जिस पुराने फॉर्मूले से देशभर में ताकतवर हुई भाजपा, वह बंगाल में ममता के खिलाफ हो पाएगा कारगर?

पश्चिम बंगाल। भाजपा की परिवर्तन यात्राओं को लेकर राजनीतिक घमासान छिड़ा हुआ है। राज्य प्रशासन ने अभी तक इसकी अनुमति नहीं दी है। अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने व जनता तक पहुंचने के लिए भाजपा का यात्राओं का पुराना फॉर्मूला है, जो उसे लाभ देता है, लेकिन ऐसी यात्राओं को लेकर विवाद भी खड़े होते रहे हैं और राजनीतिक टकराव भी हुए हैं। पश्चिम बंगाल में भी वही स्थिति बनी हुई है।

अब जबकि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल व पुडुचेरी की पांच विधानसभाओं के चुनाव होने हैं, भाजपा एक बार फिर अपना जनाधार बढ़ाने के लिए इसी तरह की रथ यात्राओं को कर रही है। उसने नवंबर में तमिलनाडु में वेत्रीवेल रथ यात्रा का आयोजन किया था,

जिसे लेकर उसके व सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के बीच टकराव भी हुआ था। छह नवंबर से छह दिसंबर के बीच भगवान मुरुगन से जुड़ी इस यात्रा को सरकार ने कोविड-19 के आधार पर अनुमति नहीं दी थी, इसके बावजूद भाजपा ने विभिन्न स्थानों पर रोड शो करते हुए इसे पूरा किया। कई जगह भाजपा नेताओं को हिरासत में भी लिया गया था।

अब भाजपा ने पश्चिम बंगाल के चुनाव को मथने के लिए परिवर्तन यात्राओं की तैयारी की है। वह राज्य में पांच स्थानों से यात्राएं निकालेगी, जो राज्य के सभी 294 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरेंगी।

पहली यात्रा छह फरवरी को नवद्वीप से शुरू होनी है, जिसको भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा हरी झंडी दिखाने वाले हैं, लेकिन इसे अनुमति देने को राज्य प्रशासन तैयार नहीं है। दूसरी रथ यात्रा को अमित शाह 11 फरवरी को कूच बिहार से हरी झंडी दिखाने वाले हैं। भाजपा ने इसे यात्रा से जुड़े मुद्दों के लेकर चुनाव आयोग में भी दस्तक दी है।

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