उपवास के वैज्ञानिक महत्व, स्वास्थ्य को लाभकारी होता है ‘व्रत’

 

भक्त और भगवान के बीच श्रद्धा का एक बेहद ही प्यारा सा रिश्ता होता है, भक्त अपने भगवान को प्रसन्न करने और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए कई जतन भी करते है. अनेकों प्रकार के व्यंजन, कई प्रकार के रंग बिरंगे फूल, भगवान की मूर्ति के लिए सुंदर वस्त्र और इन सबके साथ उपवास या व्रत जहा भक्त दिनभर भूखा रह कर इश्वर की आराधना करता है।

आमतौर पर उपवास के दौरान व्यक्ति किसी निर्धारित समय के लिए पूर्णतया या कुछ खास भोजन और पानी का त्याग करता है, तो वहीं कभी-कभी व्यक्ति व्रत के दौरान पानी, फल या सिर्फ जूस का ही सेवन करता है. व्रत की अवधि एक दिन, एक हफ्ते या इससे अधिक भी हो सकती है पर उपवास न सिर्फ श्रद्धा और भक्ति से जुड़ा होता है, बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं, क्या आप जानते है की उपवास के कई प्रकार होते हैं,

उपवास के प्रकार, जैसे:- 

  • सुबह का उपवास – इस उपवास में सुबह का नाश्ता छोड़कर सिर्फ दो बार का खाना खाया जाता है।
  •  शाम का उपवास – इसमें रात को खाना नहीं खाया जाता है, बल्कि पूरे दिन में बस एक बार ही खाया जा सकता हैं.
  • जूस या रस का उपवास – इसमें व्यक्ति ठोस या भारी पदार्थों का सेवन नहीं करता है, इसमें व्यक्ति सिर्फ फलों के रस का सेवन करता है।
  • फलाहार उपवास – इसमें व्यक्ति सिर्फ फलों का सेवन कर सकता है, कुछ लोग तो निराहार-निर्जला उपवास भी रखते है और ये उपवास काफी कठिन होता है, क्योंकि इसमें न कुछ खाना होता है और न ही पीना होता है ।
  •  साप्ताहिक उपवास- इसमें लोग हर हफ्ते किसी एक दिन व्रत करने है।
  •  इंटरमिटेंट फास्टिंग-  ये उपवास आजकल काफी प्रचलन में हैं ये उपवास वजन कम करने के लिए किया जाता हैं, इसमें खाने का वक्त या पैटर्न बदला दिया जाता है और इसमें व्यक्ति एक-दो दिन छोड़-छोड़कर उपवास करता हैं या फिर एक वक्त के खाने को बंद या कम खा सकता है. जिस वक्त आप यह उपवास रख रहे हैं, उस वक्त आप कुछ ठोस खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं कर सकते, हां लेकिन पेय पदार्थ जैसे – जूस, कॉफी, चाय व पानी का सेवन किया जा सकता है. आपको ये जानकर हैरानी होगी की बीमार होने के बाद उपवास को सबसे अच्छा इलाज माना गया है।

 

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