संसदीय़ परम्परा के इतिहास में काले दिन की तरह दर्ज हुआ ये दिन, जानिए !
साथियो कभी आपने सोचा है कि जो हम पैसा टेक्स के रूप में सरकार को देते हैं. जिस पैसे से सरकार हमारे देश की जनता के लिए जनकल्याण का काम करती है.
साथियो कभी आपने सोचा है कि जो हम पैसा टेक्स के रूप में सरकार को देते हैं. जिस पैसे से सरकार हमारे देश की जनता के लिए जनकल्याण का काम करती है. तमाम तरह की य़ोजनाए लाकर लोगों तक उसका लाभ पहुंचाती है, सरकार की नौकरी करने वालों को उसी टैक्स के पैसे में से सेलेरी देती है. यहां तक की विधायको और सासंदो की सैलरी भी हमारे टैक्स के पैसों से ही दी जाती है लेकिन क्या आप ये बात बात जानते है कि हमारे ही देश में तमाम पार्टियों के नेता हमारे टेक्स के पैसे को कैसे पानी की तरह बहाते है.
क्योंकि वो उस पद पर हैं क्योंकि वो विधायक है वो सांसद है तो क्या उनको ऐसा करने का अधिकार है कि गरीबों के पैसे का इस तरह अपनाम करें. लेकिन यह भी हमारा दुर्भागय ही है कि उनको ये सब करने का अघिकार भी हमने ही दिया है हमने ही अपना बहुमूल्य वोट देकर उनको संसद की दहलीज पर पहुंचाया है. लेकिन ये सब करने के लिए जो वो लोग आज वहां पहुंचकर कर रहे हैं हमने उनहें वहां अपने मुद्दों को रखने के लिए भेजा है, अपनी परेशानी को सरकार तक पहुंचाने के लिए भेजा है ना कि वहां हंगामा करने के लिए, और ना ही सरकार से लड़ाई करने के लिए. क्योंकि हर चीज का अपना एक तरीका होता है, एक सही समय होता है, ऐसा में आज इसलिए कह रहा हूं क्योंकि आज 18वी लोकसभा के संसद सत्र का पहला दिन था. आज सभी नए सांसदों को संसद में शपथ लेनी थी. अमूमन ये काम शांति से हो जाना चाहिए था,
लेकिन नहीं हुआ. औऱ जो आज हुआ, यकीनन वो हमारी संसदीय़ परंपरा के इतिहास में एक काले दिन की तरह ही दर्ज होगा. वो इशलिए क्योंकि ऐशा आज तक नहीं हुआ की संसद सत्र के शपथग्रहण के दिन ही संसद के अंदर और उसके बाहर विपक्ष के नेताओं ने इतना हंगामा करा हो. आज का मंजर इस बात की तसदीक करता है कि जो हुआ वो बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए था. कम से कम आज के दिन तो नहीं होना चाहिए था. जिस तरह से आज हंगामा हुआ उससे ये बात तो एकदम साफ हो गई कि पूरा INDIA गठबंधन इस वक्त जनता की नहीं बल्कि अपनी राजनीति को सर्वोपरि रख रहा है.
क्योंकि अगर ऐसा होता तो आज संसद में शाति दिखाई पड़ती इतना हंगामा नहीं होता. क्या आप ये बात जानते हैं कि जब कभी भी संसद का कोई सत्र चलता है तो उसके चलने में सरकार कितना पैसा खर्च करती है. एक मिनट की संसदीय कार्यवाई में कितने रूपये खर्च होते हैं. चलिए हम आपको बताते हैं दोस्तों आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि संसद की प्रत्येक कार्यवाही पर करीब हर मिनट में ढाई लाख (2.5 लाख) रुपये खर्च होते है..आसान भाषा में समझें तो एक घंटे में डेढ़ करोड़ रुपये (1.5 करोड़) खर्च हो जाता है. और अगर संसद में हंगामा होता है तो सांसदो पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ता बल्कि आपके और मेरा और देश के हर आम आदमी का ढाई लाख रुपए हर मिनट बर्बाद होता है. ये आंखड़े सरकारी है. कि हर मिनट संसद के दोनों सत्र में सरकार का 2.5 लाख) खर्च होता है.