लोकसभा चुनाव खत्म हो गए देश में नई सरकार भी बन गई लेकिन, राजवाड़ों की भूमि राजस्थान से सियासी गर्मी कम होने का नाम नहीं ले रही है. राजनीति के गलियारों में ये अक्सर माना जाता है कि जिसने भी एक बार राजस्थान की राजनीति, यहां के राजनेताओं के दांव पेच को एक बार समझ लिया उसे सियासत का कलंदर समझा जाता है,
यूं तो राजस्थान में 6 महीने पहले ही विधानसभा चुनाव हुए थे. .यहां की जनता ने हर बार सरकार बदलने के रिवाज को भी इस बार कायम रखते हुए बीजेपी को मौका दिया और भजनलाल शर्मा ने सूबे की गद्दी संभाली. लेकिन अब देश में हुए 18 वी लोकसभा के लिए हुए चुनाव के बाद यहां फिर पांच सीटों पर उपचुनाव होने हैं. इसके लिए यहां पर पांच सांसदों ने इस्तीफे दिए हैं. ये पांचों लोग वो हैं. जो यहां पर कई बार के विधायक रहे चुके हैं लेकिन रोचक बात यह है कि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हनुमान बेनीवाल इन उपचुनाव में ने बड़ा दांव चल दिया है. जिससे यहां की सियातत यहां की सियासी हलचल तेज हो गई हैं.
दरअसल कांग्रेस के साथ गठबंधन में हनुमान बेनीवाल ने इस बार नागौर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें बड़ी जीत भी मिली थी. लेकिन अब हनुमान विधानसभा की पांच सीटों में से तीन-चार पर खुद की पार्टी के उम्मीदवार की मांग कांग्रेस से कर रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी में हलचल स्थिती बनी हुई है. क्योंकि इन पांच सीटों में 3 पर कांग्रेस के विधायक हैं.
लेकिन अब हनुमान बेनीवाल इस बात को लेकर डटे हुए हैं. खींसवर विधानसभा सीट पर बेनीवाल अपने भाई पूर्व विधायक नारायण बेनीवाल को उतारना के लिए. हनुमान बेनीवाल का कहना है कि पांच सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर अगर अलायंस रहा तो आरएलपी चार सीट मांग रही है. हालांकि, अगर गठबंधन नहीं रहता है तो सभी सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला संभव है. क्योंकि अगर कांग्रेस और हनुमान बेनिवाल का गठबंधन टूटा तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा.