अवैध कब्जे करने में भी माहिर है दाऊद अहमद छोटे मियां, राजनीतिक रसूख के चलते दशकों से बची रही गर्दन

लखनऊ–दाऊद अहमद–अवैध निर्माण को लेकर चर्चा में दाऊद अहमद छोटे मियां को

है। शहर के कई इलाकों में जमीनों और संपत्तियों पर छोटे मियां के कब्जे हैं मगर राजनीतिक रसूख के चलते पिछली सरकारों में प्रशासन के हाथ उसकी गर्दन तक नहीं पहुंच पाए। संपत्तियों पर कब्जा के लिए किसी भी हद तक जाने में दाऊद अहमद छोटे मियां का कोई सानी नहीं है।पुराने शहर की तंग गलियों से दाऊद अहमद छोटे मियां ने दबंगई की इबारत लिखनी शुरू की थी। कुछ समय में ही आसपास के इलाकों में अवैध कब्जों के अलावा जमीनों के छोटे-मोटे विवाद भी निपटाने लगा।

 दाऊद अहमद छोटे मियां का जरायम की दुनिया में दखल बढ़ा तो जल्द ही राजनीतिक सरपरस्ती भी मिल गई। सत्ता की छतरी तले दाऊद अहमद छोटे मियां ने शहर में विवादित संपत्तियों में दखल देना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे जमीनों के विवादित मामले दाऊद अहमदछोटे मियां के दरबार में आने लगे। वह और उसके गुर्गे ऐसे लोगों को चिह्नित करते, जिनकी संपत्तियां प्राइम लोकेशन में होतीं। इसके बाद शुरू होता वाजिब कब्जेदारों को परेशान करने का सिलसिला। जो टूट जाता उससे छोटे मियां के गुर्गे औने-पौने दामों में संपत्ति लिखा लेते। हुसैनगंज चौराहे के पास एक डाक्टर की इमारत पर कब्जे की कोशिश सुर्खियां बनीं। डाक्टर के क्लीनिक से सटी विवादित जमीन को दाऊद अहमद छोटे मियां ने खरीद लिया। डाक्टर ने अपना क्लीनिक बेचने से मना किया तो दाऊद अहमद छोटे मियां के गुर्गों ने उन्हें प्रताडि़त करना शुरू कर दिया। रात को क्लीनिक बंद होने के बाद छोटे मियां के गुर्गे डाक्टर की छत को ड्रिल कर जाते तो कभी दरवाजों और खिड़कियों के रास्ते पानी भर देते। परेशान डाक्टर ने पुलिस और प्रशासन से मदद की गुहार लगाई लेकिन राजनीतिक सरपरस्ती के चलते उसकी गर्दन बची रही। इसी तरह फूलबाग में दाऊद अहमद छोटे मियां नें जूनियर इंजीनियर के घर को निशाने पर लिया। पहले वहां किरायेदार रखवाया, फिर इंजीनियर को घर बेचने पर मजबूर कर दिया। इंजीनियर का परिवार महीनों तक पुलिस-प्रशासन के चक्कर लगाता रहा लेकिन सत्ता का हाथ होने के कारण छोटे मियां अपने मंसूबों में कामयाब होता चला गया। दाऊद अहमद

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