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शबनम-सलीम केसः निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह का बड़ा बयान, कहा- जेल में सुधार घर बनाइये फांसीघर नहीं

नई दिल्ली। प्रेमी के साथ मिलकर पूरे परिवार का कत्ल करने वाली शबनम को फांसी देने की तैयारी चल रही है। शबनम पर आरोप है कि उसने अपने प्रेमी के साथ मिलकर माता-पिता सहित परिवार के 7 लोगों की कुल्हाड़ी से काटकर निर्मम हत्या कर दी थी।

दरअसल, शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर मां-बाप, भतीजे, 2 भाई, एक भाभी और रिश्ते की बहन को पहले दूध में नशीला पदार्थ मिलाकर दिया फिर रात को बेहोशी की हालत में एक-एक करके सभी को कुल्हाड़ी से काट डाला। इस मामले में शबनम और सलीम को फांसी दी जानी है। शबनम की फांसी को लेकर डेथ वारंट भी जारी किया जा चुका है।

वीडियो जारी कर एपी सिंह ने दिया बड़ा बयान

ऐसे में 2012 के निर्भया केस की यह फांसी भी चर्चा में आ चुकी है। बता दें कि निर्भया के चारों दोषियों पवन, विनय, मुकेश और अक्षय को पिछले साल 20 मार्च की सुबह दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी। शबनम की फांसी को लेकर निर्भया के चारों दोषियों के वकील एपी सिंह का अहम बयान आया है। उन्होंने वीडियो संदेश में कहा है- ‘शबनम और सलीम प्रकरण में फांसी देने की बात चल रही है। आजादी के बाद देश में पहली बार किसी महिला को फांसी दी जा रही है। यह दुखद है। फांसी किसी समस्या का इलाज नहीं है। पहले भी कहा है और अब भी कह रहा हूं। दोषी की मनोदशा का खत्म करना चाहते थे तो उसमें सुधार लाइये। जेल को सुधार गृह रखिये… फांसीघर मत बनाइये। अंतरराष्ट्रीय स्तर की बात करें तो 100 से अधिक देशों में फांसी की सजा खत्म हो चुकी है।’

बेटे ताज की याचिका पर भी बोले एपी सिंह

बता दें कि जेल में जन्में सलीम और शबनम के बेटे मुहम्मद ताज ने राष्ट्रपति से दया की गुहार लगाई है। बेटे ताज ने दया याचिका में लिखा है- ‘राष्ट्रपति अंकल जी, मेरी मां को माफ कर दो।’ इस पर निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह का कहना है कि इसमें शबनम के बच्चे ताज का क्या कसूर है। उसका तो एक ही सहारा उसकी मां है। एपी सिंह का कहना है कि जब सलीम और शबनम को फांसी हो जाएगी तो वह बच्चा तो अनाथ हो जाएगा।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के नामी वकील एपी सिंह ने निर्भया के दोषियों को फांसी से बचाने की अंतिम समय तक कोशिश की थी। 20 मार्च को सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर चारों दोषियों को फांसी देने से पहले 19 मार्च की सुबह से लेकर रातभर तक दिल्ली हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कार्यवाही चली थी। यहां तक 20 मार्च की तड़के 2 बजकर 30 मिनट पर सुप्रीम कोर्ट ने फांसी पर मुहर लगाई थी।

क्या है शबनम-सलीम मामला ?

पढ़ी-लिखी शबनम एक 8वीं फेल सलीम से प्यार करती थी। जाहिर है कि माता-पिता के समक्ष शादी का प्रस्ताव रखा तो रिश्ते के लिए मना कर दिया गया। इसके बाद प्रेम में अंधी शबनम ने ऐसा खूनी खेल खेला कि इतिहास बन गया। 14 अप्रैल 2008 की रात को अमरोहा के हसनपुर तहसील के गांव बावनखेड़ी में खूनी खेल हुआ। उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक, शबनम ने प्रेमी सलीम से साजिश के तहत कहा कि वह उसे नशे की गोलियां लाकर दे जिससे सभी को बेहोश कर उन्हें मारा जा सके. सलीम ने 10 गोलियां मेडिकल से लाकर शबनम को दे। सलीम ने ऐसा ही किया। फिर शबनम ने गोलियां दूध में मिलाकर पूरे घर को दे दीं, लेकिन 11 साल के भतीजे को दूध नहीं दिया। नशे वाला दूध पीकर जब सब बेहोश हो गए तो सलीम और शबनम ने कुल्हाड़ी से सबका गला काट दिया।नजदीक के ट्यूबवेल पर खून से सने हाथ-पैर धोने के बाद जब शबनम ने देखा कि उसका भतीजा जीवित रह गया है तो 11 साल के भतीजे की गला दबाकर हत्या कर दी। निचली अदालत और इलाहाबाद हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट भी शबनम-सलीम की फांसी पर मुहर लगा चुका है।