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China: शिनजियांग के जीरो कोविड पॉलिसी पर फूटा लोगों का गुस्सा…पढ़िए

 DESK:  चीन का शिनजियांग उन नए प्रांतों में से है जहां COVID-19 के कारण लॉकडाउन लगाया गया है. एक बार फिर इस प्रांत में ट्रैवल प्रतिबंधों को आगे बढ़ा दिया गया है. गुरुवार को कहा गया है कि 22 मिलियन लोगों के इस क्षेत्र में बाहर से आने वाली ट्रेनों और बसों को बंद कर दिया गया है. साथ ही फ्लाइट से आने वाले यात्रियों की संख्या को घटाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है.

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न्यूज एजेंसी एपी के अनुसार राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने बुधवार को शिनजियांग में सिर्फ 93 और गुरुवार को 97 मामलों की घोषणा की थी. इनमें से सभी बिना लक्षण वाले हैं. शिनजियांग के नेताओं ने मंगलवार को कोरोना मरीजों का पता लगाने और इसके नियंत्रण उपायों के साथ समस्याओं को स्वीकार किया है. लेकिन प्रतिबंधों को हटाने की योजना के बारे में कुछ भी नहीं बताया.

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अधिकारी अपने क्षेत्रों में कोरोना के नए मामले ना आए इसकी कामना कर रहे हैं. वहीं शिनजियांग शहर का विशाल सर्विलांस सिस्टम हर जगह पुलिस चौकियों के साथ चेहरे और यहां तक कि आवाज पहचानने के सॉफ्टवेयर पर निर्भर है. इसके साथ सेल फोन निगरानी ने यात्रा को नियंत्रित करना विशेष रूप से आसान बना दिया है.

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पिछले महीने एक बस दुर्घटना में 27 लोग मारे गए थे. बस से लोगों को दक्षिण-पश्चिमी चीन क्वारंटाइन के लिए ले जाया जा रहा था. दुर्घटना के बाद ‘जीरो कोविड पॉलिसी’ की कठोरता पर चीन में ऑनलाइन गुस्से का तूफान खड़ा हो गया. दुर्घटना में बचे लोगों ने कहा कि एक भी मामला सामने नहीं आने पर भी उन्हें अपने अपार्टमेंट छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था.

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‘जीरो कोविड पॉलिसी’ के सबसे बड़े समर्थक कम्युनिस्ट पार्टी के नेता शी जिनपिंग के एक बार फिर राष्ट्रपति बनने की उम्मीद है. WHO की आलोचनाओं और चीन में अर्थव्यवस्था, शिक्षा और सामान्य जीवन में बड़े पैमाने पर संकट होने के बाद भी ‘जीरो कोविड पॉलिसी’ जारी है.

भारत की कफ सिरप बनाने वाली कंपनी के खिलाफ WHO ने जारी किया अलर्ट…जानिए पूरा मामला

डब्ल्यूएचओ ने भारत के मेडेन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा बनाए गए 4 खांसी और ठंड के सिरप पर एक मेडिकल उत्पाद अलर्ट जारी किया है. WHO ने संभावित रूप से इसे गुर्दे की चोटों और गाम्बिया में 66 बच्चों की मौतों से जोड़ा है. डब्ल्यूएचओ के हवाले से रायटर्स ने बताया कि कंपनी और नियामक अधिकारियों के साथ आगे की जांच की जा रही है.

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डब्ल्यूएचओ ने एक चिकित्सा उत्पाद अलर्ट में कहा, “चार उत्पादों में से प्रत्येक के नमूनों का प्रयोगशाला विश्लेषण पुष्टि करता है कि उनमें डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की अस्वीकार्य मात्रा है.” डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेडरोस अदनहोम गेब्रेहेसुस ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने आज गाम्बिया में पहचानी गई चार दूषित दवाओं के लिए एक चिकित्सा उत्पाद अलर्ट जारी किया है जो संभावित रूप से गुर्दे की गंभीर चोटों और बच्चों में 66 मौतों से जुड़ी हुई हैं. इन बच्चों की मौत उनके परिवारों के लिए बहुत बड़ा सदमा है.

