भारतीय रेलवे ने दिखाया सुपरपावर का दम, बांग्‍लादेश से मिला अरबों का आर्डर

इंडियन रेलवे ने पिछले कुछ सालों में जिस तरह से देश ही नहीं विदेशों में अपनी कामयाबी के झंडे गाड़े हैं उससे उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही वो पूरी दुनिया में अपना सिक्का जमा लेगी.नमो भारत, वंदे भारत जैसी ट्रेनों को चला कर भी इंडियन रेलवे विदेशियों को आकर्षित करने में सफल रही है.यही कारण है कि आज भारतीय रेलवे कई देशों को रेल के इंजन और डिब्बे सप्लाई कर रही है.

अब जो खबर आ रही है उसके मुताबिक भारतीय रेलवे ने बांग्लादेश को 200 ब्रॉड गेज (बीजी) पैसेंजर कोच की आपूर्ति करने का एक महत्वपूर्ण करार किया है. यह करार भारतीय रेलवे की इंजीनियरिंग कंसल्टेंसी फर्म राइट्स लिमिटेड और बांग्लादेश रेलवे के बीच हुआ है.कई लिहाज से यह करार महत्‍वपूर्ण है.यह भारत के मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्‍ड के नजरिये की तर्ज पर है

भारतीय रेलवे बांग्लादेश को 200 पैसेंजर कोच की आपूर्ति करेगा. इंजीनियरिंग कंसल्टेंसी कंपनी राइट्स लिमिटेड ने बांग्लादेश रेलवे को 200 ब्रॉड गेज (बीजी) पैसेंजर कोच की सप्‍लाई के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। राइट्स भारतीय रेलवे की इंजीनियरिंग कंसल्‍टेंसी फर्म है। इस करार का मूल्य 11.12 करोड़ डॉलर है, जो लगभग 915 करोड़ रुपये के बराबर है। इसे भारतीय रेलवे के एक्‍सपोर्ट डिवीजन RITES ने ग्लोबल स्तर पर बोली प्रक्रिया के जरिये हासिल किया है। इस प्रोजेक्‍ट को यूरोपीय निवेश बैंक  फाइनेंस कर रहा है।

कांट्रैक्ट की शर्तों के अनुसार, राइट्स पैसेंजर कोच की आपूर्ति करेगी। इस आपूर्ति के साथ ही वो डिजाइन, स्पेयर पार्ट्स सपोर्ट और ट्रेनिंग भी देगी. इस करार के मुताबिक इस सप्लाई और कमीशनिंग के लिए 36 महीने का समय दिया गया है. इसके बाद 24 महीने की वारंटी भी होगी।

इस समझौते पर ढाका में बांग्लादेश के रेल मंत्री मोहम्मद जिल्लुल हकीम की मौजूदगी में राइट्स और बांग्लादेश रेलवे के अधिकारियों ने हस्ताक्षर किए।

राइट्स के मुताबिक, यह कांट्रैक्ट स्वदेशी रूप से विकसित विश्व स्तरीय रेलवे रोलिंग स्टॉक के निर्यात के जरिये विकास को बढ़ावा देने के साथ ही ‘मेक इन इंडिया, फॉर द वर्ल्ड’ नजरिये के अनुरूप है।

पहले भी राइट्स ने बांग्लादेश रेलवे को 120 ब्रॉड गेज पैसेंजर कोच (एलएचबी प्रकार के), 36 ब्रॉड गेज लोकोमोटिव और 10 मीटर गेज लोकोमोटिव की सप्लाई कर चुकी है. इसके अलावा कंपनी ने बांग्लादेश में कई दूसरी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर भी मिलकर काम किया है।

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