घंसौर: सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र घंसौर के बरोदा गांव में ग्रामीणों से पावर प्लांट लगाने के नाम पर कंपनी द्वारा कुछ इस कदर छलावा किया गया कि ग्रामीण अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
वर्ष 2011 में क्षेत्र पावर प्लांट स्थापित करने के लिए हैदराबाद की एक प्रायवेट कंपनी द्वारा भोले भाले किसानों की जमीनें माटी मोल ले ली गई
उस वक्त कंपनी के कर्ताधर्ताओं द्वारा ग्रामीणों से लुभावने वादे भी किए गए जिसमें पावर प्लांट द्वारा परिवार के एक सदस्य को नौकरी एवं बारह लाख पचास हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजे देने बात कहते हुए थोड़ी थोड़ी रुपए देकर जमीनों की रजिस्ट्री तो करवा ली गई
परंतु समय के चक्र के साथ न तो ग्रामीणों को नौकरी मिली न ही पर्याप्त मुआवजा अब स्थिति यह है कि पावर प्लांट का प्रोजेक्ट भी कैंसिल हो गया है जबकि किसानों की बेशकीमती जमीन को कंपनी द्वारा दूसरी कंपनी को बेच दिया गया है जो अब किसानों को उनकी जमीनों पर खेती करने में रोक लगा रही है । अपने आप को ठगा महसूस भोले भाले ग्रामीणों को अब यह समझ में नहीं आ रहा कि वे करें तो करें क्या और जाएं तो जाएं कहां
डरे सहमे ग्रामीणों द्वारा लगातार प्रशासन की चौखटों पर शिकवा शिकायत कर रहे हैं, मगर ग्रामीणों को न्याय मिलता नजर नहीं आ रहा है इसी तारतम्य में ग्रामीणों ने जब प्रदेश सरकार से गुहार लगाई तो जांच करने के लिए तहसीलदार बरोदा गांव पहुंचे और ग्रामीणों का पक्ष जाना । जहां ग्रामीणों ने अपना पक्ष रखते हुए एक सुर में आवाज उठाई कि उनकी जमीनें उन्हें वापस दिया जाए क्योंकि उन्होंने जिस कंपनी को जमीनें सशर्त बेची थी न वह पावर प्लांट लगा रही है न ही दूर दूर तक उसके नुमाइंदे नजर आते है जिनसे ग्रामीण बात कर सकें।