजेपी नेताओं के साथ मिले हुए थे और सरकार गिराने की कोशिश की। इसके अलावा गहलोत ने पायलट को कई बार सार्वजनिक रूप से निकम्मा कहा है। हालांकि, हाल ही में उन्होंने सफाई देते हुए यह भी कहा कि उन्होंने प्यार से ऐसा कहा और बच्चों को ऐसा कह दिया जाता है।

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राजस्थान की सियासत में यह सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है कि सचिन पायलट कब तक सब्र दिखाएंगे। पार्टी नेतृत्व की ओर से उनसे जो वादे किए गए थे उन्हें कब पूरा किया जाएगा? क्या अगले साल विधानसभा चुनाव तक सचिन पायलट यथास्थिति बनाए रखेंगे? राजनीतिक जानकारों की मानें तो पायलट अगले चुनाव से पहले राजस्थान कांग्रेस पर अपनी कमान चाहेंगे। वह अगले चुनाव में चेहरा घोषित किए जाने की मांग भी करेंगे।