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J&K: महबूबा मुफ्ती को घर खाली करने का नोटिस…नहीं बचा कोई विकल्प

Mehbooba Mufti Home: पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को अब जल्द ही श्रीनगर के गुप्कर रोड पर आठ कमरों वाले बंगले फेयर व्यू गेस्ट हाउस को छोड़ना होगा. हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री और प्रशासन के बीच अभी तक नए घर को लेकर कोई सहमति नहीं बनी है. बागों से घिरा, फेयर व्यू गेस्ट हाउस महबूबा के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद को 2005 में आवंटित किया गया था, जब उन्होंने कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन सरकार में सीएम के रूप में तीन साल पूरे किए थे.

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इस्तीफा देने के बाद भी इसी घर में रहीं मुफ्ती
महबूबा मुफ्ती ने अप्रैल 2016 और जून 2018 के बीच मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान वहां रहना जारी रखा. बाद में प्रेस ब्रीफिंग और पार्टी की बैठकों के लिए एक सम्मेलन कक्ष को विशाल लॉन में जोड़ा गया. महबूबा को जून 2018 (पीडीपी-बीजेपी सरकार गिरने के बाद) में सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद भी आवास पर बने रहने की अनुमति दी गई थी.

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घर खाली करने के लिए दिया 15 नवंबर तक का समय
हालांकि, अब महबूबा के पास कोई संवैधानिक पद नहीं होने के कारण प्रशासन चाहता है कि वह घर खाली कर दें. 15 अक्टूबर को उन्हें केंद्र शासित प्रदेश के संपदा विभाग ने घर खाली करने के लिए एक नोटिस भी भेज दिया है. 10 दिन बाद भेजे गए एक दूसरे नोटिस में कहा गया कि वह एक “अनधिकृत कब्जा” है और “अब वे पूर्व मुख्यमंत्री की क्षमता में सरकारी आवास को बनाए रखने की हकदार नहीं हैं.” उन्हें घर छोड़ने के लिए 15 नवंबर तक का समय दिया गया है.

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‘मैं अपनी बहन के घर जा रही हूं, कोई विकल्प नहीं बचा है’
वहीं, इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए महबूबा ने कहा, “मैं अपनी बहन के घर जा रही हूं. वह विदेश में रहती हैं. हमारे पास कई विकल्प नहीं है. घर में निजता का अभाव था जो उन्होंने हमें तुलसीबाग में दिखाया था. यह भी अच्छी स्थिति में नहीं था, इसलिए हमने इसे नहीं लेने का फैसला किया.” उन्होंने कहा कि नए स्थान (खिम्बर में) की सुरक्षा व्यवस्था के बारे में उनके साथ अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है. जम्मू-कश्मीर पुलिस के सूत्रों ने कहा कि स्थान पर खतरे की धारणा के बारे में आंतरिक रूप से समीक्षा की जा रही है.

जम्मू-कश्मीर ने अनुच्छेद-370 हटाने की नहीं थी किसी को जानकारी, राज्यसभा में केंद्र सरकार ने दी जानकारी

नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने आज राज्यसभा में साफ-साफ लहजे में बताया कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाने के फैसले के बारे में पहले से किसी नागरिक को भी कोई जानकारी नहीं दी गई थी। सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में इस बात से इनकार किया कि देश के एक पत्रकार सहित कुछ नागरिकों को जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद-370 को निरस्त करने से संबंधित जानकारी दी गई थी।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी  ने राज्यसभा को उस सवाल के जवाब में बताया कि क्या 5 अगस्त, 2019 को संसद में साझा की जाने वाली जानकारी से पहले अनुच्छेद-370 के निरस्तीकरण के बारे में नागरिकों सहित एक पत्रकार को पहले से कोई जानकारी साझा की गई थी। इस सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा- नहीं सर। बता दें, इस सवाल को लेकर पिछले काफी समय से राजनीति चल रही थी।

जम्मू-कश्मीर में 18 माह बाद 4G इंटरनेट बहाल

पूरे जम्मू-कश्मीर में 18 माह बाद 4G इंटरनेट सुविधा बहाल की जा रही है, यह पाबंदी अनुच्छेद 370 हटने के बाद लगाई गई थी। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को 5 अगस्त 2019 को हटाने के बाद 4जी इंटरनेट पर रोक लगाई गई थी।

केंद्र सरकार का ऐतिहासिक फैसला

केंद्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान अनुच्छेद-370 को ख़त्म करने का फ़ैसला किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में इसका फ़ैसला हुआ जिसका एलान गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में किया। गृहमंत्री ने संसद को बताया कि अनुच्छेद-370 को ख़त्म कर दिया गया है और इस आदेश पर राष्ट्रपति ने दस्तख़त कर दिए हैं। अनुच्छेद 370 के ख़त्म होने के साथ अनुच्छेद 35-ए भी ख़त्म हो गया है जिससे राज्य के ‘स्थायी निवासी’ की पहचान होती थी।