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बाकी देशों को किया अलर्ट: उन्होंने आगे कहा कि चार दवाएं भारत में मेडेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड द्वारा उत्पादित खांसी और ठंड के सिरप हैं. डब्ल्यूएचओ  संबंधित कंपनी और भारत में नियामक प्राधिकरणों के साथ आगे की जांच कर रहा है. दूषित उत्पादों का अब तक केवल गाम्बिया (Gambia) में पता चला है, हो सकता है कि उन्हें अन्य देशों में वितरित किया गया हो. डब्ल्यूएचओ सभी देशों में मरीजों को और नुकसान से रोकने के लिए इन उत्पादों का पता लगाने और हटाने की सलाह देता है.

जहां नहीं लगवा रहे टीका वहां डेल्टा का कहर,104 देशों तक पहुंचने वाला डेल्टा वैरिएंट

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि कोरोना का नया स्वरूप डेल्टा दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है। इसके चलते उन्होंने दुनिया के तमाम देशों को आगाह करते हुए कहा कि 104 देशों तक पहुंचने वाला डेल्टा वैरिएंट जल्द ही पूरी दुनिया में कोरोना के स्वरूपों में सबसे अधिक हावी हो सकता है। डब्लूएचओ प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि पिछला सप्ताह ऐसा चौथा सप्ताह था, जब दुनिया भर के मामले बढ़ने का सिलसिला लगातार जारी रहा। डब्ल्यूएचओ के छह क्षेत्रों में से एक को छोड़कर अन्य सभी में मामले बढ़े हैं।

उन्होंने कहा कि 10 सप्ताह तक संक्रमण के मामलों में कमी आने के बाद इस तरह मामले बढ़ने से चिंता बढ़ गई है। संगठन के महानिदेशक ने कहा कि कोरोना का नया स्वरूप डेल्टा वैरिएंट दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है, जिससे संक्रमण के मामले और उससे जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है।खासतौर पर ये वैरिएंट उन लोगों को संक्रमित कर रहा है, जिन्होंने टीका नहीं लिया है। इस वजह से स्वास्थ्य ढांचे पर दबाव बढ़ रहा है। वहीं, जिन देशों में टीकाकरण की दर बेहद कम है, वहां हालात और भी खराब हैं। उन्होंने इस बात की भी चेतावनी दी कि डेल्टा वैरिएंट अधिक संक्रामक है, इसलिए इससे बचना बेहद जरूरी है।

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कोरोना वायरस के नए रूप की चपेट में आने से बचने के लिए वैज्ञानिक कह चुके हैं कि सभी को जल्द से जल्द टीका लगवाना होगा। वैज्ञानिकों ने ये भी स्पष्ट किया है कि टीका लगवाने वाले लोगों को भी संक्रमण हो सकता है लेकिन उनकी सेहत को नुकसान होने की संभावना उन लोगों की तुलना में कम है जो बिना टीके के संक्रमित होंगे। अमेरिका में डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित होने वालों की दर 70 से 80 फीसदी है।अमेरिका के ब्राउन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डीन डॉ. आशीष झा का कहना है कि अमेरिका में कोरोना संक्रमण के अधिक मामले उन क्षेत्रों में कम देखने को मिल रहे हैं जहां टीकाकरण की दर कम है या जहां लोग टीका लगवाने में संकोच कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अमेरिका के कुछ हिस्सों में टीकाकरण की रफ्तार धीमी है। ऐसे ही क्षेत्रों में संक्रमण के मामले अधिक दिख रहे हैं, खासतौर से लोग डेल्टा वैरिएंट की चपेट में आ रहे हैं।

