DESK: नेता जी के निधन के बाद पूरा मुलायम कुनबा सैफई में एकजुट नजर आ रहा है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रसपा प्रमुख चाचा शिवपाल यादव साथ-साथ दिख रहे हैं चाहे वह शुद्धिकरण का मौका हो या अस्थि विसर्जन का। ऐसे में पिछलों कई दिनों से यूपी के सियासी गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गईं। लोग सवाल करने लगे कि क्या ये साथ सैफई तक ही है या लखनऊ में भी साथ होंगे।
वहीं राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो शिवपाल मुलायम और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच सेतु का काम करते रहे हैं। इसलिए मुलायम के बाद पुराने कार्यकर्ताओं में शिवपाल की अच्छी पैठ है। ऐसे में शिवपाल अखिलेश के साथ खड़े होकर कार्यकर्ताओं को दिखा रहे हैं कि लाखों विवादों के बाद भी वे भतीजे के साथ खड़े हैं। अब देखने वाली बात होगी कि मुलायम के संस्कार प्रक्रिया खत्म होने बाद अखिलेश लखनऊ में भी शिवपाल को कंधे पर रखने देंगे हाथ या फिर राहें अलग हो जाएंगी।
पिछले 10 दिनों से चाचा शिवपाल यादव और भतीजे अखिलेश यादव सैफई में साथ-साथ हैं। शिवपाल परिवार पर हुए वज्रपात के दौर में अखिलेश को ढांढस बंधाते दिखे। हाल में सैफई में ‘नेताजी’ को श्रद्धांजलि देने आए कार्यकर्ताओं से शिवपाल ने यहां तक कह दिया कि मुलायम सिंह अब अखिलेश में दिखा करेंगे। बताया जा रहा है कि परिवार के वरिष्ठ सदस्य अब ‘नेताजी’ की उस इच्छा की दुहाई दे रहे हैं कि जिसमें उन्होंने शिवपाल व अखिलेश को साथ आकर सपा को मजबूत करने व इसे राष्ट्रीय पार्टी बनाने की इच्छा जताई थी। इसे नकारना दोनों के लिए आसान नहीं होगा।
मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अखिलेश यादव के सामने वैसे तो कई चुनौतियां आ खड़ी हुई हैं लेकिन हाल-फिलहाल ये तीन इम्तिहान उन्हें देने होंगे। सबसे पहले तो उनके सामने दो उपचुनाव होने हैं। सपा गोला गोकर्णनाथ विधानसभा सीट भाजपा से छीनने की तैयारी में है तो मैनपुरी लोकसभा सीट को बचाने की चुनौती है। मुलायम की इस सीट पर होने वाले उपचुनाव पर सबकी निगाहें होंगी। यहां भाजपा से भी जूझना होगा। इस इम्तिहान के बाद निकाय चुनाव की जंग में उतरना है। सवाल ये भी है कि इन चुनौतियों से निपटने में चाचा शिवपाल भतीजे अखिलेश का साथ देंगे.