चुनाव आयोग ने केरल में मतदान की घोषणा कर दी है। राज्य की सभी 140 विधानसभा सभी सीटों पर एक फेज में 6 अप्रैल को वोटिंग होगी और मतगणना 2 मई को होगी। इसके साथ ही राज्य में आचार संहिता लागू हो गई है। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने शुक्रवार को विज्ञान भवन में चुनाव तारीखों का ऐलान करते हुए कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव की तरह बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में भी मतदान का समय एक घंटे के लिए बढ़ाया गया है।
निर्वाचन आयोग ने कहा कि चुनाव में कोरोना दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन किया जाएगा। उम्मीदवार ऑनलाइन नामांकन करा सकते हैं तो घर-घर चुनाव चुनाव प्रचार अभियान के लिए उम्मीदवार समेत 5 लोगों को अनुमति होगी। हालांकि, दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए रोडशो भी किए जा सकते हैं।
चुनाव आयुक्त ने कहा कि विधानसभा चुनावों के लिए सीएपीएफ की पर्याप्त तैनाती सुनिश्चित की जाएगी। संवेदनशील, अति संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान की गई है और अग्रिम तैनाती पहले ही की जा चुकी है। 5 विधानसभाओं के लिए चुनाव के पहले सभी चुनाव कर्मियों का कोविड-19 का टीकाकरण होगा।
केरल में सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) और कांग्रेस की अगुवाई वाली विपक्षी यूनाइडेट डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के बीच मुख्य मुकाबला है। लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी अपना जनाधार बढ़ाने के लिए पूरा जोर लगा रही है। हाल ही में केरल से आने वाले मेट्रोमैन ई श्रीधरन को बीजेपी ने पार्टी में शामिल किया है। वह राज्य में पार्टी का चेहरा हो सकते हैं। खुद श्रीधरन ने कहा है कि यदि पार्टी को बहुमत मिलता है तो वह मुख्यमंत्री बनना चाहेंगे।
2016 के विधानसभा चुनाव में 140 सीटों वाली विधानसभा में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 19 सीटों पर जीत हासिल हुई थी तो कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सिस्ट) ने 58 सीटों पर कब्जा किया था। कांग्रेस को 22 और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को 18 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। केरला कांग्रेस को 6 और जनता दल (सेक्युलर) को 3 सीटें मिली थीं। बीजेपी केवल एक सीट पर जीत दर्ज कर पाई थी।