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केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा- कृषि कानूनों में सुधार से किसानों को लाभ और बिचौलियों का सफाया होगा

"देश के पूर्वोत्तर राज्यों को विकास की मुख्य धारा में जोड़ने के लिए दिन-रात काम कर रही है मोदी सरकार"

नई दिल्ली।  देश के पूर्वोत्तर राज्यों को विकास की मुख्य धारा में जोड़ने के लिए मोदी सरकार दिन-रात काम कर रही है। नए कृषि सुधार कानूनों से खेती-किसानी के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन व किसानों को व्यापक लाभ होगा और बिचौलियों का भी सफाया होगा।

ये बाते केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर नो सोमवार को इंफाल में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित क्षेत्रीय कृषि मेला, महिला दिवस समारोह एवं विवि के 9 भवनों व शोध प्रक्षेत्र के उद्घाटन समारोह के दौरान कही।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः, अर्थात जहां नारी या महिला को सम्मान दिया जाता है, वहां ईश्वर का वास होता है। इस लिहाज से समस्त पूर्वोत्तर भारत एक मिसाल है, जहां कोई लिंग भेद नहीं दिखता। यहां की महिलाएं पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर विकास कार्यों में योगदान देती हैं। परिवार में कोई भी निर्णय लेने में भी परिजन महिलाओं की बात बराबरी से सुनी जाती है। यहां महिलाएं खेती, व्यापार व अन्य सभी कार्य बड़ी तल्लीनता से करती हैं। संपूर्ण पूर्वोत्तर भारत, देश ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन करने वाली महिलाओं से परिपूर्ण है, जिन पर गर्व है।

केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ को मणिपुर सहित पूर्वोत्तर राज्यों में और भी आगे बढ़ाने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में लाभकारी कृषि व जैविक एवं प्राकृतिक खेती की काफी संभावनाएं है। इस दिशा में वि.वि., राज्य व केंद्र सरकार पूरे प्रयास कर रहे हैं। बेहतर कृषि उत्पादन व निर्यात बढ़ सकें।  इसके लिए प्रयत्नों को और आगे बढ़ाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के रूप में बड़ा सुरक्षा कवच दिया है।  फरवरी-2021 तक किसानों ने लगभग 21 हजार करोड़ रूपये, प्रीमियम भरी,  जिसके बदले उन्हें करीब 91 हजार करोड़ रूपये का भुगतान दावों के रूप में किया जा चुका है।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि नए कृषि सुधार कानून किसानों के जीवन स्तर में बदलाव लाने वाले हैं।  खेती-किसानी में आमूलचूल परिवर्तन करने वाले है। इनके माध्यम से मंडियों के बाहर कृषि उपज की खरीद-बिक्री पर कोई टैक्स नहीं होगा। कोई रोक-टोक नहीं होगी, बिचौलियों का सफाया होगा, फसल के पहले ही औसत मूल्य की गारंटी मिल जाएगी। कांट्रेक्ट फार्मिंग की ठोस-पारदर्शी व्यवस्था की गई है। आत्मनिर्भर भारत अभियान में, कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में 1 लाख करोड़ रू. दिए गए है, वहीं सम्बद्ध क्षेत्रों को भी 50 हजार करोड़ रू. से ज्यादा दिए हैं।

उन्होंने कहा कि साल-2014  से पहले पूर्वोत्तर राज्यों का इतना ध्यान नहीं रखा जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि इन राज्यों में भी केंद्र की योजनाओं का लाभ शत-प्रतिशत पहुंचे और सुशासन हो।

कृषि मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार समूचे पूर्वोत्तर भारत में रेल लाइन का विस्तार कर रही हैं, जिसमें इम्फाल को भी जोड़ना प्राथमिकता है। हमारी सरकार एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत इम्फाल– मोरे–म्यांमार–थाईलैंड तक हाइवे का निर्माण शुरू कर चुकी है, जिसके लिए 7,707 करोड़ रूपये का आवंटन किया है। सरकार की UDAN (उड़े देश का आम नागरिक) योजना के तहत यहां के हरेक प्रदेश को हवाई यात्रा की सुविधा सस्ते दर पर देने का कार्य किया जा रहा है।

वहीं, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह ने  कहा कि कृषि मेला इस क्षेत्र के किसानों के लिए काफी लाभकारी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी किसान भाई-बहन यहां प्रदर्शित तकनीक, कृषि की मशीनें, औजार एवं कृषि निवेशों के साथ साथ यहां के अनुसंधान क्षेत्र पर किए गए सजीव प्रदर्शन का भी अवलोकन करेंगे और इसका लाभ उठाएंगे। उन्होंने मेले के सफल आयोजन की कामना की। समारोह में वि.वि. की 9 इमारतों व शोध प्रक्षेत्र का अनावरण किया गया।

इन इमारतों का हुआ उद्घाटन

मत्स्य आधारित समेकित मॉडल प्रक्षेत्र (लमफेलपट, इम्फाल), पुस्तकालय-सह-औषधालय,  सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय (तुरा, मेघालय),  नर्सरी विद्यालय, सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय (तुरा),  खाद्य प्रसंस्करण इकाई,  सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय (तुरा),  एम.टी.टी.सी. सह वी.टी.सी. भवन,  सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय (तुरा),  बालक छात्रावास,  उद्यानिकी महाविद्यालय (थेनजाल, मिजोरम),  बालिका छात्रावास,  उद्यानिकी महाविद्यालय (थेनजा), एम.टी.टी.सी. सह वी.टी.सी. भवन,  मात्स्यिकी महाविद्यालय (अगरतला, त्रिपुरा) तथा के.वी.के. प्रशासनिक भवन, मात्स्यिकी महाविद्यालय (सिपाहीजला, त्रिपुरा)।

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