सांस लेने में हो रही थी दिक्कत, डॉक्टर के पांस पहुंची तो फेफड़ों से निकली 25 साल से फंसी सीटी

सरकारी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने एक 40 साल की महिला के श्वसन तंत्र में कई सालों से फंसी एक सीटी को निकालने में कामयाबी हासिल कर ली। महिला ने किशोरावस्था में इस सीटी को निगल लिया था और दो दशकों से वह खांसी से परेशान थी।

डॉक्टरों के अनुसार, कन्नूर जिले के मट्टनूर की रहने वाली महिला को मंगलवार को एक निजी क्लिनिक के पल्मोनोलॉजिस्ट द्वारा सरकारी मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया था, डॉक्टर को महिला की श्वासनली से फेफड़ों में ले जाने वाले उसके वायुमार्ग में कुछ फंसे रहने का संदेह था।

लगातार खांसी से जूझने के बाद वह महिला डॉक्टर के पास गई। महिला को खासकर ठंडे मौसम में ज्यादा दिक्कत होती थी।

मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ सुदीप ने पीटीआई को बताया कि डॉ राजीव राम और डॉ पद्मनाभन के नेतृत्व में मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की एक टीम ने उनकी जांच की और पाया कि एक वस्तु ब्रोंकस (श्वसन तंत्र में मार्ग या जो फेफड़ों में हवा का संचालन करती है), में फंस गई थी।

डॉक्टरों ने कहा कि उसे ब्रोन्कोस्कोपी के लिए जाना होगा और 25 साल पहले  महिला ने सीटी को गलती से उसे निगल लिया था।

डॉक्टरों ने कहा कि महिला ने सोचा था कि अस्थमा के कारण उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। लेकिन जब वस्तु को हटा दिया गया तो उन्हें वह घटना याद आ गई, उन्होंने कहा, वह अब सांस लेने की समस्याओं और खांसी से छुटकारा पा रही है।

उन्होंने डॉक्टरों को बताया कि उन्होंने सीटी को उखाड़ने के लिए बहुत सारा पानी पिया, लेकिन इस बात से अनजान थी कि यह वहीं फंसी रह गई।

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