उत्तराखण्ड। एसएसबी सीमांत मुख्यालय रानीखेत के उप महानिरीक्षक मनमोहन कांडपाल ने दावा किया कि गलवान घाटी की घटना के बाद चीन के उकसावे पर नेपाल सीमा पर उपद्रव की कोशिशें की गई थीं।
लेकिन एसएसबी के जवानों ने किसी तरह के उकसावे में न आकर शांतिपूर्वक और बेहतरीन तरीके से स्थिति से निपटने का काम किया। एसएसबी के जवानों के इस संयम की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी सराहना हुई।
नेपाल में सरकार अस्थिर होने पर स्थिति में काफी परिवर्तन आया है। डीआईजी ने दावा किया कि मित्र राष्ट्र नेपाल के साथ हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा संबंधी कोई मुद्दा नहीं है, युद्ध स्तर की कार्रवाई कभी नहीं हो सकती।
सोमवार को सीमांत मुख्यालय के 11वें स्थापना दिवस के अवसर पर पत्रकार वार्ता में डीआईजी कांडपाल ने कहा कि गलवान घाटी की घटना के बाद चीन के भड़कावे पर नेपाल सीमा पर भारत के खिलाफ उकसावे की काशिशें हुई थीं।
वहां की कम्युनिस्ट सरकार के कार्यकाल में नेपाल की तरफ से अराजक तत्वों ने सीमा पर अशांति फैलाकर माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया। लेकिन सीमा पर सजग एसएसबी के जवानों ने इन विषम परिस्थितियों से संयम और शांति के साथ निपट लिया। इसके लिए जहां एसएसबी के जवानों की विश्वव्यापी सराहना हुई, वहीं चीन की निंदा हुई।
डीआईजी कांडपाल ने कहा कि नेपाल की ओर से उपद्रवी तत्व छिटपुट हरकतें तो अक्सर करते रहते हैं। लेकिन मित्र राष्ट्र नेपाल से सुरक्षा संबंधी किसी तरह का मुद्दा कतई नहीं है। नेपाल सरकार में अस्थिरता आने से हालात में काफी परिवर्तन भी आया है।