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#राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत तीन दिन के अंतराल पर उत्तर प्रदेश के दूसरे दौरे पर#

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत तीन दिन के अंतराल पर उत्तर प्रदेश के दूसरे दौरे पर हैं। रविवार को अलीगढ़ के बाद अब वह चित्रकूट पहुंचे हैं। चित्रकूट के दीन दयाल शोध संस्थान के आरोग्यधाम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का चिंतन शिविर होगा। इसकी की मुख्य बैठक नौ से 12 जुलाई तक होगी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत सात दिवसीय दौरे पर मंगलवार सुबह छह बजे प्रभु श्रीराम की तपोभूमि पहुंचे

संपर्क क्रांति एक्सप्रेस से उतरते ही संघ पदाधिकारियों और प्रशासनिक अमले ने उनकी अगवानी की। वह दीनदयाल शोध संस्थान के प्रकल्प आरोग्यधाम के लिए निकल गए।कार्यक्रम के तहत वह मध्यप्रदेश के जिला सतना स्थित दीनदयाल शोध संस्थान आरोग्य धाम में बैठक की तैयारियों का जायजा लेंगे। इसके बाद भगवान कामतानाथ के दर्शन और पद्मविभूषण जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी महराज से मिलने उसके तुलसीपीठ जा सकते हैं। वह 13 जुलाई तक चित्रकूट में रहेंगे।

आरोग्यधाम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नौ से 12 जुलाई तक चिंतन शिविर है। जिसमें अखिल भारतीय संघ टोली के सभी पदाधिकारी और क्षेत्र प्रचारक शामिल हो रहे हैं। बैठक भले ही नौ जुलाई को शुरू होनी है लेकिन संघ प्रमुख तीन दिन पहले ही चित्रकूट पहुँच गए हैं। स्टेशन में उनका संघ के वरिष्ठ प्रचारक सुरेश सोनी समेत डीआरआइ के संगठन सचिव अभय महाजन, जिलाधिकारी शुभ्रांत कुमार शुक्ल ने उनका स्वागत किया।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के इस चिंतन शिविर में उत्तर प्रदेश में 2022 में 2022 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर मुख्य रणनीति बनने की संभावना है। इस बैठक में भाग लेने आरएसएस प्रमुख सोमवार देर रात संपर्क क्रांति एक्सप्रेस से चित्रकूट पहुंच गए जबकि अन्य के आने का सिलसिला जारी है। संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत अन्य पदाधिकारी यहां आज एकत्र हो जाएंगे। सभी लोग चित्रकूट के दीनदयाल शोध संस्थान के आरोग्यधाम में ठहरेंगे। यहां पर मुख्य चिंतन बैठक नौ से 12 जुलाई तक होगी। इस बैठक की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगता है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सहित अन्य बड़े पदाधिकारी तीन दिन पहले ही पहुंचे हैं।

चित्रकूट में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की अखिल भारतीय स्तरीय बैठक 9 जुलाई से 13 जुलाई तक होनी है। इस बैठक में संघ के कार्यों पर चर्चा की समीक्षा के साथ आगामी कार्ययोजना पर चर्चा होनी है। इस बैठक में संघ के देश के कोने-कोने से एक दर्जन क्षेत्रीय प्रचारक भी शामिल हो रहे हैं। सर संघचालक इस राष्ट्रीय स्तरीय बैठक में शामिल होने आ रहे हैं। इस बैठक की तैयारी चित्रकूट जिला प्रशासन के साथ ही मध्य प्रदेश के रींवा के भी अधिकारियों ने की है।

माजुली एक्ट को लागू करने की मांग, विश्व हिंदू महासभा ने किया प्रदर्शन  

नई दिल्ली। विश्व हिंदू महासंघ ने आज दिल्ली के जंतर मंतर पर माजुली एक्ट को लेकर प्रदर्शन किया। जिसमें विश्व हिंदू महासंघ के राष्ट्रीय अंतरिम अध्यक्ष महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने हिस्सा लिया।।

उन्होंने कहा की मोदी सरकार से अपील करते हैं कि वह इस एक्ट को शीघ्र लागू करें और हमने इस मामले को लेकर मोदी और असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल को पत्र भी भेजा है। हमारी मांग है कि वह इस एक्ट को लागू करें और अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया, तो हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा।

आगे उन्होंने कहा हम दिल्ली के बाद असम में भी प्रदर्शन करेंगे।  इस प्रदर्शन में 100 से अधिक लोग हिस्सा लेने वाले थे लेकिन इजाजत ना मिलने के कारण 40 से 50 लोग ही शामिल हो पाए हैं। इस प्रदर्शन में माजुली के प्रमुख स्त्राधिपति स्वामी जनार्दन देव एवं महामंत्री अलखनाथ और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष राजेश तोमर वासन के महामंत्री बालेंन वेशव भी शामिल हुए।

महंत सुरेंद्रनाथ ने कहा कि असम दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस क्षेत्र में विकास करने की बात कही थी और यह अकेला ऐसा आईलैंड है, जिसे जिले का दर्जा दिया गया है। दिल्ली में इसको लेकर अभी तक प्रदर्शन नहीं हुआ था, जिसकी वजह से इस पर किसी का ध्यान नहीं गया।

सुरेंद्रनाथ ने इस एक्ट को लेकर जानकारी दी और कहा कि माजुली ब्रह्मपुत्र नदी के मध्य विश्व का सबसे बड़ा टापू है। 20वीं सदी तक इसका क्षेत्रफल 880 किलोमीटर था, जो अब सिमटकर 800 वर्ग किलोमीटर रह गया है। माजुली को असम की धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है। 15वीं शताब्दी में वैष्णव संप्रदाय के प्रवर्तक श्रीमंत शंकरदेव और महादेव ने वैष्णव सत्र की स्थापना की वर्तमान में केवल माजुली में 36 सत्रह हैं। तत्पश्चात संपूर्ण असम में वैष्णव संप्रदाय का प्रचार-प्रसार हुआ इसके महत्व को देखते हुए माजुली के विकास के लिए केंद्र सरकार ने करोड़ों की योजना तैयार की है और असम सरकार ने 2006 में माजुली कल्चर लैंड के परिजन एक्ट 2006 लागू किया जिसे अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है।