DESK : भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने असम को पाकिस्तान के साथ रहने के लिए छोड़ दिया था, लेकिन गांधीजी के समर्थन से, गोपीनाथ बोरदोलोई को असम को भारत माता के साथ रखने के लिए संघर्ष करना पड़ा। तब जाकर आज असम भारत का हिस्सा बन सका। यह कहना है असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का।
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भारत और असम को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के बयानों पर पलटवार करते हुए असम के मुख्यमंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि राहुल गांधी का यह बयान कि ‘यूपी, महाराष्ट्र, असम, तमिलनाडु ने भारत के साथ शांति स्थापित की’ गलत है। उन्होंने कहा कि सच्चाई तोयह है कि गांधीजी के समर्थन से, गोपीनाथ बोरदोलोई को असम को भारत माता के साथ रखने के लिए संघर्ष करना पड़ा क्योंकि नेहरू ने हमें कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार पाकिस्तान के साथ रहने के लिए छोड़ दिया था। अपने तथ्यों को ठीक करें, श्रीमान गांधी। नकली बुद्धिवाद की ऊंचाई पर न जाएं।
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राहुल गांधी ने असम के बारे में कहा था कि भारत पहले से विकसित नहीं था। हमारा देश नीचे से ऊपर की ओर उभरा है, क्योंकि यूपी, महाराष्ट्र, असम, तमिलनाडु सभी एक साथ आए और बातचीत की एवं शांति बनाई। शांति बनाए रखने के लिए राज्यों के इस संघ से बातचीत की आवश्यकता थी। बातचीत का साधन उभरा। संविधान ने लोगों को वोटिंग का अधिकार दिया। देश में चुनाव प्रणाली, लोकतांत्रिक प्रणाली, चुनाव आयोग, आईआईटी, आईआईएम पर जोर दिया गया।
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असम में मदरसे बंद करने को सही बताते हुए कहा कि आधुनिक शिक्षा से ही समाज की तरक्की होगी। कहा कि मदरसा शब्द को ही खत्म कर देना चाहिए। ये ही समस्या की जड़ है। इससे शिक्षा में भेद है। हाई कोर्ट ने उनके फैसले को सही बताया और समाज ने भी स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी मातृ भाषा के साथ हिंदी भी पढ़नी चाहिए। असम के लोगों का अधिकार है कि वह उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में रोजगार के लिए जाएं, इसके लिए आवश्यकता है कि मातृभाषा के साथ हिंदी भी पढ़ें।
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