गोरखपुर। जिले में तिहरे हत्याकांड को अंजाम देने वाले एक-एक लाख के इनामी दो शातिर बदमाशों को एसटीएफ, क्राइम ब्रांच और पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। दोनों ने इसके पहले साल 2013 में भी रस्सी खरीदने के विवाद में किराना दुकानदार, उसकी पत्नी और बेटे की हत्या कर दी थी। इसी केस में उसे जमानत मिली थी। सुलह में रोड़ा बनने की वजह से दोनों बदमाशों ने जेल से निकलने के बाद मुकदमें की पैरवी में साथ दे रहे भाजपा नेता की पहले हत्या कर फरार हो गए। उसके कुछ ही दिन बाद इलेक्ट्रॉनिक की दुकान चलाने वाले व्यवसाई और उसे बचाने आए कर्मचारी को भी गोली मारकर मौत के घाट उतारने के बाद फरार हो गए।
गोरखपुर के एसएसपी दिनेश कुमार पी. ने शनिवार को पुलिस लाइन सभगार में घटना का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि एसटीएफ, क्राइम ब्रांच और गोरखपुर की गगहा पुलिस ने तिहरे हत्याकांड को अंजाम देने वाले एक-एक लाख रुपए के इनामी दो बदमाशों को गोरखपुर के गगहा के डुमरी गांव के रहने वाले सन्नी उर्फ मृग्रेन्द्र सिंह और गगहा गांव के रहने वाले युवराज सिंह उर्फ राज को गिरफ्तार किया है। इसी साल 10 मार्च को दोनों ने गोरखपुर के गगहा में भाजपा के स्थानीय नेता और पंचायत चुनाव की तैयारी कर रहे रितेश मौर्या की बाइक सवार बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद 31 मार्च को इलेक्ट्रॉनिक की दुकान चलाने वाले शिव शम्भू मौर्य और उनको बचाने आए कर्मचारी संजय पाण्डेय को भी ताबड़तोड़ गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया था।
पुलिस ने आरोपियों के पास से 9 एमएम की एक पिस्टल, 32 बोर की दो पिस्टल, 10 मैगजीन, एक मोबाइल, एटीएम, पैन कार्ड, निर्वाचन कार्ड, एक यात्री कार्ड दिल्ली मेट्रो, 3000 रुपए नकद बरामद किया है। पुलिस ने गोरखपुर के गगहा थानाक्षेत्र के ओपी मेमोरियल स्कूल के बाएं बंद पड़े कृष्णानंद राय के ट्यूबवेल के पास बागीचे से शुक्रवार को दोपहर 3.30 बजे गिरफ्तार किया है। सन्नी ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि वर्ष 2013 में रस्सी की खरीदारी के पैसे को लेकर दुर्वासा गुप्ता से विवाद हो गया था। इस विवाद के कारण ही उसने अपने भाई टीका सिंह, सिंहासन यादव, अजय नारायाण सिंह के साथ मिलकर दुर्वासा गुप्ता, उसकी पत्नी और पुत्र बाबूलाल की हत्या कर दी थी। इस घटना में तीन अन्य लोग घायल हुए थे। साल 2020 में इस मुकदमें में जमानत पर रिहा होकर बाहर आया। वो वादी बांके लाल गुप्ता पर सुलह कराने के लिए वो दबाव बना रहा था। इसमें गगहा के रहने वाले भाजपा के स्थानीय नेता रितेश मौर्या और शम्भू मौर्या द्वारा विरोध किया जा रहा था। हत्या के मुकदमे में रितेश मौर्या और शम्भू मौर्या पैरवी कर रहे थे। इसी कारण उसने दोनों की हत्या करने का मन बना लिया।
साल 2013 के तिहरे हत्याकांड में साथ रहे गगहा के नेवादा के सिंहासन यादव ने कहा कि दोनों को रास्ते से हटाने के बाद ही मुकदमें में सुलह हो पाएगी। इसलिए दोनों को मारना जरूरी है। उसके पास 32 बोर की एक पिस्टल और कारतूस थे। सिंहासन सिंह यादव ने उसे 32 बोर की पिस्टल और आठ कारतूस भी दिया। कई दिन रितेश मौर्या की रेकी करने के बाद गगहा चौराहा पर 10 मार्च की रात से 9 बजे के बीच वो और युवराज ने पहुंचकर गोली मारकर हत्या कर दी। उसकी हत्या के बाद गोरखपुर के सोहगौरा रोड पर मलौली गांव में राजू चौधरी की बहन के यहां रुक गए।
दूसरे दिन बाइक से लखनऊ गए, वहां पर आदित्य मिश्रा के यहां मोहनलालगंज में बाइक, असलहा और कारतूस रखने के बाद मेरठ चले गए। तिहाड़ जेल में बंद सारिक चौधरी के परिचित उस्मान और शाहरुख ने डेयरी फार्म में डिजायर कार से दरियापुर के सोनू के घर ले गया। वहां दोनों 10-12 दिन रुके। सोनू भी तिहाड़ में बंद है। शाहरूख ने उसे 9 एमएम की पिस्टल और दस कारतूस दिया। चार गोली चलाकर भी पिस्टल का ट्रायल कराया। 32 बोर का भी चार कारतूस दिया। 10-12 दिन बाद वे लखनऊ आए और राजू मिश्रा के आवास से बाकी दोनों असलहा-कारतूस, मैगजीन और मोटरसाइकिल लेकर गोरखपुर आ गए। गोरखपुर में ही राजू चौधरी के बहन के गांव मलौली पहुंचे। 31 मार्च को राजू चौधरी के घर से मोटरसाइकिल से शम्भू मौर्या की दुकान के आगे़ जाकर सड़क किनारे छुपकर खडे हो गए। दोनो लोग हेलमेट पहने हुए थे। युवराज के पास एक 9 एमएम पिस्टल और 6 कारतूस और उसके पास दो 32 बोर की पिस्टल और चार मैगजीन और पर्याप्त कारतूस था। शाम 7.30 बजे शिव शम्भू मौर्या अपनी दुकान गीतांजली इलेक्ट्रानिक वर्क्स शोरूम के बाहर आया। वहीं, पर उसकी ताबड़तोड़ गोली मारकर हत्या कर दी।
इसी बीच शोरूम का कर्मचारी संजय पाण्डेय भी शिव शंभू मौर्या को बचाने आया तो उसकी भी वहीं पर गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद लखनऊ फिर मेरठ रहने के बाद दोबारा लखनऊ होते हुए गोरखपुर आ गए। तभी से गोरखपुर और आसपास के जिलों में रहकर व्यापारियों से रंगदारी वसूलने के प्रयास में थे। सन्नी उर्फ मृगेन्द्र के ऊपर हत्या समेत अन्य मामलों में विभिन्न थानों में 12 और युवराज के ऊपर छह मुकदमें दर्ज हैं।