डॉ. झा के अनुसार मैसाच्युसेट्स और रोड आईलैंड में 85 से 90 फीसदी वयस्कों को टीका लग चुका है। इसका नतीजा ये है कि इन क्षेत्रों में संक्रमण की दर कम है। वहीं अरकंसास, ओहियो समेत अन्य क्षेत्रों में टीकाकरण की दर बहुत कम है। नतीजा ये है कि यहां कोरोना का डेल्टा वैरिएंट बड़ी संख्या में लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। ऐसे में कह सकते हैं कि टीका और डेल्टाका सीधा संबंध है।डॉ. झा का कहना है कि  दुनिया के 95 से अधिक देशों में फैल चुका है। ऑस्ट्रेलिया, इस्राइल और दक्षिण अफ्रीका में डेल्टा वैरिएंट ने कहर बरपाना भी शुरू कर दिया है। गौर करने वाली बात ये है कि अब तक टीका न लगवाने वाले लोग इस रूप की चपेट में अधिक आ रहे हैं। दोबारा संक्रमण के मामले भी सामने आए हैं जो भविष्य के लिए चिंताजनक स्थिति है।

इस्तेमाल हो रहे रूस का स्पूतनिक-वी टीका डेल्टा समेत कोरोना के सभी वैरिएंट के खिलाफ असरदार है। रूस के गमाल्या रिसर्च इंस्टीट्यूट ने ये दावा एक ताजा अध्ययन के नतीजों के आधार पर किया है।आरडीआाईएफ के सीईओ किरिल दिमित्रेव ने बताया कि स्पूतनिक-वी टीके की दो डोज कोरोना के नए वैरिएंट को न्यूट्रलाइज करने में सक्षम है। उन्होंने यहां तक दावा किया है कि अन्य टीकों की तुलना में स्पूतनिक ज्यादा असरदार और प्रभावी है।वैज्ञानिकों ने परीक्षण में टीके की वायरस न्यूट्रलाइजिंग एक्टिविटी (वीएनए) को परखा तो पता चला कि वायरस के खिलाफ टीके का प्रभाव वैज्ञानिक भाषा में गोल्ड स्टैंडर्ड है।

 

सीरम की कोरोना वैक्सीन को WHO ने दी हरी झंडी, दुनियाभर में आपातकालीन उपयोग की मंजूरी

दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के कोरोना टीके को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी प्रदान की है। पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने इस टीके को कोविशील्ड के नाम से तैयार किया है। इस मंजूरी के बाद महामारी से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र की सहायता से दुनियाभर के देशों में वैक्सीन की लाखों डोज पहुंच सकेंगी।

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने एक बयान में कहा कि उसने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया और दक्षिण कोरिया की एस्ट्राजेनेका-एसकेबायो द्वारा बनाए जा रहे एस्ट्रोजेनेका टीके को आपातकालीन मंजूरी प्रदान की है। डब्ल्यूएचओ द्वारा एस्ट्राजेनेका के कोरोना टीके को हरी झंडी मिलने के साथ ही गरीब देशों में भी इसकी खुराक पहुंचना सुनिश्चित हो पाएगा।

पिछले हफ्ते डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ समूह ने 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए एस्ट्राजेनेका टीके के इस्तेमाल की सिफारिश की थी। हालांकि, डब्ल्यूएचओ वैक्सीन को अनुमोदित या विनियमित नहीं करता है, लेकिन जिन विकासशील देशों में दवा नियामक व्यवस्था मजबूत नहीं है, उनके लिए वह वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभाव का आकलन करता है।

एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को पहले से ही ब्रिटेन, भारत, अर्जेंटीना और मैक्सिको सहित 50 से अधिक देशों में आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है। यह टीका काफी सस्ता है और इसे रखना भी आसान है। डब्लूएचओ फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन को पहले ही मंजूरी दे चुका है। स्टोरेज इस वैक्सीन की सबसे बड़ी दिक्कत है। इसे स्टोर करने के लिए बेहद ही कम तापमान में रखने की आवश्यकता होती है।गरीब और विकाशील देशों में ऐसे कोल्ड स्टोरेज की उपलब्धता नहीं है।

WHO चीफ ने चीनी स्वास्थ्य मंत्री से की बात, कोरोना को लेकर दिया ये बड़ा संकेत!

विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञ वुहान में अपनी पहली साइट पर पहुंच चुके हैं। इससे पहले विशेषज्ञों ने चीनी अधिकारियों के साथ मुलाकात की। डब्ल्यूएचओ के ये विशेषज्ञ वुहान के फूड मार्केट की जांच करने वाले हैं, जहां से कोरोना वायरस महामारी शुरू हुई थी। विषेषज्ञ मान रहें हैं कि इससे चीन की श्किलें बढ़ सकती हैं।

https://youtu.be/L9-LB9eaBk0

कोरोना की उत्पत्ति का पता लगाने चीन पहुंची WHO की टीम

नई दिल्ली। दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक्‍सपर्ट्स की एक टीम वुहान पहुंच गई है। डब्‍ल्‍यूएचओ की टीम ‘शुरुआती मामलों में संक्रमण के संभावित स्रोत का पता लगाने के लिए वुहान में अध्ययन शुरू कर दिया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेतृत्व में 10 विशेषज्ञों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम बृहस्पतिवार को चीन के वुहान पहुंची। यह टीम पता लगाएगी कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति वुहान से हुई या नहीं। शुरुआती आनाकानी और अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकते हुए चीन ने डब्ल्यूएचओ की टीम को अपने यहां आने की अनुमति दी है। 10 वैज्ञानिकों की इस टीम को वुहान में दो हफ्तों का क्वारंटाइन समय बिताना होगा। इसके बाद टीम अपने काम की शुरुआत कर सकेगी।

बता दें कि कोरोना वायरस की उत्तपत्ति कहां से हुई, यह बड़ा मुद्दा है, लेकिन साल 2019 में वुहान में कोविड-19 का पहला मामला सामने आया था। बीजिंग पर यह आरोप है कि उसके वुहान शहर स्थित लैबोरेटरी से ही वैश्विक महामारी का कारण बनने वाला कोविड-19 वायरस पैदा हुआ और यहीं से पूरी दुनिया में फैल गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सबसे पहले यह आरोप लगाया था और इसे चीनी वायरस करार दिया था।

 

ड्रैगन को कोरोना पर पोल खुलने का डर, WHO की जांच टीम को नहीं दी देश में एंट्री की परमिशन

नई दिल्ली। चीन के कोरोना वायरस पर पोल खुलने का डर सता रहा है। कोरोना वायरस की उत्पत्ति के जांच करने वुहान शहर जा रही विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम को चीन ने परमिशन देने से मना कर दिया। टीम वुहान शहर में इस वायरस के उत्पत्ति की जाँच करने के लिए निकली थी, लेकिन अब तक इन लोगों को चीन आने की परमिशन नहीं मिल पाई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस अधनोम गेब्रिएसस ने चीन के इस रवैये पर नाराजगी जाहिर की है।

 

Pfizer और BioNTech की कोरोना वैक्सीन को WHO ने दी मंजूरी

नई दिल्ली। देश और दुनिया इस समय कोरोना का कहर झेल रही है। ऐसे में लोगों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फाइजर और बायोएनटेक की कोरोना वायरस वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति दे दी है।

बता दें कि स्वास्थ्य संगठन की ओर से पहली बार किसी वैक्सीन को मान्यता दी गई है। ऐसे में अब पूरी दुनिया के लिए फाइजर की कोरोना वैक्सीन का रास्ता खुल गया है। वहीं, भारत भी आज कोरोना वायरस वैक्सीन के इमरजेंसी यूज को लेकर बड़ा फैसला लेगा।

डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि आपातकालीन उपयोग सूचीकरण देशों को कोविड 19 वैक्सीन के आयात और प्रशासन के लिए अपने स्वयं के नियामक अनुमोदन प्रक्रियाओं में तेजी लाने की अनुमति देता है। साथ ही यूनिसेफ को जरूरतमंद देशों को वितरण के लिए वैक्सीन की खरीद का अधिकार भी दिया है।