अक्सर करके आपने सैटेलाइट फोन के बारे में तो सुना ही होगा, जो कि दिखने में बड़े सिंपल से होते हैं लेकिन इन फोन कि कीमत बहुत ज्यादा होती है.. इस फोन का डिजाइन भी बच्चे के खिलौने की तरह लगता है. बेसिक से दिखने वाले इस फोन में एक एंटीना निकला होता है, जिसमें कुछ ही बटन होते हैं और छोटी सी स्क्रीन होती है. आइए जानते हैं कि एक स्मार्टफोन और सैटेलाइट फोन में क्या अंतर होता है और ये फोन नॉर्मल फोन से क्यों इतने महंगे होते हैं.
सैटेलाइट फोन का सीधा-सीधा मतलब है कि इस फोन का कनेक्शन सीधा सैटेलाइट से होता है. जब भी कोई इस फोन का इस्तेमाल करके कॉल करता है तो कॉल सीधे सैटेलाइट से होती है. सैटेलाइट से कनेक्टेड होने के बाद ही इससे कॉल किया जाता है. इस फोन की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इस तकनीकी उपकरण से आप किसी भी जगह पर कॉल पर बात कर सकते हैं, चाहे वहां नेटवर्क की कितनी ही प्रॉब्लम क्यों न हो.
सैटेलाइट फोन कैसे करता हैं काम
इस फोन में आवाज और डेटा को सैटेलाइट के माध्यम से ही भेजा जाता है. यही वजह है कि इसे किसी भी जगह पर नेटवर्क की जरूरत नहीं होती है और इसका इस्तेमाल किसी भी दूरदराज क्षेत्र जैसे जंगल और समुद्र और कहीं पर भी किया जा सकता है. चाहे वह सहारा रेगिस्तान हो या एवरेस्ट की चोटी या फिर अफ्रीका के कोई घना जंगल. मतलब, यह जमीन, हवा या पानी में कहीं भी network पकड़ सकता है. सेटेलाइट के जरिए इस्तेमाल होने वाला खर्च भी सेल्युलर फोनों की तुलना में कहीं कई गुना ज्यादा होता है.
आम जनता इस फोन को इस्तेमाल नहीं कर सकती है
सेटेलाइट फोन को भारत में आम जनता के लिए बैन किया गया है. इंडियन वायरलेस टेलीग्राम एक्ट 1933, सेक्शन सिक्स ऑफ इंडियन वायरलेस एक्ट के अंतर्गत सख्त कानून बनाए गए हैं. इसके साथ दुनिया में और भी कई देश है जिनमें इस प्रकार के फोनों का इस्तेमाल करना असंवैधानिक माना जाता है. भारत में भी केवल इनमारसैट की ओर से दी जाने वाली सेटेलाइट सर्विसिस को ही मान्यता प्राप्त है. इसका इस्तेमाल भी सरकार के दिए कुछ नियम और कानून की मान्यता मिलने के बाद ही जाकर आप इसके लायक बनते हैं.
अगर सैटेलाइट फोन की कीमत की बात करें तो ये बेसिक से दिखने वाले फोन 3 हजार डॉलर तक के होते हैं. बाजार में अलग अलग कंपनियों के सैटेलाइट फोन मिलते हैं और ये 3000 डॉलर तक के मिलते हैं. अगर भारतीय करेंसी के हिसाब से देखें तो इसकी रेट करीब ढाई लाख रुपये है.