दिल्ली कोर्ट में कुतुब मीनार को लेकर सुनवाई,याचिका का ASI ने किया विरोध, जानिये इसका क्या है इतिहास…

Desk. दिल्ली के साकेत कोर्ट में कुतुब मीनार पर सुनवाई हुई है। जस्टिस निखिल चोपड़ा की बेंच ने इस पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षों को एक हफ्ते के अंदर ब्रीफ रिपोर्ट जमा करने कहा है। यह सुनवाई हिंदू पक्ष की याचिका पर हो रही है। हिंदू पक्ष ने कुतुब मीनार में पूजा के अधिकार के लिए याचिका दायर की है।

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वहीं सुनवाई के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने लगातार कुतुब मीनार में पूजा के अधिकार वाली याचिका का विरोध किया। साकेत कोर्ट में सोमवार को दाखिल किए हलफनामे में भी कहा था कि कुतुब मीनार पूजा का स्थान नहीं है और इसकी मौजूदा स्थिति को बदला नहीं जा सकता। हिंदू पक्ष का कहना है कि 27 मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है, जिसके अवशेष वहां मौजूद हैं। इसलिए वहां मंदिरों को दोबारा बनाए जाए। वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां कुव्व्त उल इस्लाम मस्जिद में नमाज बंद करवा दी गयी है।

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कुतुब मीनार साउथ दिल्ली के महरौली में स्थित है। इसकी ऊंचाई करीब 238 फीट है। इसमें 379 सीढ़िया हैं। इसका निर्माण निर्माण 1199 से 1220 के दौरान हुआ था। इस मीनार को बनाने की शुरुआत कुतुबुद्दीन ऐबक ने की थी, लेकि इसे पूरा उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने कराया था। कुतुबुद्दीन ऐबक मोहम्मद गोरी का गुलाम था, जिसने 1206 में दिल्ली सल्तनत की स्थापना की। 1993 में कुतुब मीनार को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया गया था।

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वहीं 14वीं और 15वीं सदी में कुतुब मीनार को बिजली गिरने और भूकंप की वजह से नुकसान पहुंचा था। पहले इसकी शीर्ष दो मंजिलों की फिरोज शाह तुगलक ने मरम्मत करवाई थी। 1505 में सिकंदर लोदी ने बड़े पैमाने पर इसकी मरम्मत कराई थी और इसकी ऊपरी दो मंजिलों का विस्तार किया था। 1803 में आए एक भूकंप से कुतुब मीनार को फिर नुकसान पहुंचा था। 1814 में इसके प्रभावित हिस्सों को ब्रिटिश-इंडियन आर्मी के मेजर रॉबर्ट स्मिथ ने रिपेयर कराया था।

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